एनआईए ने एल्गार परिषद मामले में 83 वर्षीय स्टेन स्वामी को आठ अक्टूबर को रांची से गिरफ़्तार किया था. एनआईए ने उनकी याचिका के जवाब में कहा है कि वे कोरोना वायरस की मौजूदा स्थिति की आड़ में ज़मानत मांगकर स्थिति का अनुचित लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं.
मुंबईः एल्गार परिषद मामले में इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा गिरफ्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी ने अंतरिम जमानत के लिए विशेष अदालत का रुख किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, स्टेन स्वामी ने स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत की मांग की है.
याचिका में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नियुक्त की गई महाराष्ट्र सरकार की उच्चाधिकार समिति के निर्देशों का उल्लेख किया गया है, जिसमें कोरोना के दौरान जेलों से भीड़ कम करने का सुझाव दिया गया.
याचिका में उनकी उम्र और स्वास्थ्य स्थितियों की वजह से कोरोना से उनके बचाव की बात कही गई है.
हालांकि, एनआईए ने शनिवार को उनकी जमानत याचिका का विरोध कर कहा कि समिति के दिशानिर्देशों के अनुसार स्वामी राहत पाने के योग्य नहीं है.
एनआईए ने जमानत याचिका के जवाब में कहा, ‘कोरोना वायरस की मौजूदा स्थिति की आड़ में आरोपी स्टेन स्वामी जमानत मांगकर स्थिति का अनुचित लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं.’
एनआईए ने कहा कि स्वामी और 15 अन्य पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) सहित कई तरह के गंभीर आरोप लगे हैं, जिनके लिए आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है.
एनआईए ने स्वामी को दोषी ठहारने के लिए खिलाफ पर्याप्त सबूत होने का दावा करते हुए कहा कि समिति के दिशानिर्देश 60 साल से अधिक उम्र के अंडरट्रायल कैदियों के लिए जमानत याचिका देने पर विचार करने का सुझाव देते हैं, लेकिन इसे ऐसे मंजूरी नहीं दी जा सकती.
एनआईए ने जवाब में कहा कि यह स्पष्ट है कि मेडिकल स्थिति के संबंध में अंतरिम राहत पाने के लिए याचिकाकर्ता की दलील सिर्फ छलावा है.
बता दें कि स्टेन स्वामी को आठ अक्टूबर को झारखंड से गिरफ्तार किया गया था और उन्हें अगले दिन मुंबई की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया था, जहां उन्हें 23 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.
एनआईए ने नौ अक्टूबर को स्वामी और नौ अन्य के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दायर किया था.
चार्जशीट में कहा गया था कि स्वामी प्रतिबंधित संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के सदस्य हैं और उसकी गतिविधियों में उनकी सक्रिया भूमिका है.
स्वामी ने अपनी गिरफ्तारी से पहले बयान में कहा था कि कार्यकर्ताओं, वकीलों, छात्र नेताओं और कवियों सहित उन्हें और अन्य, जो आदिवासियों, दलितों और वंचितों के अधिकारों के लिए खड़े हैं और देश की सत्ताधारी शक्तियों के प्रति असंतोष जता रहे हैं, उन्हें निशाना बना रही है.
मालूम हो कि अदालत मंगलवार को स्वामी की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी.