वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा प्रस्तावित इस योजना से देहरादून के भारतीय वन्यजीव संस्थान, भोपाल के भारतीय वन प्रबंधन संस्थान, बेंगलुरु के भारतीय प्लाइवुड उद्योग अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, चेन्नई के सीपीआर पर्यावरणीय शिक्षा केंद्र और अहमदाबाद का पर्यावरण शिक्षा केंद्र प्रभावित होंगे.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन पांच प्रमुख पर्यावरण, वन्यजीव, वन संस्थानों की फंडिग में कटौती करने की योजना बना रही है. इसके साथ ही केंद्र इन संस्थानों के कामकाज से भी अपने-आप को पीछे कर लेगा.
वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा प्रस्तावित इस योजना से देहरादून के भारतीय वन्यजीव संस्थान, भोपाल के भारतीय वन प्रबंधन संस्थान, बेंगलुरु के भारतीय प्लाइवुड उद्योग अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान, चेन्नई के सीपीआर पर्यावरणीय शिक्षा केंद्र और अहमदाबाद का पर्यावरण शिक्षा केंद्र प्रभावित होंगे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त सचिव (कैबिनेट) आशुतोष जिंदल ने इस संबंध में बीते नौ अक्टूबर को एक मेमोरैंडम जारी किया और इससे संबंधित पत्र पर्यावरण मंत्रालय के सचिव के पास भी भेजा गया है. रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय के अधीन 16 स्वायत्त संस्थानों की समीक्षा करने के बाद ये फैसला लिया गया है.
व्यय सचिव टीवी सोमानाथन ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, ‘यह रिपोर्ट सामान्य वित्त नियम 2017 के नियम 229 के तहत निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार तैयार की गई है. रिपोर्ट का उद्देश्य स्वायत्त निकायों को तर्कसंगत बनाना है, ताकि ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ के उद्देश्य को आगे बढ़ाया जा सके.’
सरकारी ज्ञापन के अनुसार, दो चरणों में इस योजना को लागू किया जाएगा. पहले समयबद्ध तरीके से संस्थाओं को दी जाने वाली सरकारी सहायता कम की जाएगी. इसके बाद संबंधित उद्योगों/हितधारकों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.
प्रस्तावों में आगे कहा गया है कि केंद्र तीन साल की समयसीमा के भीतर धीर-धीरे करके फंडिग कम करेगा, जिसमें से प्रति वर्ष 25 फीसदी की कटौती की जाएगी.
पत्र के अनुसार, भारतीय वन्यजीव संस्थान और भारतीय वन प्रबंधन संस्थान को स्वायत्त संस्थान या डीम्ड यूनिवर्सिटी में परिवर्तित किया जा सकता है. यह भी सिफारिश की गई है कि सीपीआर पर्यावरण शिक्षा केंद्र और पर्यावरण शिक्षा केंद्र को सरकार से पूरी तरह से जोड़ा जाए, क्योंकि उन्हें 2017 के बाद से कोई सरकारी धन प्राप्त नहीं हुआ है.
बेंगलुरु के भारतीय प्लाइवुड उद्योग अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान मामले में अगले तीन वर्षों में चरणबद्ध तरीके से प्रत्येक वर्ष 25 फीसदी बजट में कमी का प्रस्ताव रखा गया है.
आखिर में ज्ञापन में कहा गया है कि कोयम्बटूर के सालिम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री, जो कि पर्यावरण मंत्रालय के अधीन है, को मंत्रालय के नियमित कामकाज के तहत लाया जाना चाहिए.
इसके अलावा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण सहित पर्यावरण मंत्रालय के अन्य निकायों को सरकार के अधीन कार्य करने की इजाजत दी गई है, लेकिन उन्हें ‘स्व-वित्तपोषित’ बनने के लिए प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया गया है.