बिहार: नीतीश ने मुख्यमंत्री और सुशील मोदी ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

पटना स्थित राजभवन में राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने दोनों नेताओं को दिलवाई पद और गोपनीयता की शपथ.

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पटना स्थित राजभवन में राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने दोनों नेताओं को दिलवाई पद और गोपनीयता की शपथ.

Nitish Kumar Sushil Kumar Modi PTI
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी. (फोटो: पीटीआई)

पटना: नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से बुधवार को इस्तीफा देने के 24 घंटे के भीतर गुरुवार को फिर से राज्य के मुखिया के तौर पर पद संभाल लिया.

गुरुवार सुबह पटना स्थित राजभवन में नीतीश कुमार ने छठी बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ वरिष्ठ भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा और जदयू के तमाम नेताओं के मौजूद रहे.

राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने पटना स्थित राजभवन में भाजपा नेता सुशील मोदी को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई.

जदयू के राजद और कांग्रेस के साथ बमुश्किल दो साल पुराने गठबंधन से अलग हो जाने के बाद राज्यपाल ने नीतीश कुमार से दो दिन के भीतर सदन में अपना बहुमत साबित करने को कहा.

इस संक्षिप्त समारोह में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और भाजपा नेता अनिल जैन भी मौजूद थे. समारोह में केवल कुमार और सुशील मोदी को शपथ ग्रहण कराई गई.

नीतीश कुमार ने शपथ ग्रहण करने के बाद संवाददाताओं से कहा, हमने जो भी फैसला किया है वह बिहार और उसकी जनता के पक्ष में होगा. यह विकास और न्याय सुनिश्चित करेगा. यह प्रगति सुनिश्चित करेगा. यह सामूहिक निर्णय है. मैं यह सुनिश्चित करता हूं कि हमारी प्रतिबद्धता बिहार की जनता के प्रति है.

नीतीश कुमार ने बुधवार शाम मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस फैसले के पीछे की वजह राजद सुप्रीमो के बेटे तेजस्वी यादव के साथ उनकी तनातनी को माना जा रहा था. इस तनातनी की मुख्य वजह तत्कालीन उप मुख्यमंत्री तेजस्वी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप थे.

इसके साथ ही महागठबंधन की 20 महीने पुरानी सरकार गिर गई.

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए जब नरेंद्र मोदी को भाजपा की प्रचार समिति के प्रमुख के तौर पर नामित किया गया तो जदयू जुलाई 2013 में अपने 17 साल पुराने गठबंधन को तोड़कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग हो गई थी.

वर्ष 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में राजद, जदयू और कांग्रेस के महागठबंधन ने नीतीश के नेतृत्व में भाजपा को मात दी थी.

बुधवार शाम महागठबंधन से जदयू के अलग हो जाने पर भाजपा ने अपने पूर्व सहयोगी को समर्थन की पेशकश करने में तत्परता दिखाई. सुशील मोदी के शपथ लेने के साथ ही भाजपा चार साल बाद बिहार की सत्ता में लौट आई है.

बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में जदयू, भाजपा, उनके सहयोगी दलों और निर्दलीय विधायकों के पास कुल 132 सीटें हैं. यह संख्या बहुमत के जादुई आंकड़े 122 से 10 ज़्यादा हैं.

राजद के पास 81 विधायक हैं. यदि 27 विधायकों वाली कांग्रेस और भाकपा-माले के तीन विधायक भी तेजस्वी को समर्थन देने का फैसला करते, तो भी उनका संख्या बल महज़ 110 ही रहता.

इससे पहले महागठबंधन सरकार के मुखिया के तौर पर इस्तीफा देने के बाद राज्य में मचे सियासी घमासान के बीच बुधवार देर रात तक नीतीश कुमार को जदयू और भाजपा संयुक्त विधायक दल का नेता चुन लिया गया था.

इसके बाद तय किया गया भाजपा के साथ बनने वाली उनकी सरकार को राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी गुरुवार की सुबह 10 बजे शपथ दिलाएंगे.

बुधवार रात राज्यपाल से मुलाकात के बाद भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने संवाददाताओं को बताया कि उन्होंने समर्थन करने वाले 132 विधायकों की सूची राज्यपाल को सौंपी है.

इन विधायकों में जदयू के 71, भाजपा के 53, रालोसपा के दो, लोजपा के दो, हम के एक और तीन निर्दलीय शामिल हैं.