बिहार के उलटफेर पर कहा, सम्मानजनक तरीक़ा यह होता कि नीतीश बिहारियों को मतदान का मौक़ा देते.
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कुछ ही दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाने की सलाह दी थी. लेकिन उनकी सलाह देने के बमुश्किल एक पखवाड़े बाद नीतीश कुमार ने महाठबंधन तोड़ दिया और भाजपा के साथ सरकार बना ली. अब निराश हुए रामचंद्र गुहा ने उन्हें सत्ता का लोभी करार दिया है.
रामचंद्र गुहा ने नीतीश के शपथ लेने के बाद ट्विटर पर लिखा, ‘नीतीश कुमार को राज्यपाल को सलाह देनी चाहिए थी कि विधानसभा भंग कर दें. नीतीश ने कहा कि लालू पैसों के लोभी हैं लेकिन नीतीश ने भी सत्ता के लिए लोभ दिखाया है.’
एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘अगर नीतीश भाजपा के साथ गठबंधन करना चाहते थे तो सम्मानजनक तरीका यह होता कि वे बिहारियों को मतदान का मौक़ा देते.’
If Nitish wanted to revive his alliance with the BJP, the honourable thing was to offer Biharis the chance to vote for or against it.
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) July 27, 2017
उनकी इस टिप्पणी पर हैरानी जताते हुए इतिहासकार एस इरफान हबीब ने लिखा, ‘मैं हैरान हूं कि मेरे दोस्त रामचंद्र गुहा अब ऐसा कह रहे हैं. कुछ ही दिन पहले वे कह रहे थे कि नीतीश कुमार को कांग्रेस का अध्यक्ष बना देना चाहिए क्योंकि कांग्रेस के पास कोई नेता नहीं है.’
एस इरफान हबीब के जवाब में रामचंद्र गुहा ने ट्वीट किया, ‘इरफान, मैंने जो कहा है उस पर कायम हूं, लेकिन दुखद सच यह है कि कांग्रेस पार्टी में आज कोई भरोसेमंद राष्ट्रीय नेता नहीं है.’
एस इरफान हबीब ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘बहुत से लोग थे जो 2019 में विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए उन्हें (नीतीश कुमार को) बेहतर विकल्प मान रहे थे. वे 2017 में खुद ही विकल्प चुनने की जल्दी में थे.’
My comment/proposal has surely rebounded on me, Irfan, but the sad truth remains that the Congress still has no credible national leader. https://t.co/CMW5icJJfS
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) July 27, 2017
गौरतलब है कि इसी महीने की शुरुआत में रामचंद्र गुहा ने कहा था कि लगातार पतन की ओर जा रही कांग्रेस को नेतृत्व में बदलाव से ही उबारा जा सकता है. उन्होंने सुझाव दिया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए.
इस सुझाव को अपनी कल्पना करार देते हुए गुहा ने कहा था कि यदि जदयू अध्यक्ष नीतीश दोस्ताना तरीके से कांग्रेस पार्टी का कार्यभार संभालते हैं तो यह ‘स्वर्ग में बनी किसी जोड़ी’ की तरह होगी.
गुहा ने अपनी किताब इंडिया आफ्टर गांधी की 10वीं वर्षगांठ पर इसके रिवाइज्ड संस्करण के विमोचन अवसर पर कहा था कि ‘ऐसा इसलिए कह रहा हूं कि क्योंकि कांग्रेस बगैर नेता वाली पार्टी है और नीतीश बगैर पार्टी वाले नेता हैं.’
नीतीश के प्रशंसक रहे गुहा ने नरेंद्र मोदी से नीतीश से तुलना करते हुए कहा था कि नीतीश एक वाजिब नेता हैं. मोदी की तरह उन पर परिवार का कोई बोझ नहीं है, लेकिन मोदी की तरह वे आत्ममुग्ध नहीं हैं. वे सांप्रदायिक नहीं हैं और लैंगिक मुद्दों पर ध्यान देते हैं. ये बातें भारतीय नेताओं में विरले ही देखी जाती हैं. नीतीश में कुछ बातें हैं जो अपील करती थीं और अपील करती हैं.
सोनिया गांधी की गिरती साख और पार्टी संभालने में उनकी नाकामी पर गुहा ने कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष जब तक नीतीश को यह पद नहीं सौंपतीं, तब तक भारतीय राजनीति में पार्टी या सोनिया गांधी का कोई भविष्य नहीं है. उनके मुताबिक 131 साल पुरानी कांग्रेस अब कोई बड़ी राजनीतिक ताकत नहीं बन सकती.
हालांकि, अब नीतीश की ओर से महागठबंधन तोड़कर भाजपा के साथ जाने के बाद नीतीश को बतौर कांग्रेस नेता देखने वाले रामगुहा को तगड़ा झटका लगा है.
रामचंद्र गुहा कांग्रेस के पतन पर लगातार निराशा जताते रहे हैं. गुरुवार को भी उन्होंने एनडीटीवी का एक लेख शेयर करते हुए लिखा, ‘राहुल गांधी भारतीय राजनीति में एक एक्सीडेंटल टूरिस्ट हैं जिनके राजनीतिक उपक्रम विनाशकारी हैं. यह कड़वा है लेकिन सच है.’