हाथरस: पीड़ित परिवार ने अदालत को बताया- हमारी सहमति के बिना अंतिम संस्कार किया गया

आरोप है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 14 सितंबर को सवर्ण जाति के चार युवकों ने 19 साल की दलित युवती के साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट करने के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया था. 29 सितंबर को इलाज के दौरान युवती ने दम तोड़ दिया था, जिसके बाद प्रशासन ने आनन-फानन में देर रात उनका अंतिम संस्कार कर दिया था.

हाथरस में दलित युवती के साथ कथित सामूहिक बलात्कार के मामले को लेकर उनके परिजन बीते सोमवार इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के समक्ष पेश ​हुए. (फोटो: पीटीआई)

आरोप है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 14 सितंबर को सवर्ण जाति के चार युवकों ने 19 साल की दलित युवती के साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट करने के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया था. 29 सितंबर को इलाज के दौरान युवती ने दम तोड़ दिया था, जिसके बाद प्रशासन ने आनन-फानन में देर रात उनका अंतिम संस्कार कर दिया था.

हाथरस में दलित युवती के साथ कथित सामूहिक बलात्कार के मामले को लेकर उनके परिजन बीते सोमवार इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के समक्ष पेश हुए. (फोटो: पीटीआई)
हाथरस में दलित युवती के साथ कथित सामूहिक बलात्कार के मामले को लेकर उनके परिजन बीते सोमवार इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के समक्ष पेश हुए. (फोटो: पीटीआई)

लखनऊः उत्तर प्रदेश के हाथरस की 19 साल की दलित युवती के परिवार के सदस्य सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के समक्ष पेश हुए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता के परिजनों ने सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ को बताया कि जिला प्रशासन ने उनकी सहमति के बिना उनकी बेटी का अंतिम संस्कार कर दिया.

इस मामले में एमिक्स क्यूरी (न्यायमित्र) बनाए गए वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप नारायण माथुर ने कहा, ‘युवती के परिवार ने अदालत को बताया कि उनकी सहमति के बिना हाथरस जिला प्रशासन ने अंतिम संस्कार किया था.’

माथुर ने कहा, ‘अपने बयान में हाथरस जिला मजिस्ट्रेट प्रवीण कुमार लक्षकार ने अदालत को बताया कि उन्हें अगली सुबह कानून एवं व्यवस्था बिगड़ने की खुफिया जानकारी मिली थी, जिसके बाद उन्होंने युवती का अंतिम संस्कार रात में ही करने का फैसला किया. जिला मजिस्ट्रेट ने अंतिम संस्कार के संबंध में फैसले को लेकर लखनऊ से किसी प्रकार का निर्देश मिलने से इनकार किया. उन्होंने अदालत को बताया कि अधिकारियों ने स्थानीय तौर पर यह फैसला लिया था.’

पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने कहा कि वे चाहते हैं कि मामले की सुनवाई राज्य से बाहर हो.

उन्होंने कहा, ‘परिवार चाहता है कि मामले को दिल्ली या मुंबई शिफ्ट किया जाए.’ उन्होंने यह भी बताया कि परिवार ने सुरक्षा की मांग की है और परिवार नहीं चाहता कि जांच रिपोर्ट सार्वजनिक हो.

पीड़िता के परिजनों के अलावा उसके दो भाई और भाभी भी अदालत में मौजूद थे. सभी के बयान लिए गए हैं.

आरोप है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 14 सितंबर को सवर्ण जाति के चार युवकों ने 19 साल की दलित युवती के साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट करने के साथ कथित बलात्कार किया था.

अलीगढ़ के एक अस्पताल में इलाज के बाद उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 29 सितंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया था.

इसके बाद परिजनों ने पुलिस पर उनकी सहमति के बिना आननफानन में युवती का अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया, जिससे पुलिस ने इनकार किया था.

युवती के भाई की शिकायत के आधार पर चार आरोपियों- संदीप (20), उसके चाचा रवि (35) और दोस्त लवकुश (23) तथा रामू (26) को गिरफ्तार

युवती का जल्दबाजी में 29 सितंबर देर रात किए गए अंतिम संस्कार को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी कर राज्य सरकार और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को 12 अक्टूबर को पेश होने को कहा था.

अदालत ने पीड़ित परिवार के सदस्यों को भी अपना रुख रखने के लिए अदालत में पेश होने को कहा था.

युवती के परिवार और हाथरस जिला मजिस्ट्रेट के अलावा उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी, डीजीपी एचसी अवस्थी, अतिरिक्त महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) प्रशांत कुमार और हाथरस के पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल भी अदालत में मौजूद थे.

जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस रंजन रॉय की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है.

मामलें में प्रशासन का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त वकील वीके शाही ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई दो नवंबर को होगी.

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