पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मामले में नवाज़ शरीफ़ को प्रधानमंत्री पद और इशाक़ डार को वित्त मंत्री पद के लिए अयोग्य ठहराया.
इस्लामाबाद: जस्टिस आसिफ़ सईद खोसा की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच ने देश के प्रति ईमानदार न होने के कारण नवाज़ शरीफ़ को अयोग्य क़रार दिया है. इस मामले में नवाज़ शरीफ़ समेत उनके परिजनों पर काला धन छुपाने, भ्रष्टाचार और मनी लांड्रिंग के आरोप थे. अदालत के इस फैसले के बाद नवाज़ शरीफ़ को पद छोड़ना पड़ेगा.
पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने बहुचर्चित पनामा पेपर मामले (पनामागेट) मामले में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को पद के अयोग्य ठहरा दिया और उनके ख़िलाफ़ मामले को सुनवाई के लिए भ्रष्टाचार रोधी अदालत के पास भेज दिया.
सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वसम्मति के अपने फैसले में आदेश दिया कि शरीफ़ के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया जाए और यह भी कहा कि शरीफ़ और उनके परिवार के ख़िलाफ़ मामले को जवाबदेही अदालत के पास भेजा जाए.
शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया कि राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) छह महीने के भीतर मामले का निपटारा करेगा.
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने शरीफ़ को पद के अयोग्य ठहरा दिया. न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया कि प्रधानमंत्री संसद और अदालतों के प्रति ईमानदार नहीं रहे और उनको पद के लिए उपयुक्त नहीं समझा जा सकता.
यह फैसला उसी पांच सदस्यीय पीठ ने सुनाया जिसने इस साल जनवरी से मामले की सुनवाई की थी.
पीठ में न्यायमूर्ति आसिफ़ सईद खोसा, न्यायमूर्ति एजाज़ अफ़ज़ल ख़ान, न्यायमूर्ति गुलज़ार अहमद, न्यायमूर्ति शेख़ अज़मत सईद और न्यायमूर्ति एजाज़ुल अहसन हैं.
न्यायमूर्ति एजाज़ अहमद ख़ान ने सर्वोच्च न्यायालय के कोर्ट नंबर-एक में फैसला पढ़कर सुनाया.
#WATCH: Scenes outside Supreme Court of Pakistan after Nawaz Sharif's disqualification as PM; 'Go Nawaz Go' slogans raised #PanamaVerdict pic.twitter.com/S5f1wR0bi2
— ANI (@ANI) July 28, 2017
यह मामला 90 के दशक में धनशोधन के ज़रिये लंदन में सपंत्तियां ख़रीदने से जुड़ा है जब शरीफ़ दो बार प्रधानमंत्री बने थे.
पाकिस्तान में रिकॉर्ड तीन बार प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने वाले शरीफ़ के परिवार की लंदन में इन संपत्तियों का खुलासा पिछले साल पनामा पेपर्स लीक मामले से हुआ. इन संपाियों के पीछे विदेश में बनाई गई कंपनियों का धन लगा हुआ है और इन कंपनियों का स्वामित्व शरीफ़ की संतानों के पास है.
इन संपत्तियों में लंदन स्थित चार महंगे फ्लैट शामिल हैं.
नवाज़ पाकिस्तान के सबसे रसूख़दार सियासी परिवार और सत्तारूढ़ पार्टी पीएमएल-एन के मुखिया हैं.
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का पूरी उत्सुकता के साथ इंतज़ार किया जा रहा था क्योंकि शरीफ के पिछले दो कार्यकाल तीसरे साल में ख़त्म हो गए थे.
इस्पात कारोबारी के अलावा राजनीतिज्ञ शरीफ पहली बार 1990 से 1993 के बीच प्रधानमंत्री रहे. उनका दूसरा कार्यकाल 1997 में शुरू हुआ जो 1999 में तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज़ मुशर्रफ़ द्वारा तख्तापलट किए जाने के बाद ख़त्म हो गया.
सर्वोच्च न्यायालय ने शरीफ़ और उनके परिवार के ख़िलाफ़ लगे आरोपों की जांच के लिए इसी साल मई में संयुक्त जांच दल (जेआईटी) का गठन किया था. जेआईटी ने गत 10 जुलाई को अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी थी.
जेआईटी ने कहा कि शरीफ़ और उनकी संतानों की जीवनशैली उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से कहीं ज़्यादा विस्तृत है. दल ने उनके ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार का नया मामला दर्ज करने की अनुशंसा की थी.
शरीफ ने जेआईटी की रिपोर्ट को खारिज़ करते हुए इसे बेबुनियाद आरोपों का पुलिंदा करार दिया था और पद छोड़ने से इनकार किया था.
गत 21 जुलाई को शीर्ष अदालत ने सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
फैसले के मद्देनज़र इस्लामाबाद पुलिस ने विशेष सुरक्षा प्रबंध किए और राजधानी के मध्य रेड ज़ोन इलाके को आम लोगों के लिए बंद कर दिया. इस इलाके में सर्वोच्च न्यायालय सहित कई महत्वूर्ण इमारतें हैं.
इस मामले में नवाज़ शरीफ़ के अलावा उनकी बेटी मरयम नवाज़, बेटे हुसैन नवाज़ और हसन नवाज़ और दामाद सफ़दर अवान आरोपी थे.
शरीफ़ के खिलाफ़ याचिका दायर करने वालों में इमरान खान, शेख रशीद और सिराजुल हक शामिल हैं. याचिका में प्रधानमंत्री और उनके परिवार के साथ कई सरकारी अधिकारियों और विभागों को उत्तर दाता बनाया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से सहयोग के साथ)