मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव: महिलाओं के ख़िलाफ़ अभद्र टिप्पणी और कोराना​ निर्देशों का उल्लंघन

मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव के दौरान कांग्रेस नेता कमलनाथ ने भाजपा की महिला उम्मीदवार को आइटम कह दिया था. दूसरी ओर राज्य सरकार में मंत्री और अनूपपुर से भाजपा उम्मीदवार बिसाहू लाल साहू ने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी की पत्नी के लिए अभद्र शब्द कहे. इस बीच चुनावी सभाओं में ​कोरोना निर्देशों के उल्लंघन पर हाईकोर्ट ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और कमलनाथ पर केस दर्ज करने के आदेश दिए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव के दौरान कांग्रेस नेता कमलनाथ ने भाजपा की महिला उम्मीदवार को आइटम कह दिया था. दूसरी ओर राज्य सरकार में मंत्री और अनूपपुर से भाजपा उम्मीदवार बिसाहू लाल साहू ने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी की पत्नी के लिए अभद्र शब्द कहे. इस बीच चुनावी सभाओं में कोरोना निर्देशों के उल्लंघन पर हाईकोर्ट ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और कमलनाथ पर केस दर्ज करने के आदेश दिए हैं.

(फोटो: पीटीआई)
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ग्वालियर/नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के लिए तीन नवंबर को होने वाले उपचुनाव को नेताओं द्वारा महिलाओं पर की गई अभद्र टिप्पणी और कोरोना वायरस के दौरान में नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए सभाएं करने के लिए जाना जाएगा.

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने जहां मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री और उपचुनाव में डबरा सीट से भाजपा की महिला उम्मीदवार को आइटम कह दिया. ये मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि मध्य प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री और अनूपपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी बिसाहू लाल साहू ने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी की पत्नी के बारे में अमर्यादित शब्दों को इस्तेमाल किया.

बहरहाल, उपचुनाव के लिए प्रचार के दौरान चुनाव सभाओं में कोविड-19 के दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मंगलवार को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर प्राथमिकी दर्ज करने के अंतरिम आदेश दिए हैं.

इसके साथ ही अदालत ने ‘फिजीकल’ चुनाव सभाओं पर रोक लगाते हुए केवल ‘वर्चुअल’ सभा करने के लिए कहा है और इसकी जिम्मेदारी संबंधित कलेक्टरों के साथ-साथ चुनाव आयोग को सौंपी गई है.

जस्टिस शील नागू और जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव की युगल पीठ ने आशीष प्रताप सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए हैं.

इस मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी. याचिकाकर्ता के वकील सुरेश अग्रवाल ने यह जानकारी दी है.

उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने नौ जिलों के कलेक्टरों को कई बार कोविड-19 के दिशानिर्देशों के अनुरूप चुनाव सभाओं के लिए आदेश दिए, लेकिन हमेशा इसका पालन नहीं हुआ.

इस वजह से अब हाईकोर्ट ने सभी फिजीकल चुनाव सभाओं पर रोक लगाई है और केवल वर्चुअल सभाएं करने की अनुमति दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि यदि किसी प्रत्याशी को चुनाव सभा आयोजित करनी है तो उसे कलेक्टर के यहां आवेदन करके यह बताना होगा कि वर्चुअल सभा में क्या परेशानी है. इस आवेदन पर यदि कलेक्टर संतुष्ट होते हैं तो उसे चुनाव आयोग के पास यह आवेदन आगे भेजना होगा.

अग्रवाल ने बताया कि इसके साथ प्रत्याशी को कोविड-19 के दिशानिर्देशों के तहत जितने लोगों की अनुमति सभा के लिए यदि प्रत्याशी को मिलती है तो उसे कलेक्टर के पास मास्क और सैनिटाइजर के लिए दोगुनी राशि जमा करानी होगी और जितने लोगों को सभा में बुलाया जा रहा है, उन्हें मास्क और सैनिटाइजर देकर शामिल होने दिया जा रहा है तथा सभा में सोशल डिस्टेंस सही तरीके से रखा जा रहा है.

प्रत्याशी को इस आशय का एक हलफनामा भी देना होगा, तभी उसे फिजिकल चुनाव रैली की अनुमति मिलेगी.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘हम माननीय न्यायालय का सम्मान करते हैं, लेकिन इस फैसले के संबंध में सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं.’

कोर्ट के आदेश के बाद शिवराज ने गुरुवार को अशोकनगर के शाडोरा और भांडेर में बराच की सभाएं निरस्त कर दीं और वहां के लोगों से माफी मांगी.

शिवराज ने कहा, ‘मध्य प्रदेश के एक हिस्से में रैली और सभा हो सकती है और दूसरे हिस्से में नहीं हो सकती. बिहार में सभाएं हो रही हैं, रैलियां हो रही हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के एक हिस्से में सभाएं नहीं हो सकती. हमें विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट में न्याय मिलेगा.’

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने चुनाव आयोग के नियमों को लेकर कहा कि भाजपा चुनाव आयोग और न्यायालय में भरोसा करने वाली पार्टी है. कोविड-19 को देखते हुए चुनाव आयोग ने जो फैसला किया है, सभी को उसका पालन करना चाहिए.

निर्वाचन आयोग ने ‘आइटम’ टिप्पणी के लिए कमलनाथ को नोटिस जारी किया

निर्वाचन आयोग ने भाजपा उम्मीदवार और मंत्री इमरती देवी के बारे में ‘आइटम’ टिप्पणी को लेकर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ को बुधवार को नोटिस जारी किया.

आयोग ने कहा कि उनकी टिप्पणी विधानसभा उपचुनाव के कारण राज्य में लागू आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है.

नोटिस में कहा गया है, ‘इसलिए आयोग आपको अपने उपरोक्त बयान के लिए यह नोटिस मिलने के 48 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण देने का मौका दे रहा है. ऐसा नहीं होने पर निर्वाचन आयोग इस संबंध में कदम उठाएगा.’

मध्य प्रदेश में डबरा सीट पर तीन नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए प्रचार के दौरान एक सभा को संबोधित करते हुए कमलनाथ ने रविवार को कहा था कि कांग्रेस के प्रत्याशी ‘सामान्य व्यक्ति’ हैं जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी ‘आइटम’ हैं. भाजपा ने डबरा सीट पर इमरती देवी को प्रत्याशी बनाया है.

इसके जवाब में इमरती देवी ने उन्हें कलंकनाथ की उपाधि दी थी.

उनकी इस टिप्पणी पर विरोध शुरू हो गया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा नेताओं ने कमलनाथ के खिलाफ प्रदर्शन किया. राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी कमलनाथ से उनकी टिप्पणी के लिए स्पष्टीकरण मांगा.

कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ ने अपनी टिप्पणी के लिए खेद जताया था और कहा था कि उन्होंने कुछ भी असम्मानजनक नहीं कहा है.

निर्वाचन आयोग के नोटिस में कहा गया कि उसे कमलनाथ के खिलाफ भाजपा से एक शिकायत मिली है तथा राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इसका संदर्भ दिया है.

नोटिस में कहा गया, ‘आयोग ने ग्वालियर के डबरा में 18 अक्टूबर को कमलनाथ द्वारा दिए गए भाषण के वीडियो क्लिप और टिप्पणी के विवरण पर गौर किया है और इस बयान को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना है.’

वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंत्री इमरती देवी के खिलाफ ‘आइटम’ टिप्पणी पर मंगलवार को नाराजगी जाहिर करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया था.

गांधी ने संवाददाताओं से कहा, ‘महिला के खिलाफ कोई भी इस तरह अभद्र व्यवहार नहीं कर सकता. कमलनाथ जी मेरी पार्टी के हैं. लेकिन मैं निजी तौर पर इस तरह की भाषा को पसंद नहीं करता जिस तरह की भाषा कमलनाथ जी ने इस्तेमाल की. मैं इसका समर्थन नहीं करता. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.

एनडीटीवी के अनुसार, इस पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की बात कभी नहीं सुनी.

चौहान ने कहा था, ‘राहुल गांधी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है, जबकि कमलनाथ जी कह रहे हैं कि यह उनकी राय है. वो नेता की बात का ध्यान नहीं दे रहे हैं. यह अनुशासनहीनता है. मैं समझ नहीं सकता कि अब कांग्रेस कार्यकर्ता किसकी बात को सुनेंगे, राहुल जी या कमलनाथ जी?’

बता दें कि भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मार्च में भाजपा का दामन थामने वाले 22 विधायकों में से इमरती देवी भी थीं. इन सभी ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद कमलनाथ सरकार गिर गयी थी.

कमलनाथ के बाद प्रदेश सरकार के मंत्री और भाजपा प्रत्याशी के बिगड़े बोल

कमलनाथ की टिप्पणी पर हो रहा विवाद अभी थमा नहीं था कि राज्य के अनूपपुर से भाजपा उम्मीदवार बिसाहू लाल साहू का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें वे अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह कुंजाम की पत्नी के खिलाफ अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं.

वीडियो में साहू कथित तौर पर कह रहे हैं कि विश्वनाथ सिंह ने चुनावी फॉर्म में अपनी पहली पत्नी का ब्योरा नहीं दिया है और दूसरी औरत का ब्योरा दिया है. इस दौरान साहू उनके बारे में अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं.

इस घटना के बाद कांग्रेस नेता की पत्नी पर अभद्र टिप्पणी को लेकर बिसाहू लाल साहू के खिलाफ कोतवाली अनूपपुर में आपराधिक मामला दर्ज किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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