डिटरमाइनिंग चाइल मोर्टेलिटी इन सुंदरबन इंडिया: अप्लाइंग द कम्युनिटी नॉलेज अप्रोच’ नामक सर्वे में बताया गया है कि एक से चार साल के आयुवर्ग के बच्चों में डूबने से हुई मौत की दर प्रति एक लाख बच्चों पर 243.8 प्रतिशत है जबकि 5 से 9 साल के बीच यह दर 38.8 प्रतिशत है. इस बारे में पूछे जाने पर राज्य के सुंदरबन मामलों के मंत्री ने कहा कि उनके विभाग के पास ऐसे कोई आंकड़े नहीं हैं.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में प्रतिदिन 1 से 9 साल के आयुवर्ग के करीब तीन बच्चों की डूबने से मौत हो जाती है. एक सर्वेक्षण में यह बात कही गई है.
चाइल्ड इन नीड इंस्टिट्यूट (सीआईएनआई) के साथ मिलकर जून से सितंबर 2019 के बीच किए गए जॉर्ज इंस्टिट्यूट के वर्ग-आधारित सर्वेक्षण का प्राथमिक उद्देश्य 1 से 4 और 5 से 9 वर्ष के आयुवर्ग के बच्चों की डूबने से हुई मौत की दर का पता लगाना था.
‘डिटरमाइनिंग चाइल मोर्टेलिटी इन सुंदरबन इंडिया: अप्लाइंग द कम्युनिटी नॉलेज अप्रोच’ नामक सर्वे में कहा गया है, ‘इस क्षेत्र में 1 से 4 साल के आयु वर्ग के बच्चों में डूबने से हुई मौत की दर प्रति एक लाख बच्चों पर 243.8 प्रतिशत है, जबकि 5 से 9 साल के आयुवर्ग के बीच प्रति एक लाख पर यह दर 38.8 प्रतिशत है. सर्वेक्षण में पाया गया कि 1 से 2 साल के आयु वर्ग के बच्चों के बीच मृत्यु दर 58 प्रतिशत है.’
सर्वेक्षण में कहा गया है कि बच्चों और बच्चियों की मृत्यु दर में कोई अंतर नहीं है.
सर्वेक्षण के अनुसार, ‘अधिकतर बच्चों की मौत उनके घरों के 50 मीटर के दायरे में मौजूद तालाब में डूबने से हुई. अधिकतर बच्चे अक्सर परिजनों के घर में काम में लगे होने के समय तालाबों के पास गए. औपचारिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा कुछेक बच्चों का इलाज किया गया.’
यूनेस्को की वैश्विक धरोहरों में शुमार सुंदरबन डेल्टा राज्य के उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना जिलों में फैला है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों में कहा गया है कि 2016 में दुनियाभर में डूबकर 360,000 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 50 प्रतिशत से अधिक संख्या 15 साल से कम आयु के बच्चों की थी.
डब्लूएचओ ने कहा था कि मध्य-आय वाले देशों में 90 प्रतिशत से अधिक मौतें डूबने से होती हैं. वहीं, भारत में हर साल लगभग 60,000 मौतें होती हैं जो कि डूबने से मौतों की वैश्विक आंकड़ा का 19 प्रतिशत है.
इस बारे में समाचार एजेंसी पीटीआई ने जब राज्य के सुंदरबन मामलों के मंत्री मंटूराम पखीरा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि उनके विभाग के पास ऐसे कोई आंकड़े नहीं हैं.
उन्होंने रविवार को कहा, ‘हालांकि हम मामले को देखेंगे और समस्या पर ध्यान देने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)