फैसला बिहार की जनता के हित में किया गया: नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, हमने जो भी फैसला किया है वह बिहार और इसकी जनता के पक्ष में होगा. यह विकास और न्याय सुनिश्चित करेगा.

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बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, हमने जो भी फैसला किया है वह बिहार और इसकी जनता के पक्ष में होगा. यह विकास और न्याय सुनिश्चित करेगा.

Patna: Bihar Chief Minister Nitish Kumar addressing at a function for the inauguration of developmental schemes of Department of Energy in Patna on Thursday. PTI Photo (PTI5_11_2017_000111A)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. (फाइल फोटो: पीटीआई)

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण करने के बाद नीतीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि राजद से अलग होकर भाजपा से हाथ मिलाने का फैसला बिहार के हित में किया गया. यह राज्य के लिए विकास और न्याय सुनिश्चित करेगा.

लालू यादव, उनके पुत्र और तत्कालीन उप मुख्यमंत्री तेजस्वी समेत परिवार के कुछ सदस्यों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के आरोपों पर गठबंधन सहयोगी राजद से अलग होने के बाद बुधवार रात कुमार ने इस्तीफा दे दिया था.

नीतीश ने संवाददाताओं को बताया, हमने जो भी फैसला किया है वह बिहार और इसकी जनता के पक्ष में होगा. यह विकास और न्याय सुनिश्चित करेगा. यह प्रगति सुनिश्चित करेगा. यह सामूहिक निर्णय है. मैं यह सुनिश्चित करता हूं कि हमारी प्रतिबद्धता बिहार की जनता के प्रति है.

जदयू के राजग में लौटने से बदले राजनीतिक समीकरणों का असर वर्ष 2019 के आम चुनाव में पड़ सकता है. जहां भाजपा इस घटनाक्रम को लेकर फूली नहीं समा रही, वहीं विपक्षी खेमा व्याकुल हो गया है क्योंकि इस घटना ने भगवा दल के ख़िलाफ़ एकजुट होने के प्रयासों को बड़ा झटका दिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार को बधाई दी और कहा कि वह बिहार की समृद्धि के लिए एक साथ मिलकर काम करने को लेकर उत्साहित हैं.

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राज्य विधानसभा में एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी राजद को सरकार गठन का मौका नहीं दिए जाने को लेकर विरोध दर्ज कराते हुए राजद या कांग्रेस का कोई नेता शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुआ.

इस बीच दिल्ली में, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा के साथ हाथ मिलाने को लेकर नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन पर स्वार्थी राजनीतिक उद्देश्यों के लिए काम करने का आरोप लगाया.

राहुल गांधी ने कहा, बिहार ने साम्प्रदायिकता विरोधी जनादेश दिया था लेकिन नीतीश कुमार अपने निजी राजनीतिक लाभों के लिए भाजपा के पास चले गए.

बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने शपथ ग्रहण करने के बाद कहा कि राजग की वापसी के साथ राज्य में विकास की प्रक्रिया पटरी पर लौट आएगी.

उन्होंने कहा, जदयू-भाजपा गठबंधन बिहार को पहले नई ऊंचाइयों पर ले गया था. उस समय, लोगों को यह कहने में गर्व होता था कि मैं बिहारी हूं. पिछले 20 महीनों में कुछ गलत हुआ लेकिन अब जदयू भाजपा गठबंधन बिहार को फिर से नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा.

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राजद के पास पर्याप्त बहुमत होने के दावे पर जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा, उन्हें बड़े-बड़े दावे करना बंद कर देना चाहिए और यदि उनके पास वास्तव में संख्या है तो उन्हें सदन के परीक्षण में साबित करने दीजिए. हमारे पास पर्याप्त संख्या है और हम इसे साबित करेंगे.

राजग गठबंधन ने बुधवार को राज्यपाल को 132 विधायकों की सूची दी थी. इन विधायकों में जदयू के 71, भाजपा के 53, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के दो, लोजपा के दो, हम का एक और तीन निर्दलीय हैं.

243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में राजद के पास 81 विधायक, कांग्रेस के 27 और भाकपा-माले के तीन विधायक हैं.

त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी का बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाने का निर्णय एक गलती थी और उन्होंने राजद के साथ सुलह करने की हर संभावना से इनकार कर दिया.

त्यागी ने कहा, राजद के साथ गठबंधन करना एक गलती थी. हमें सूचना मिली थी कि स्वयं को सीबीआई मामलों से बचाने के लिए वे दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों के संपर्क में थे और नीतीश कुमार सरकार को गिराने की योजना बना रहे थे.

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उन्होंने कहा, लालू प्रसाद के साथ मिलकर 20 महीने तक सरकार चलाने के अपने निर्णय पर हमें खेद है. हम उनके विधायकों की संख्या को 22 से 80 ले जाने की गलती करने के लिए खुद को दोषी मानते हैं.

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने राजग के साथ जुड़ने के नीतीश कुमार के फैसले का स्वागत किया.

मांझी ने कहा, मैं राजग के साथ जुड़ने के नीतीश कुमार के फैसले पर उन्हें बधाई देता हूं. यदि कोई गलती करता है और उसे स्वीकार करने और सुधारने की हिम्मत रखता है तो हमें उसका स्वागत करना चाहिए और उस व्यक्ति का समर्थन करना चाहिए.

नीतीश कुमार ने बुधवार शाम को अचानक इस्तीफा दे दिया था लेकिन उन्होंने राजनीतिक दांवपेंच खेलते हुए फिर से सरकार बनाने के लिए कुछ ही घंटों बाद भाजपा के साथ हाथ मिला लिया था.

उनके इस फैसले के पीछे की वजह राजद सुप्रीमो के बेटे तेजस्वी यादव के साथ उनकी तनातनी को बताया जा रहा है. तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं.

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जदयू, राजद और कांग्रेस के महागठबंधन को तोड़ने के बाद नीतीश कुमार राज्य में नई गठबंधन सरकार के गठन का दावा करने के लिए सुशील मोदी और राजग के अन्य नेताओं के साथ मिलकर बुधवार देर रात राज्यपाल से मिले.

तेजस्वी राजद के कुछ विधायकों और नेताओं को लेकर मध्यरात्रि के बाद राज्यपाल से मिलने राजभवन गए.

उन्होंने मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा कि राजग सरकार का शपथ ग्रहण करना पूर्व नियोजित षडयंत्र था.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि बुधवार को बिहार में और इसके पहले देश के अन्य कई राज्यों में जो भी राजनीतिक घटनाक्रम आए दिन हो रहे है. यह सब अपने देश के लोकतंत्र के लिये शुभ संकेत नहीं हैं.

उन्होंने कहा, इससे अपने देश का लोकतंत्र मजबूत होने की बजाय ज्यादातर कमज़ोर ही होगा और अब इसे अपने देश की आम जनता को ही आगे आकर कमज़ोर होने से बचाना होगा.

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मायावती ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की सत्ता की भूख और उसके लिए सत्ता व सरकारी मशीनरी का हर प्रकार से जबर्दस्त दुरुपयोग देश के लोकतंत्र के लिए लगातार ख़तरा बनता जा रहा है. मणिपुर और गोवा के बाद अब बिहार का ताज़ा राजनीतिक घटनाक्रम इस बात का प्रमाण है कि मोदी सरकार में लोकतंत्र का भविष्य खतरे में है.

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार अपना रुख बार-बार बदल रहे हैं जो उनकी छवि के लिए अच्छा नहीं है. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बिहार में धर्म निरपेक्षता के नाम पर वोट मांगने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का तानाशाही प्रवृत्ति वाली भाजपा से हाथ मिलाना दुर्भाग्यपूर्ण है.

उधर, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि बिहार में हर राजनीतिक और लोकतांत्रिक सिद्धांत की दिनदहाड़े हत्या कर भाजपा-जदयू की सरकार बनी है, जिसके पास न तो जनादेश है और न ही जिसे शासन का अधिकार है. यह भारतीय लोकतंत्र के लिए वाकई काला दिन है.

भाकपा के महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है, नकारात्मक घटनाक्रम है. हम सभी को झटका लगा है यद्यपि हम जानते हैं कि संकट गहरा रहा है.

नीतीश सरकार 28 जुलाई को विश्वासमत हासिल करेगी

बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी नई सरकार 28 जुलाई को राज्य विधानसभा में विश्वासमत हासिल करेगी.

मंत्रिमंडल समन्वय विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने संवाददाताओं से कहा, बिहार विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र शुक्रवार को बुलाया गया है जिसमें नई सरकार विास मत हासिल करेगी.

मेहरोत्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी के बेहद संक्षिप्त राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में सत्र के लिए दो एजेंडा तय किए गए हैं.

पहला एजेंडा पूर्ववर्ती महागठबंधन सरकार के 28 जुलाई से 3 अगस्त तक दोनों सदनों का पांच दिवसीय मानसून सत्र बुलाने के फैसले को रद्द करना है.

उन्होंने कहा, दूसरा एजेंडा विश्वास मत हासिल करने के लिए शुक्रवार को विधानसभा का एक दिवसीय सत्र बुलाना है.

राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने शपथ लेने के दो दिनों के भीतर मुख्यमंत्री से विश्वास मत हासिल करने के लिए कहा है.

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नीतीश कुमार सरकार के पास 132 विधायकों का समर्थन हैं जिसमें से 71 विधायक जदयू के, 53 भाजपा के, दो रालोसपा के, दो एलजीपी के, एक एचएएम (हम) का और तीन निर्दलीय विधायक हैं.

243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 है.

शुक्रवार का सत्र हंगामेदार रहने की आशंका है क्योंकि राजद आक्रामक रुख अपना सकती है. राजद ने कहा कि सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद उसे सरकार बनाने का मौका नहीं दिया गया.

राजद ने कांग्रेस के 27, माकपा-एमएल के दो विधायकों और कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन होने का दावा किया है.

राजद नेताओं ने यह भी दावा किया कि भाजपा के ख़िलाफ़ 2015 बिहार विधानसभा चुनाव जीतने वाले कई जदयू विधायक शुक्रवार को होने वाले विश्वास मत के दौरान उनके पाले में आ सकते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से सहयोग के साथ)