पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस जल्द ही ईडी के समनों का जवाब देगी. उमर ने यह भी कहा कि यह ‘गुपकर घोषणा’ के तहत ‘पीपुल्स अलायंस’ के गठन के बाद की जा रही प्रतिशोध की राजनीति है.
श्रीनगर: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जम्मू कश्मीर क्रिकेट संघ (जेकेसीए) के कोष में कथित गबन से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में सोमवार को जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला से पूछताछ की. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
अधिकारियों ने कहा कि पहले की तरह धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष अब्दुल्ला का बयान दर्ज किया जाएगा.
ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर यह मामला दर्ज किया है. सीबीआई ने जेकेसीए के महासचिव मोहम्मद सलीम खान और पूर्व कोषाध्यक्ष एहसान अहमद मिर्जा समेत कई पदाधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
सीबीआई ने 2002 से 2011 के बीच भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा खेल को बढ़ावा देने के लिये जेकेसीए को दिए गए अनुदान में से 43.69 करोड़ रुपये के गबन के मामले में अब्दुल्ला, खान, मिर्जा के अलावा मीर मंजूर गजनफर अली, बशीर अहमद मिसगार और गुलजार अहमद बेग (जेकेसीए के पूर्व एकाउंटेंट) के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था.
ईडी ने कहा कि उसकी जांच में सामने आया है कि जेकेसीए को वित्त वर्षों 2005-2006 और 2011-2012 (दिसंबर 2011 तक) के दौरान तीन अलग-अलग बैंक खातों के जरिये बीसीसीआई से 94.06 करोड़ रुपये मिले.
इससे पहले ईडी ने जुलाई में अब्दुल्ला से इस मामले में पूछताछ की थी और उनका बयान पीएमएलए के तहत दर्ज किया गया था.
नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि पार्टी जल्द ही ईडी के सम्मनों का जवाब देगी.
उन्होंने कहा, ‘यह कुछ और नहीं बल्कि ‘गुपकर घोषणा’ के तहत ‘पीपुल्स अलायंस’ के गठन के बाद की जा रही प्रतिशोध की राजनीति है.’
The party will be responding to this ED summons shortly. This is nothing less then political vendetta coming days after the formation of the People’s Alliance for Gupkar Declaration. To set the record straight no raids are being conducted at Dr Sahib’s residence.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 19, 2020
वह जम्मू कश्मीर के छह दलों द्वारा पूर्ववर्ती राज्य की विशेष स्थिति की बहाली के लिए बने गठबंधन का उल्लेख कर रहे थे.
गौरतलब है कि 22 अगस्त को छह क्षेत्रीय पार्टियों ने पांच अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए फिर से इसकी बहाली के लिए मिलकर संघर्ष करने का ऐलान किया था और इस संबंध में एक घोषणापत्र जारी किया था.
जम्मू कश्मीर की मुख्यधारा की सभी पार्टियों के इस संयुक्त बयान पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन, प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर, माकपा नेता एमवाई तारिगामी और जम्मू कश्मीर अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुजफ्फर शाह के हस्ताक्षर हैं.
जम्मू कश्मीर के लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए सामूहिकता एक प्रभावी तरीका बताते हुए उन्होंने कहा था, ‘हम लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हमारी सभी राजनीतिक गतिविधियां जम्मू कश्मीर की स्थिति के लिए पवित्र लक्ष्य के अधीन होंगी, क्योंकि यह 4 अगस्त 2019 को अस्तित्व में था.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)