भारतीय पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) केंद्र सरकार का ही पर्यटन विंग है, जो अशोका होटल समूह का संचालन करता है. रेलवे 1968 से संसद परिसर की कैंटीन में भोजन की व्यवस्था कर रहा था.
नई दिल्ली: बीते 52 सालों से संसद परिसर में राजनेताओं को खाना खिलाने की जिम्मेदारी उठा रहा भारतीय रेलवे अब इस जिम्मेदारी से मुक्त होने वाला है. अगले महीने से संसद परिसर के सभी कैंटीन और रसोईघरों में खाने बनाने की जिम्मेदारी एक नई एजेंसी को मिल जाएगी.
यह जिम्मेदारी अब भारतीय पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) को मिलने जा रही है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर रेलवे, जो पार्लियामेंट हाउस एस्टेट- कैंटीन, एनेक्सी, लाइब्रेरी भवन और विभिन्न पैंट्रियों- में खाना परोसने का सभी इंतजाम देखता था, उसे लोकसभा सचिवालय से एक पत्र मिला है, जिसमें उससे 15 नवंबर तक परिसर खाली कर कंप्यूटर, प्रिंटर, फर्नीचर सहित सभी तरह के उपकरण आईटीडीसी को सौंपने को कहा है.
संसद और रेलवे के अधिकारियों ने इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कहा है कि फिलहाल आईटीडीसी संसद परिसर में कैंटीन चलाएगा.
बता दें कि आईटीडीसी केंद्र सरकार का ही पर्यटन विंग है, जो अशोका होटल समूह का संचालन करता है.
संसद परिसर की कैंटीन से सांसदों, हाउस स्टाफ और आगंतुकों के लिए परोसे जाने वाला भोजन काफी किफायती दामों में उपलब्ध कराया जाता है.
आमतौर पर सांसदों की एक समिति संसद में खानपान की व्यवस्था की देखरेख करती है.
हालांकि, मौजूदा लोकसभा की समिति का गठन अभी तक नहीं हुआ है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि सचिवालय प्रशासन के स्तर पर इस फैसले को अंतिम रूप दिया गया है.
आमतौर पर संसद प्रशासन के साथ सांसदों की एक समिति संसद की कैंटीन में परोसे जाने वाले भोजन की दरें निर्धारित करती है. इसके साथ ही क्या खाना परोसा जाना है, यह काम भी इसी समिति का है.
अधिकारियों का कहना है कि संसद की कैंटीन से सालाना 15 से 18 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है.
रिपोर्ट के अनुसार, वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि कैंटीन के लिए रेलवे के स्थान पर अन्य विकल्पों पर यूपीए के कार्यकाल में ही विचार शुरू हो गया था, उस समय मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष थीं. संसद के एक अधिकारी का कहना है, ‘रेलवे के भोजन को लेकर आमतौर पर गुणवत्ता का सवाल उठता रहा है.’
बता दें कि संसद कैंटीन के लिए नया वेंडर तलाशने की प्रक्रिया इसी साल जुलाई में शुरू की गई थी.
लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने इस मुद्दे पर पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल और आईटीडीसी के अधिकारियों से मुलाकात भी की थी.
मालूम हो कि उत्तर रेलवे 1968 से संसद की कैंटीन में भोजन की व्यवस्था कर रहा था.
संसद में उत्तर रेलवे के 100 से अधिक स्टाफ जिसमें रसोइये, खाना परोसने वाले कर्मचारी, किचन स्टाफ और अन्य शामिल हैं. सदन की कार्यवाही के दौरान इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) के अतिरिक्त 75 कर्मचारियों को भी तैनात किया जाता था. संसद में तैनाती के लिए रेलवे के पास 417 कैटरिंग स्टाफ की मंजूरी थी.