फिल्म गुंजन सक्सेना के सिनेमाघरों में रिलीज़ पर अंतरिम रोक लगाने से दिल्ली हाईकोर्ट का इनकार

केंद्र ने आरोप लगाया है कि ‘गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल’ फिल्म में भारतीय वायुसेना की छवि सही ढंग से प्रस्तुत नहीं की गई है और यह बल की छवि को प्रभावित करती है. केंद्र ने याचिका में फिल्म को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने से रोकने और डिजिटल प्लेटफॉर्म से हटाने का अनुरोध किया है.

फिल्म का पोस्टर. (फोटो साभार: फेसबुक)

केंद्र ने आरोप लगाया है कि ‘गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल’ फिल्म में भारतीय वायुसेना की छवि सही ढंग से प्रस्तुत नहीं की गई है और यह बल की छवि को प्रभावित करती है. केंद्र ने याचिका में फिल्म को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने से रोकने और डिजिटल प्लेटफॉर्म से हटाने का अनुरोध किया है.

फिल्म का पोस्टर. (फोटो साभार: फेसबुक)
फिल्म का पोस्टर. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म ‘गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल’ को थियेटरों में रिलीज करने से रोकने के वास्ते बृहस्पतिवार को कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया और केंद्र से कहा कि वह निर्माता और निर्देशक से बात कर फिल्म के विषय संबंधी मुद्दों का समाधान करे.

केंद्र ने आरोप लगाया है कि फिल्म में भारतीय वायुसेना की छवि सही ढंग से प्रस्तुत नहीं की गई है और यह बल की छवि को प्रभावित करती है.

यह फिल्म 12 अगस्त को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई थी और इसके थियेटरों में रिलीज होने की संभावना थी, जो कोविड-19 के चलते छह महीने से अधिक समय तक बंद रहने के बाद 15 अक्टूबर को खुल गए.

जस्टिस राजीव शकधर ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल संजय जैन से कहा कि वह धर्मा प्रोडक्शन की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, निर्देशक करण जौहर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर तथा नेटफ्लिक्स की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल सहित दूसरे पक्षों के वकीलों के साथ बैठें और मुद्दे का हल निकालने की कोशिश करें.

न्यायाधीश ने फिल्म को रिलीज करने से रोकने का आग्रह करने वाली केंद्र की याचिका पर आदेश देने से इनकार कर दिया और कहा कि जो लोग फिल्म देखना चाहते थे, वे पहले ही इसे ओटीटी मंच पर देख चुके हैं.

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘कोविड-19 महामारी के समय थियेटरों में फिल्म देखने कौन जाएगा. जो लोग फिल्म देखना चाहते थे, वे पहले ही इसे ओटीटी मंच पर देख चुके हैं.’

सभी पक्षों के वकीलों ने न्यायाधीश को पहले फिल्म देखने की सलाह दी जिससे कि दलीलें अधिक स्पष्ट हो सकें. अदालत अब इस मामले पर अगले साल 18 जनवरी को सुनवाई करेगी.

साल्वे ने सुनवाई के दौरान कहा कि फिल्म में वायुसेना को गलत तरीके से नहीं दिखाया गया है और अदालत से आग्रह है कि पहले वह फिल्म देख ले.

अदालत ने केंद्र से कहा कि वह फिल्म के उन दृश्यों की क्लिप प्रस्तुत करे जिन पर उसे समस्या है.

फिल्म वायुसेना की पूर्व फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना के निजी जीवन पर आधारित है. फिल्म को करण जौहर की कंपनी धर्मा प्रोडक्शंस ने प्रोड्यूस किया है.

फिल्म में गुंजन सक्सेना की भूमिका अभिनेत्री जाह्नवी कपूर ने निभाई थी. अभिनेता पंकज त्रिपाठी उनके पिता और अंगद बेदी उनके भाई के किरदार में नजर आए थे.

दरअसल फिल्म में दिखाया गया है वायुसेना में भर्ती होने के दौरान गुंजन सक्सेना को एक महिला होने के नाते लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ा था.

वायुसेना में लैंगिक आधार पर भेदभाव का सामना नहीं किया: गुंजन सक्सेना

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बृहस्पतिवार को पूर्व फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि उन्होंने भारतीय वायुसेना में लैंगिक आधार पर किसी तरह के भेदभाव का सामना नहीं किया.

उन्होंने बताया कि वायुसेना ने उन्हें देश की सेवा करने का मौका दिया, जिसमें कारगिल का युद्ध भी शामिल है. उन्होंने कहा कि वह बल द्वारा इस अवसर को देने के लिए हमेशा आभारी रहेंगी.

केंद्र की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में नेटफ्लिक्स, धर्मा प्रोडक्शंस और अन्य के खिलाफ फिल्म गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल के सिनेमाघरों और किसी अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने पर रोक लगाने के लिए एक याचिका दाखिल की गई है. आरोप है कि निर्माताओं ने अनापत्ति पत्र (एनओसी) लिए बिना ही फिल्म को रिलीज कर दिया.

पूर्व फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना की ओर से इसी संबंध में अदालत में ये हलफनामा दाखिल किया गया है.

इससे पहले अदालत ने फिल्म को डिजिटल प्लेटफॉर्म से हटाने के लिए फिल्म की निर्माता कंपनी धर्मा प्रोडक्शंस प्राइवेट लिमिटेड, इसके निर्माता करण यश जौहर, हीरू यश जौहर, सीईओ अपूर्व मेहता, जी एंटरटेनमेंट, फिल्म के निर्देशक शरण शर्मा, नेटफ्लिक्स एंटरटेनमेंट सर्विसेस इंडिया आदि को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)