उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस जाने के रास्ते में केरल के एक पत्रकार और कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के तीन सदस्यों को गिरफ़्तार किया था. इन पर राजद्रोह और यूएपीए के तहत पहले ही मामला दर्ज किया गया है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में कथित गैंगरेप की घटना के बाद वहां जा रहे केरल के एक पत्रकार और कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के तीन सदस्यों को बीच रास्ते से उठाकर गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार करने के कुछ दिनों बाद हाथरस पुलिस ने उनका नाम राजद्रोह के एक और मामले और अन्य गंभीर मामलों में दर्ज किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हाथरस के चंदपा पुलिस थाने में चार अक्टूबर को दर्ज मामला जातिगत हिंसा भड़काने की साजिश रचने और 19 साल की दलित युवती के कथित बलात्कार और हत्या को लेकर राज्य सरकार को बदनाम करने से जुड़ा हुआ है.
हाथरस पुलिस के मुताबिक, उनकी जांच में पता चला कि मथुरा से गिरफ्तार किए गए चारों आरोपी पत्रकार सिद्दीक कप्पन (41), सीएफआई के सदस्य अतीक उर रहमान (25), मसूद अहमद (26) और आलम (26) पहले मामले में कथित तौर पर शामिल थे.
चारों फिलहाल मथुरा की जेल में बंद हैं.
बता दें कि सीएफआई दरअसल पॉपुरल फ्रंट ऑफ इंडिया की छात्र इकाई है.
हाथरस के एसपी विनीत जायसवाल ने कहा कि स्थानीय अदालत ने चारों के खिलाफ ‘वॉरंट बी’ जारी कर उन्हें अदालत के समक्ष पेश होने को कहा है.
अदालत ने चंदपा पुलिस द्वारा दर्ज मामले में जांचकर्ता अधिकारी द्वारा दायर की गई रिपोर्ट के आधार पर आदेश जारी किया.
मामले की जांच कर रहे जांचकर्ता चंदपा थाने के एसएचओ लक्ष्मण सिंह ने कहा, ‘हमने मथुरा जेल प्रशासन को सभी चारों लोगों के वॉरेंट जारी किए हैं. मामला दंगे भड़काने की साजिश से जुड़ा हुआ है.’
इस बीच मुजफ्फरनगर पुलिस ने दिसंबर 2019 में कोतवाली इलाके में सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा के मामले में अतीक उर रहमान के खिलाफ मामला दर्ज किया. रहमान मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं.
ये दोनों घटनाक्रम गुरुवार और शुक्रवार को हुए.
पांच अक्टूबर को मथुरा पुलिस ने मांट टोल प्लाजा पर चारों लोगों को हिरासत में लिया था. एक दिन बाद हाथरस दौरे के दौरान बड़ी साजिश का कथित तौर पर हिस्सा होने के तहत उन पर मामला दर्ज किया गया. उन्हें यूएपीए सहित आईपीसी की धारा 124ए और 153ए और 295ए के तहत मामला दर्ज किया गया.
मथुरा के मांट पुलिस थाने में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
इस बीच चंदपा पुलिस थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज मामले की जांच के दौरान हाथरस पुलिस को कथित तौर पर मामले में कप्पन, अतीक उर रहमान, मसूद अहमद और आलम की कथित भूमिका का पता चला.
हाथरस मामले में एफआईआर में आईपीसी की धारा 153ए, 124ए, 153बी और 420 की धाराएं लगाई गई हैं.
इस बीच मुजफ्फरनगर पुलिस ने भी अदालत का रुख किया और पिछले साल सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान हिंसा के मामले में रहमान के खिलाफ वॉरंट हासिल किया.
मुजफ्फरनगर में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान मामले की एसआईटी जांच का हिस्सा रहे इंस्पेक्टर विजय कुमार सिंह ने कहा, ‘पिछले साल 20 दिसंबर को कोतवाली इलाके में हुई हिंसा मामले की जांच के दौरान हमें पता चला कि अतीक उर रमान घटनास्थल पर मौजूद था और उसने हिंसा के लिए फंडिंग की थी. हत्या के प्रयास सहित कई आरोपों में मामला दर्ज किया गया है. हम मामले में रहमान की तलाश कर रहे थे और तब हमें मथुरा पुलिस द्वारा उसकी गिरफ्तारी के बारे में पता चला.’
जेल अधिकारी का कहना है, ‘हमें आरोपियों के खिलाफ दोनों मामलों में प्रोडक्शन वॉरंट मिला है.’
बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा हाथरस जाने के रास्ते में गिरफ्तार किए गए केरल के एक पत्रकार, दो सीएफआई सदस्यों और एक अन्य व्यक्ति पर राजद्रोह और गैर क़ानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
मथुरा की स्थानीय अदालत में पेश किए जाने के बाद इन चारों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने इन चारों को तब गिरफ्तार किया था, जब वे हाथरस में बर्बर मारपीट और कथित गैंगरेप का शिकार हुई दलित महिला के घर जा रहे थे.