केंद्र के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब ने पास किया विधेयक

केंद्र के विवादित कृषि क़ानूनों को बेअसर करने के लिए छत्तीसगढ़ और राजस्थान की कांग्रेस सरकारों ने भी पंजाब की तरह राज्य स्तर पर नए विधेयक पारित करने के लिए विधानसभा सत्र बुलाने की बात कही है.

पंजाब विधानसभा को संबोधित करते मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह. (फोटो: ट्विटर)

केंद्र के विवादित कृषि क़ानूनों को बेअसर करने के लिए छत्तीसगढ़ और राजस्थान की कांग्रेस सरकारों ने भी पंजाब की तरह राज्य स्तर पर नए विधेयक पारित करने के लिए विधानसभा सत्र बुलाने की बात कही है.

पंजाब विधानसभा को संबोधित करते मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह. (फोटो: ट्विटर)
पंजाब विधानसभा को संबोधित करते मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह. (फोटो: ट्विटर)

चंडीगढ़: पंजाब विधानसभा ने केंद्र के कृषि संबंधी नए कानूनों को खारिज करते हुए बीते 20 अक्टूबर को एक प्रस्ताव पारित किया तथा चार विधेयक पारित किए और कहा गया कि ये संसद द्वारा हाल में पारित तीन कानूनों को बेअसर करेंगे.

विधेयक और प्रस्ताव पंजाब में कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार द्वारा आहूत विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन पांच घंटे से अधिक समय की चर्चा के बाद पारित किए गए.

राज्य सरकार के इन विधेयकों में किसी कृषि समझौते के तहत गेहूं या धान की बिक्री या खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम पर करने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान है. इसमें कम से तीन वर्ष की कैद का प्रावधान है.

साथ ही इसमें किसानों को 2.5 एकड़ तक की जमीन की जब्ती से छूट दी गई है और कृषि उपज की जमाखोरी और कालाबाजारी की रोकथाम के उपाय किए गए हैं.

पंजाब का यह कदम कांग्रेस नेतृत्व द्वारा उन राज्यों को एक सुझाव दिए जाने के बाद आया है जहां पार्टी सत्ता में है. कांग्रेस नेतृत्व के इस सुझाव में कहा गया था कि वे केंद्र के कानूनों को बेअसर करने के लिए अपने कानून पारित करें.

हालांकि, राज्य के विधेयकों को कानून बनने से पहले राज्यपाल की मंजूरी की आवश्यकता होती है. राज्यपाल मंजूरी रोक सकते हैं और विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं.

केंद्र द्वारा लाए गए कानून फसलों की बिक्री नियंत्रण मुक्त करने तथा किसानों के लिए नए बाजार खोलने के लिए है, लेकिन इसको लेकर किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. ये विरोध प्रदर्शन विशेष तौर पर पंजाब और हरियाणा में हो रहे हैं.

विपक्ष और किसान संघों का दावा है कि नए कानूनों से एमएसपी प्रणाली खत्म हो जाएगी, हालांकि केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार ने बार-बार इससे इनकार किया है.

पंजाब के ये नए विधेयक नई उपधारा जोड़ते हैं और तीन केंद्रीय कानूनों के प्रावधानों में संशोधन करते हैं. राज्य सरकार की दलील है कि यह किसानों को उनके प्रभाव से ‘बचाएगा.’

इसके साथ ही पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने ‘दीवानी प्रक्रिया संहिता (पंजाब संशोधन), विधेयक, 2020’ पेश किया जिसका उद्देश्य किसानों को किसी समझौते या अन्य किसी कारण के परिणामस्वरूप जमीन की कुर्की से संरक्षण प्रदान करना है.

सदन द्वारा पारित प्रस्ताव में तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के साथ ही केंद्र के प्रस्तावित बिजली (संशोधन) विधेयक, 2020 को खारिज किया गया.

इसमें एमएसपी पर खाद्यान्न की खरीद को किसानों के लिए एक वैधानिक अधिकार बनाने के लिए एक नए केंद्रीय अध्यादेश की घोषणा करने और यह सुनिश्चित करने की मांग की गई कि भारतीय खाद्य निगम और अन्य एजेंसियां उनसे खरीद जारी रखें.

इस प्रस्ताव में किसान समुदाय की चिंताओं पर केंद्र के ‘कठोर और दूसरों का ध्यान नहीं रखने वाले रवैये’ पर राज्य विधानसभा की ओर से ‘गहरा अफसोस’ व्यक्त किया गया.

इसमें कहा गया, ‘प्रस्तावित बिजली (संशोधन) विधेयक, 2020 के साथ ये तीन कानून स्पष्ट रूप से किसानों और भूमिहीन श्रमिकों के हितों के खिलाफ हैं और न केवल पंजाब बल्कि पंजाब, हरियाणा, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मूल हरित क्रांति क्षेत्रों में भी स्थापित कृषि विपणन प्रणाली के खिलाफ हैं.’

बिजली (संशोधन) विधेयक, 2020 एक नए टैरिफ और सब्सिडी संरचना प्रस्तावित करता है. प्रस्ताव में यह भी दलील दी गई कि नए कानून संविधान के खिलाफ हैं, क्योंकि कृषि राज्य सूची का विषय है.

इसमें कहा गया है, ‘ये कानून राज्यों पर सीधा हमला है और उसकी उन शक्तियों एवं कार्यों का अतिक्रमण है, जो देश के संविधान में उल्लिखित है.’

शिरोमणि अकाली दल विधायक बिक्रम सिंह मजीठिया ने इस कदम का स्वागत किया लेकिन राज्य सरकार से तब तक किसानों को एमएसपी की गारंटी देने का आग्रह किया जब तक इन विधेयकों को राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिल जाती.

अमरिंदर सिंह ने कहा कि यदि संवैधानिक प्राधिकारी अपनी मंजूरी नहीं देते तो राज्य के पास कानूनी रास्ते का विकल्प है.

उन्होंने कहा, ‘मैंने स्पष्ट किया है कि विधेयक राज्यपाल के पास जाएंगे जो उसे मंजूरी दे सकते हैं और नहीं भी दे सकते हैं. इसी तरह से यदि विधेयक राष्ट्रपति के पास जाते हैं, वह उन्हें मंजूरी दे सकते हैं या नहीं दे सकते हैं. लेकिन हमारे पास इसे अदालतों में आगे बढ़ाने के लिए विधि विशेषज्ञ हैं.’

राज्य सरकार द्वारा पारित कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक-2020 में एमएसपी से कम कीमत पर बिक्री या खरीद पर सजा का प्रावधान है.

कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन विधेयक, 2020 में केंद्रीय कानून की धाराओं में संशोधन करने का प्रयास किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि धान या गेंहू एसएसपी से कम कीमत पर न खरीदा जाए.

आवश्यक वस्तु (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक 2020 कालाबाजारी और जमाखोरी रोकने के लिए है.

पंजाब सरकार के विधेयकों में पंजाब कृषि उपज बाजार कानून, 1961 पर चार जून की यथास्थिति बरकरार रखने का उल्लेख किया गया है.

अमरिंदर ने विपक्षी अकाली दल और आप के ‘दोहरे मानदंड’ की आलोचना की

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर विपक्षी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और आम आदमी पार्टी (आप) पर ‘दोहरा मानदंड’ अपनाने का बुधवार को आरोप लगाया.

सिंह ने कहा कि दोनों विपक्षी पार्टियों, शिरोमणि अकाली दल और आप ने विधानसभा में इस विधेयक को पारित कराये जाने में समर्थन किया. बाद में बाहर जाकर वे सार्वजनिक रूप से इसकी आलोचना कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैं हैरान हूं कि विधानसभा में उन्होंने विधेयकों के समर्थन में बोला और यहां तक कि मेरे साथ राज्यपाल से मिलने भी गए, लेकिन बाहर जाकर अलग बातें बोलीं. यह उनके दोहरे मानदंड को प्रदर्शित करता है.’

उल्लेखनीय है कि विधानसभा में विधेयकों का समर्थन करने के बाद शिअद ने मंगलवार को अमरिंदर से यह आश्वासन मांगा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य देने में केंद्र के नाकाम रहने पर राज्य सरकार फसल की खरीद करेगी.

विपक्ष के नेता हरपाल चीमा (आप) ने बाद में मंगलवार शाम एक बयान में कहा था, ‘पंजाब सरकार राज्य के लोगों को बेवकूफ बना रही है.’ हालांकि, आप ने विधानसभा में विधेयकों का समर्थन किया था.

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘यदि केंद्र को लगता है कि मैंने कुछ गलत किया है तो वह मुझे बर्खास्त कर सकती है, मैं डरता नहीं हूं. मैंने पहले भी दो बार इस्तीफा दिया है और यह फिर से कर सकता हूं. आखिरी सांस तक किसानों के अधिकारों के लिए लड़ेंगे.’

किसान संघों का मालगाड़ियों को चलने देने का निर्णय

पंजाब में किसान संघों ने तीन सप्ताह लंबे अपने ‘रेल रोको’ आंदोलन में नरमी लाते हुए राज्य में मालगाड़ियों को चलने देने की बुधवार को घोषणा की.

किसान नेता सतनाम सिंह ने कहा कि यह निर्णय कोयले और डायमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) उर्वरक की कमी को ध्यान में रखते हुए किया गया.

बुधवार को उन्होंने कहा, ‘हमने आज से पांच नवंबर तक केवल मालगाड़ियों को चलने देने का निर्णय किया है.’ यह घोषणा यहां विभिन्न किसान संगठनों की एक बैठक के बाद आई.

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस घोषणा का स्वागत किया और कहा कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था और उसकी बहाली के हित में है.

उन्होंने कहा कि किसानों ने इस कदम से पंजाब के लोगों के प्रति प्रेम और चिंता दिखायी है, क्योंकि इससे राज्य को कोयले की आपूर्ति मिल सकेगी जिसकी उसे जरूरत थी.

हालांकि प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि वे राज्य में कुछ कॉरपोरेट, टोल प्लाजा और भाजपा नेताओं के आवासों के बाहर धरना जारी रखेंगे.

भारतीय किसान यूनियन (दाकुन्डा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा, ‘आगामी कदम की घोषणा चार नवंबर को होने वाली बैठक में की जाएगी.’

पंजाब सरकार राज्य में ताप विद्युत संयंत्रों के लिए कोयले की भारी कमी के मद्देनजर प्रदर्शनकारी किसानों से अपने रेल रोको आंदोलन को नरम करने का आग्रह कर रही थी.

कई औद्योगिक संगठनों ने भी आंदोलन के कारण अपना कच्चा माल नहीं मिलने की शिकायत की थी.

राज्य में किसानों ने कई किसान संघों के आह्वान पर एक अक्टूबर से रेल पटरियों को अवरुद्ध कर दिया था. कुछ रेल पटरियां 24 सितंबर से अवरुद्ध थीं.

पंजाब विधानसभा द्वारा केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ मंगलवार को पारित चार विधेयकों पर, भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि यह किसानों के आंदोलन की ‘बड़ी उपलब्धि’ है.

पंजाब विधानसभा के विधेयकों का अच्छी तरह अध्ययन करेंगे: केंद्रीय कृषि मंत्री

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को कहा कि पंजाब विधानसभा द्वारा पारित विधेयक जब केंद्र के पास आएंगे तो केंद्र सरकार उनका अच्छी तरह अध्ययन करेगी और किसानों के हित में कदम उठाएगी.

उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में किसानों के हितों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. मेरी जानकारी में आया है कि पंजाब विधानसभा में कृषि सुधार कानूनों के संबंध में विधेयक पारित किए गए हैं. विधानसभा का फैसला जब केंद्र के पास आएगा, तो भारत सरकार इसका अच्छी तरह अध्ययन करेगी और किसानों के हित में कार्रवाई करेगी.’

पंजाब के नक्शेकदम पर चलेंगे छत्तीसगढ़ और राजस्थान

केंद्र के विवादित कृषि कानूनों को बेअसर करने के लिए छत्तीसगढ़ और राजस्थान की कांग्रेस सरकारें भी पंजाब के नक्शेकदम पर चलते हुए राज्य स्तर पर नए विधेयक पारित करेंगी.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते 20 अक्टूबर को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों का किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, इसलिए उनकी सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर कानून बनाएगी जिससे केंद्रीय कृषि कानूनों के कारण छत्तीसगढ़ के किसान और मजदूर प्रभावित न हो.

वहीं, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा है कि राजस्थान सरकार भी केंद्र द्वारा हाल ही में पारित कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ विधेयक लाएगी और इसके लिए जल्द ही राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा.

20 अक्टूबर को गहलोत ने ट्वीट किया, ‘आज पंजाब की कांग्रेस सरकार ने इन कानूनों के विरुद्ध विधेयक पारित किये हैं और राजस्थान भी शीघ्र ऐसा ही करेगा.’

बयान के अनुसार, राज्य मंत्री परिषद ने फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की अनिवार्यता पर जोर दिया.

साथ ही, व्यापारियों द्वारा किसानों की फसल खरीद के प्रकरण में विवाद होने की स्थिति में उसके निपटारे के लिए दीवानी अदालत के अधिकारों को बहाल रखने पर भी चर्चा की.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)