तेलंगाना में कालेश्वरम सिंचाई परियोजना को क़ानून का उल्लंघन कर पर्यावरण मंज़ूरी दी गई: एनजीटी

विश्व की सबसे बड़ी सिंचाई और पेयजल कालेश्वरम बहुउद्देशीय लिफ्ट सिंचाई परियोजना का उद्घाटन पिछले साल मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने किया था. एनजीटी ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि पेयजल आपूर्ति को छोड़कर वे अगले आदेश तक इस प्रोजेक्ट के सभी कामों पर रोक लगाएं.

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विश्व की सबसे बड़ी सिंचाई और पेयजल कालेश्वरम बहुउद्देशीय लिफ्ट सिंचाई परियोजना का उद्घाटन पिछले साल मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने किया था. एनजीटी ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि पेयजल आपूर्ति को छोड़कर वे अगले आदेश तक इस प्रोजेक्ट के सभी कामों पर रोक लगाएं.

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कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना. (फोटो साभार: ट्विटर/@KTRTRS)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मंगलवार को कहा कि तेलंगाना में कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना को कानूनी आवश्यकताओं का उल्लंघन करते हुए ‘पिछली तारीख से प्रभावी’ पर्यावरण मंजूरी दी गई है.

एनजीटी ने इसके साथ ही इससे हुए नुकसान का आकलन करने और इसकी भरपाई के लिए उठाए जाने वाले जरूरी कदमों को सुझाने के लिये एक समिति का गठन किया.

अधिकरण ने पर्यावरण और वन मंत्रालय को सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन करने और अपनाए जाने वाले राहत और पुनर्वास उपाय सुझाने को कहा.

एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह रुख अस्वीकार्य है कि पर्यावरण मंजूरी दिए जाने से पहले क्रियान्वित परियोजना का सिंचाई से कोई लेना-देना नहीं है.

अधिकरण ने कहा कि तेलंगाना सरकार विस्तार के बारे में लिए गए फैसले को न तो पर्यावरण संबंधी मंजूरी प्राप्त है और न ही वह मान्य है.

पीठ ने कहा, ‘हम परियोजना प्रस्तावक के इस रुख को स्वीकार करने में असमर्थ हैं कि प्राथमिक रूप से परियोजना जल आपूर्ति और जल प्रबंधन के लिए है और सिंचाई इस परियोजना का सहायक भाग है इसलिए 2008 से 2017 तक परियोजना के क्रियान्वयन से पहले पर्यावरण मंजूरी जरूरी नहीं थी.’

अधिकरण ने कहा, ‘हम इस बात से भी सहमत नहीं हैं कि राज्य सरकार ने परियोजना में मंजूरी मिलने तक सिंचाई से जुड़ा कोई निर्माण कार्य नहीं किया और उस अवधि में सिर्फ पेयजल आपूर्ति से संबंधित विनिर्माण ही किए.’

अधिकरण ने कहा कि लिफ्ट सिंचाई परियोजना को कानूनी आवश्यकताओं का उल्लंघन करते हुए ‘पिछली तारीख से प्रभावी’ पर्यावरण मंजूरी दी गई.

पीठ ने कहा, ‘सभी गतिविधियां स्पष्ट रूप से सिंचाई परियोजना का हिस्सा हैं, जिन्हें अलग-अलग नहीं किया जा सकता है. यह स्वीकार करना मुश्किल है कि ऐसी सभी गतिविधियां सिर्फ पेयजल आपूर्ति के लिए हैं.’

उसने कहा कि परियोजना का पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव हुआ है और यह कभी भी पूरी तरह से जलापूर्ति परियोजना नहीं थी.

अधिकरण ने पर्यावरण मंत्रालय के संबंधित सचिव को इस परियोजना की निगरानी करने का निर्देश दिया और कहा कि प्रभावित पक्ष को तीन सप्ताह के भीतर इस संबंध में मंत्रालय को अभिवेदन देने की छूट होगी.

 

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एनजीटी ने तेलंगाना सरकार को निर्देश दिया है कि सिर्फ पेयजल आपूर्ति को छोड़कर वे अगले आदेश तक इस प्रोजेक्ट के सभी कार्यों पर रोक लगाएं.

इसके अलावा अधिकरण ने यह भी कहा कि इस परियोजना को आगे बढ़ाने से पहले राज्य सरकार वन मंजूरी भी ले.

विश्व की सबसे बड़ी सिंचाई और पेयजल परियोजना कालेश्वरम बहुउद्देशीय लिफ्ट सिंचाई परियोजना का उद्घाटन पिछले साल तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने किया था.

इसका उद्देश्य हैदराबाद और सिकंदराबाद के अलावा तेलंगाना के 31 में से 20 जिलों में लगभग 45 लाख एकड़ में पीने और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना है.

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 22 दिसंबर, 2017 को करीमनगर जिले में परियोजना को दी गई पर्यावरण मंजूरी को एनजीटी द्वारा 12 अक्टूबर को रद्द कर दिया गया था.

तेलंगाना निवासी मोहम्मद हयातुद्दीन की याचिका पर एनजीटी का यह फैसला आया है, जिन्होंने आरोप लगाया था कि बिना पर्यावरण और अन्य वैधानिक मंजूरियों के योजना का निर्माण शुरू किया गया.

वकीलों संजय उपाध्याय और सालिक शफीक के माध्यम से दाखिल याचिका में वन्य क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई, विस्फोट करने तथा सुरंगों की खुदाई जैसी गैर वन्य गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.

ये गतिविधियां वन संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन करके चलाई जा रही थीं.

याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में कहा था, ‘पर्यावरण की मंजूरी के लिए आवेदन करने से पहले इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया जा रहा था. परियोजना के लिए मंगाई गई निविदाओं से पता चलता है कि तेलंगाना के ऊपर के क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता में सुधार के लिए एक प्रमुख सिंचाई परियोजना के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा था. लिफ्ट सिंचाई योजना में तेलंगाना की लगभग 32,000 हेक्टेयर भूमि, 3211.2974 हेक्टेयर वन भूमि और लगभग 302 हेक्टेयर भूमि, जिसमें महाराष्ट्र की भी कुछ वन भूमि शामिल है, का इस्तेमाल किया जाना है. दोनों राज्यों ने संयुक्त सिंचाई परियोजनाओं के लिए एक अंतर-राज्यीय बोर्ड का गठन किया, जिसमें से एक परियोजना कलेश्वरम लिफ्ट सिंचाई प्रणाली थी.’

एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि प्रोजेक्ट से जुड़े कुछ कार्य पूरा होने के बाद पर्यावरणीय मंजूरी देने के अलावा एक आरोप यह भी है कि ये मंजूरी भी बिना विचार और कई प्रक्रियात्मक अनियमितताओं को नजरअंदाज करते हुए दी गई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)