सरकार के विज्ञान एवं तकनीकि विभाग द्वारा गठित विशेषज्ञों की समिति ने ये निष्कर्ष निकाला है. समिति के अध्यक्ष ने कहा है कि महामारी अपने चरम को पार कर चुकी है, लेकिन बहुत खुश होने की बात नहीं है, क्योंकि संक्रमण में गिरावट तब तक है, जब तक कि हम सुरक्षा मानकों का पालन करेंगे.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञों की एक समिति ने कहा है कि सितंबर महीने में भारत में कोरोना संक्रमण अपने चरम पर था और यदि मौजूदा दर के साथ इसमें वृद्धि होती है तो फरवरी महीने तक कोविड-19 मामलों की संख्या बहुत कम रह जाएगी.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी के भविष्य का आकलन करने के लिए विज्ञान एवं तकनीकि विभाग द्वारा गठित सात सदस्यीय विशेषज्ञों की समिति ने ये निष्कर्ष निकाला है.
अध्ययन के अनुसार अगले साल के शुरुआत तक भारत में कोरोना संक्रमण की संख्या करीब 106 लाख तक पहुंच जाएगी, जिसमें से दिसंबर महीने से सक्रिय मामलों की संख्या 50,000 से कम हो जाएगी.
बीते सोमवार तक देश में कोविड-19 संक्रमण की कुल संख्या 75 लाख से अधिक थी, जिसमें से 772,055 सक्रिय मामले थे.
हालांकि रिपोर्ट में ये आकलन इस आधार पर किया गया है कि त्योहारों के चलते कोरोना संक्रमण में वृद्धि नहीं होगी.
इस अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिकों ने कहा है कि लॉकडाउन या अत्यधिक प्रतिबंधों से कोई फायदा नहीं होने वाला है. केवल जिला स्तर पर ही पूरी तरह शटडाउन का विचार किया जा सकता है, वो भी ऐसे समय पर जब संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही हो और स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी हो.
‘कोविड-19 इंडिया नेशनल सुपरमॉडल’ नामक इस अध्ययन में गणितज्ञ और एपिडिमिओलॉजिस्ट्स (महामारीविदों) जैसे विशेषज्ञ शामिल थे.
कोरोना वृद्धि के संबंध में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कई सारे मैथेमेटिकल मॉडल सामने आए हैं, हालांकि विशेषज्ञों एवं सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के अनुमान नीतियां तय करने के लिए होते हैं और इन्हें हूबहू लागू नहीं किया जाता है.
आईसीएमआर ने अगस्त में अपने नवीनतम सीरो-सर्वे में अनुमान लगाया था कि 7 फीसदी वयस्क आबादी वायरस के संपर्क में आ चुकी है. हालांकि समिति ने कहा है कि यह कम आंकना था.
उन्होंने कई शहरों में हुए छोटे सीरो-सर्वे का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां पर पता चलता है कि 22 से 30 फीसदी जनसंख्या में एंटीबॉडी बन चुकी थी और अगस्त तक 14 प्रतिशत आबादी को कोरोना संक्रमण होने की संभावना थी. इस आधार पर देश की करीब 30 फीसदी आबादी कोरोना वायरस के संपर्क में आ चुकी है.
आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर और समिति के अध्यक्ष प्रो. एम. विद्यासागर ने कहा, ‘महामारी अपने चरम को पार कर चुकी है लेकिन इसमें बहुत खुश होने की बात नहीं, क्योंकि संक्रमण में गिरावट तभी तक है जब तक कि हम सुरक्षा मानकों का पालन करेंगे.’