लक्ष्मी विलास होटल मामला: राजस्थान हाईकोर्ट ने अरुण शौरी व अन्य के ख़िलाफ़ कार्यवाही पर रोक लगाई

राजस्थान की एक विशेष अदालत ने उदयपुर के होटल की बिक्री मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और तत्कालीन विनिवेश सचिव प्रदीप बैजल के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने अपने अगले आदेश तक अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए मामले के रिकॉर्ड मांगे हैं.

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी. (फोटो: द वायर)

राजस्थान की एक विशेष अदालत ने उदयपुर के होटल की बिक्री मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और तत्कालीन विनिवेश सचिव प्रदीप बैजल के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने अपने अगले आदेश तक अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए मामले के रिकॉर्ड मांगे हैं.

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी. (फोटो: द वायर)
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी. (फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: राजस्थान हाईकोर्ट ने साल 2002 में उदयपुर के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल की बिक्री से संबंधित एक मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और अन्य के खिलाफ सीबीआई अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी है.

इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस विजय बिश्नोई ने आदेश दिया कि ‘ट्रायल कोर्ट अगले आदेश तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही नहीं करेगा.’

हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से मामले के रिकॉर्ड भी मांगे और तीन सप्ताह के बाद मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए शौरी ने कहा कि लक्ष्मी विलास होटल के विनिवेश की प्रक्रिया को राजस्थान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के समक्ष एक ही व्यक्ति द्वारा दो बार चुनौती दी गई थी, लेकिन 2002 और 2006 में दोनों बार खारिज कर दिया गया था.

उन्होंने कहा कि याचिकाओं को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने विशेष रूप से कहा कि उनके सामने कोई ऐसा रिकॉर्ड पेश नहीं की गई है कि मनमाना मूल्य पर शेयर्स बेचे गए थे.

शौरी ने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट ने उनको सुने बिना आरोप लगया कि उनका ‘दोहरा चरित्र’ है.

उन्होंने कहा कि निचली अदालत को उच्चतर अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पालन करना चाहिए, लेकिन यहां पर ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश में उच्च न्यायालय द्वारा की गई विशिष्ट टिप्पणियों को नजरअंदाज किया गया है.

साल 2002 में लक्ष्मी विलास होटल खरीदने वाली भारत होटल्स लिमिटेड की ज्योत्सना सूरी के लिए पेश हुए वरिष्ठ वकील पीपी चौधरी ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने विनिवेश समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने का निर्णय लिया था, जिसके बाद लक्ष्मी विलास होटल का विनिवेश किया गया था.

चौधरी ने सीबीआई अदालत के आदेश को अवैध करार दिया और कहा कि भारत होटल्स लिमिटेड ने लक्ष्मी विलास होटल के लिए 7.52 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी, जो आरक्षित मूल्य से 25 प्रतिशत अधिक था, जिसके बाद इसकी बोली स्वीकार कर ली गई.

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया एसवी राजू ने भी कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश ‘कानून की नजर में उचित नहीं है.

उन्होंने कहा कि सीबीआई ने इस मामले में दो बार क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है जिसमें एफआईआर में नामजद किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई अपराध न किए जाने का दावा किया गया है.

उन्होंने कहा कि इसके बावजूद ट्रायल कोर्ट ने सीबीआई की दलीलों को दरकिनार करते हुए अवैध आदेश पारित किया है.

सितंबर महीने में जोधपुर की एक विशेष अदालत ने सीबीआई को आईटीडीसी (भारत पर्यटन विकास निगम) के उदयपुर स्थित लक्ष्मी विलास होटल की बिक्री संबंधी मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और तत्कालीन विनिवेश सचिव प्रदीप बैजल के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया था.

आरोप है कि इस बिक्री से राजकोष को 224 करोड़ रुपये का कथित घाटा हुआ. सीबीआई की अदालत ने दो दशक पहले उदयपुर में लक्ष्मी विलास पैलेस होटल की बिक्री करने से जुड़े तीन अन्य लोगों के खिलाफ भी मामले दर्ज करने का आदेश दिया है.

अदालत ने सीबीआई द्वारा मामला बंद करने के लिए अगस्त 2019 में दायर की गई क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी और एजेंसी को मामले की फिर से जांच करने का आदेश दिया.

विशेष न्यायाधीश पूर्ण कुमार शर्मा ने कहा था कि पत्रकार के रूप में शौरी ने बहसों एवं साक्षात्कारों के दौरान भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी. कोर्ट ने कहा कि ‘यह भ्रष्टाचार के मामले पर उनके दोहरे मापदंड को दर्शाता है.’