उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 वर्षीय दलित युवती के साथ कथित गैंगरेप और उसकी मौत के मामले में हाथरस के ज़िलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के सामने उपस्थित हुए.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के हाथरस की 19 वर्षीय दलित युवती के परिवार के सदस्य सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के सामने पेश हुए और अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 नवंबर की तारीख तय की.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सोमवार को वे जस्टिस पंकज मिठल और राजन रॉय की पीठ के सामने पेश हुए.
परिजनों के अलावा हाथरस के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के साथ उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) भी अदालत के सामने उपस्थित हुए.
युवती की जल्दबाजी में 29 सितंबर की देर रात किए गए अंतिम संस्कार को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है.
जिलाधिकारी ने अदालत को बताया कि रात में शव का अंतिम संस्कार करने का निर्णय कानून और व्यवस्था के कारण लिया गया था और राज्य के अधिकारियों पर कोई दबाव नहीं था.
अदालत में राज्य अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता वीके शाही ने कहा कि मामले की सुनवाई की अगली तारीख 2 नवंबर की तय की गई है.
इससे पहले दिन में पीड़िता के पिता, मां और तीन भाइयों को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत लाया गया था.
बता दें कि अदालत ने एक अक्टूबर को हाथरस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (गृह), पुलिस महानिदेशक, अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था), जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को सोमवार को तलब किया था.
आरोप है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 14 सितंबर को सवर्ण जाति के चार युवकों ने 19 साल की दलित युवती के साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट करने के साथ कथित बलात्कार किया था.
अलीगढ़ के एक अस्पताल में इलाज के बाद उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 29 सितंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया था.
इसके बाद परिजनों ने पुलिस पर उनकी सहमति के बिना आननफानन में युवती का अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया, जिससे पुलिस ने इनकार किया था.
युवती के भाई की शिकायत के आधार पर चार आरोपियों- संदीप (20), उसके चाचा रवि (35) और दोस्त लवकुश (23) तथा रामू (26) को गिरफ्तार किया गया है.
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने उत्तर प्रदेश पुलिस से जल्दबाजी में अंतिम संस्कार किए जाने पर जवाब मांगा था.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस की घटना की जांच के लिए एसआईटी टीम गठित की थी. एसआईटी की रिपोर्ट मिलने के बाद लापरवाही और ढिलाई बरतने के आरोप में दो अक्टूबर को पुलिस अधीक्षक (एसपी) विक्रांत वीर, क्षेत्राधिकारी (सर्किल ऑफिसर) राम शब्द, इंस्पेक्टर दिनेश मीणा, सब इंस्पेक्टर जगवीर सिंह, हेड कॉन्स्टेबल महेश पाल को निलंबित कर दिया गया था.
उसके बाद मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई थी. सीबीआई ने मामले में प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)