केंद्र सरकार किसानों द्वारा खरीदी जाने वाली सब्सिडीयुक्त खाद बोरियों की संख्या में कमी लाने की योजना बना रही है. उसका कहना है कि रिटेल स्तर पर उर्वरक बिक्री में अनियमितताओं को रोकने के लिए ऐसा किया जा रहा है. वर्तमान में कोई भी सब्सिडी वाली खाद खरीद सकता है, चाहे वो किसान हो या न हो.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार किसानों द्वारा खरीदी जाने वाली सब्सिडीयुक्त उर्वरक बोरियों की संख्या में कमी लाने की योजना बना रहा है.
यह कदम ऐसे समय पर आया है जब मार्च 2018 से कंपनियों को सब्सिडी राशि जारी करने के प्रावधान पर शर्त लगा दी गई गई थी, जो किसानों को बिक्री की गई कुल खाद की मात्रा पर आधारित थी.
इसका मतलब ये है कि किसानों द्वारा उर्वरक की खरीदी के बाद ही कंपनियों को सब्सिडी जारी की जाती थी.
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इस पहल को अनियमितताओं को रोकने दिशा में बड़ा कदम बताती रही है. हालांकि अब इस दिशा में एक और नया कदम उठाया जाएगा.
इससे पहले यदि उर्वरक को फैक्ट्री से स्वीकृति गोदाम या चिह्नित स्थान पर पहुंचा दिया जाता था, तो कंपनियों को सरकार की ओर से सब्सिडी मिल जाती थी.
एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया पहले डिस्पैच से लेकर रिटेलर तक चोरी की संभावना रहती थी. लेकिन पीओएस मशीन लगाकर इसे रोका गया, जहां सभी लेन-देन इस मशीन में रिकॉर्ड किए जाते हैं और इसी आधार पर सब्सिडी जारी की जाती थी.
उन्होंने कहा कि हमारा अगला लक्ष्य रिटेल में हेराफेरी को रोकना है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पात्र किसान ही सब्सिडी वाली खाद खरीद रहे हैं.
फिलहाल इस तरह की पीओएस मशीन से कोई भी खाद खरीद सकता है, चाहे वो किसान हो या न हो. इसके लिए व्यक्ति को सिर्फ आधार कार्ड देना होता है. इसके बाद खरीददार की जानकारी और खाद की मात्रा की सूचना उर्वरक विभाग की वेबसाइट ‘ई-उर्वरक’ पर अपलोड कर दी जाती है.
अधिकारी ने बताया कि फिलहाल ये शर्त है कि कोई भी 100 बोरी से ज्यादा खाद नहीं खरीद सकता है. यह प्रावधान 11 अगस्त से लागू किया था. इससे पहले 200 बोरी तक खरीदने का प्रावधान था. लेकिन फिलहाल ऐसी कोई शर्त नहीं है कि कोई भी कितनी बार खरीद सकता है. नए नियम के बाद इसमें बदलाव की संभावना है.
उदाहरण के लिए, धान या गेहूं किसान को एक एकड़ के लिए ज्यादा से ज्यादा तीन बोरी यूरिया, एक बोरी डाई-अमोनियम फॉस्फेट और आधा बोरी पोटाश की जरूरत पड़ती है. इस तरह 100 बोरी उर्वरक को आसानी से 20 एकड़ के लिए पर्याप्त होगा.
अधिकारी ने बताया, ‘हम बोरियों की संख्या घटाकर 50 करने पर विचार कर रहे हैं. एक सीजन में एक व्यक्ति द्वारा लिया जाने वाले उर्वरक की सीमा भी तय की जा सकती है. जिन लोगों को इससे ज्यादा खाद चाहिए होगा, वे बिना सब्सिडी वाली खरीद सकते हैं.’
नई प्रणाली के तहत खुदरा विक्रेता की पीओएस मशीन के माध्यम से किसानों को बेचे जाने वाले उर्वरकों की कुल मात्रा पर सब्सिडी साप्ताहिक आधार पर संबंधित कंपनी को हस्तांतरित कर दी जाती है.
केंद्र ने 2020-21 में उर्वरक सब्सिडी के लिए 71,309 करोड़ रुपये का बजट रखा है. इस राशि में पिछले वित्त वर्ष के अंत में उद्योग द्वारा अनुमानित अवैतनिक बकाया राशि के 48,000 करोड़ रुपये शामिल नहीं हैं.