अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंधन निदेशक क्रिस्टिलीना जॉर्जीवा ने कहा कि भारत की प्राथमिकता सबसे कमज़ोर लोगों की सुरक्षा करने, उन्हें सहायता देने और छोटे तथा मझोले उद्योगों की रक्षा करने की होनी चाहिए, ताकि एक देश के रूप में उनकी इस महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में हार न हो.
वॉशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंधन निदेशक क्रिस्टिलीना जॉर्जीवा ने कहा है कि भारत की प्राथमिकता सबसे कमजोर लोगों की सुरक्षा करने, अच्छी तरह से सहायता देने और छोटे तथा मझोले उद्योगों की रक्षा करने की होनी चाहिए, ताकि एक देश के रूप में उनकी कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में हार न हो.
जॉर्जीवा ने आईएमएफ और विश्व बैंक की वार्षिक आम बैठक के दौरान बुधवार को वॉशिंगटन में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लोगों को बचाने और उनके स्वास्थ्य की देखभाल भारत की प्राथमिकता होनी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘क्या करने की आवश्यकता है? स्पष्ट है, सबसे कमजोर लोगों की सुरक्षा, अच्छी तरह से सहायता, छोटे और मझोले उद्योगों की रक्षा, ताकि उनकी हार न हो.’
उन्होंने आगे कहा कि जब तक हमारे पास स्वास्थ्य संकट से निपटने का एक टिकाऊ रास्ता नहीं है, हमें कठिनाइयों, अनिश्चितता और असमान सुधार का सामना करना पड़ेगा.
“#COVID19 reminds us that we need to build resilience for future crises now.” Speaking at our #IMFmeetings seminar, @KGeorgieva underlined the importance of global cooperation to #BuildForwardBetter. Watch the replay: https://t.co/HQeSj49kHk pic.twitter.com/vxynE8fVsw
— IMF (@IMFNews) October 14, 2020
कोविड-19 को एक मानवीय संकट बताते हुए उन्होंने कहा कि खासतौर से जिन देशों में मौत अधिक हुई हैं, वहां ये संकट अधिक गहरा है.
उन्होंने आगे कहा कि इस महामारी से भारत में एक लाख लोगों से अधिक की मौत हुई है.
बता दें कि अब तक भारत में कोरोना संक्रमण से 111,266 लोगों की मौत हुई है और संक्रमण के मामलों की संख्या 73 लाख के पार पहुंच गई है.
जॉर्जीवा ने कहा, ‘इसलिए लोगों को बचाने और उनकी सेहत पर ध्यान देने की प्राथमिकता होनी चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘भारत ने अपनी क्षमता के अनुरूप उपाय किए हैं, दो प्रतिशत राजकोषीय उपाय और गारंटी के रूप में चार प्रतिशत राहत, लेकिन प्रत्यक्ष राजकोषीय उपाय नहीं किए गए.’
उन्होंने कहा, ‘इससे मदद मिलती है, लेकिन जब आप विकसित अर्थव्यवस्थाओं की क्षमताओं को देखते हैं या कुछ अन्य उभरते बाजारों के उपायों को देखते हैं, तो यह कुछ हद तक कम है. हम इस साल भारत में बेहद आश्चर्यजनक रूप से जीडीपी में 10 प्रतिशत का संकुचन देख रहे हैं.’
जॉर्जीवा ने कहा कि भारत की एक जीवंत अर्थव्यवस्था थी.
उन्होंने कहा कि अच्छे वक्त में देश अपनी बुनियाद को मजबूत करके बुरे वक्त का मुकाबला अधिक मजबूती से कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि इस संकट का सबसे महत्वपूर्ण सबक यह है कि अच्छे समय में मजबूत बुनियाद तैयार करनी है. ऐसे में जब बुरा वक्त आता है तो अधिक लचीलापन दिखाया जा सकता है.
अंतररराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अपनी नई रिपोर्ट जारी की है. जिसमें कहा गया है कि विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था वर्ष 2020 में गहरी आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. हालांकि रिपोर्ट में ये भी आशंका जताई गई है कि आने वाले दिनों में यह मंदी पहले की अपेक्षा थोड़ा कम गंभीर होने की संभावना है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में शोध निदेशक गीता गोपीनाथ ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा है कि ठोस, त्वरित और अभूतपूर्व वित्तीय, मौद्रिक और नियामक जवाबी कार्रवाइयों के अभाव में हालात और भी ज्यादा खराब हो सकते थे, लेकिन घरों की गुजर-बसर के लिए आय का इंतजाम करना, उद्यमों में वित्तीय लेन-देन को बनाए रखना और क़र्ज़ का प्रावधान सुनिश्चित करने जैसे उपायों से इसको कम करना संभव हुआ है.
रिपोर्ट में साल 2020 में वैश्विक आर्थिक विकास दर 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो आईएमएफ द्वारा जून में जारी आकलन जितनी गंभीर नहीं है. वहीं, साल 2021 में वैश्विक वृद्धि दर के 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो जून 2020 में जारी अनुमान से थोड़ा कम है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)