पांच अगस्त का निर्णय वापस लिए बिना चुनाव लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं: महबूबा मुफ़्ती

अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के क़रीब 14 महीने बाद रिहा होने के बाद पहली बार मीडिया से बातचीत में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि भाजपा ने देश के संविधान को ध्वस्त कर दिया है और संविधान के स्थान पर अपना घोषणापत्र थोपना चाहती है.

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पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती. (फोटो: पीटीआई)

अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के क़रीब 14 महीने बाद रिहा होने के बाद पहली बार मीडिया से बातचीत में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि भाजपा ने देश के संविधान को ध्वस्त कर दिया है और संविधान के स्थान पर अपना घोषणापत्र थोपना चाहती है.

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती. (फोटो: पीटीआई)
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती. (फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को कहा कि जब तक जम्मू कश्मीर को लेकर पिछले साल पांच अगस्त को संविधान में किए गए बदलावों को वापस नहीं ले लिया जाता, तब तक उन्हें चुनाव लड़ने अथवा तिरंगा थामने में कोई दिलचस्पी नहीं है.

जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को पिछले वर्ष अगस्त में समाप्त किए जाने के बाद से महबूबा हिरासत में थीं.

पिछले साल अगस्त में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के करीब 14 महीने बाद रिहा होने के बाद पहली बार मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह तभी तिरंगा उठाएंगी, जब पूर्व राज्य का झंडा और संविधान बहाल किया जाएगा.

मालूम हो कि  सचिवालय पर तिरंगे के साथ जम्मू कश्मीर राज्य का झंडा भी लगा हुआ था, जिसे 5 अगस्त 2019 को राज्य से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान खत्म किए जाने के बाद हटा दिया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार मुफ़्ती ने कहा, ‘मेरा झंडा मेरी नजरों के सामने है. जब इसे बहाल किया जायेगा, तब हम दूसरा झंडा (तिरंगा) भी उठाएंगे. लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता, हम अपने हाथों में कोई और झंडा नहीं लेंगे. हमारा उस झंडे से रिश्ता इस झंडे ने बनाया है, वो इस झंडे से अलग नहीं है.’

उन्होंने कहा कि वे तिरंगा तभी उठाएंगी, जब जम्मू कश्मीर का झंडा वापस आ जाएगा. मुफ़्ती ने यह भी कहा कि जब तक राज्य का विशेष दर्जा बहाल नहीं हो जाता तब तक वे चुनाव नहीं लड़ेंगी.

उन्होंने कहा, ‘जहां तक मेरी बात है, तो मुझे चुनाव में कोई दिलचस्पी नहीं है. जब तक वह संविधान हमें वापस नहीं मिल जाता जिसके तहत मैं चुनाव लड़ती थी, महबूबा मुफ्ती को चुनाव से कोई लेना देना नहीं है.’

उन्होंने कहा कि केंद्र जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की पार्टियों को बदनाम करने की कितनी कोशिश कर ले, लेकिन वह ऐसा कर नहीं पाएगा.

इसके साथ ही महबूबा ने आरोप लगाया कि तिरंगा झंडा संविधान का भाग था और भाजपा ने संविधान और झंडे को अपवित्र किया है.

मुफ्ती ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी ने देश के संविधान को ‘ध्वस्त’ कर दिया है और संविधान के स्थान पर अपना घोषणापत्र थोपना चाहती है.

उन्होंने कहा कि कुछ को छोड़कर देश में बाकी विपक्षी दलों ने यह सोचकर चुप्पी साध ली कि यह कश्मीर में हुआ है उनके साथ नहीं.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘लेकिन भाजपा ने तब उसी संविधान को ध्वस्त कर दिया, संशोधित नागरिकता कानून को पारित किया और लोगों को बांटने का काम किया. इसके बाद किसान विरोधी कानून लाए गए और अब मुझे लगता है कि वे दलितों, वंचित समुदायों के अधिकारों को छीन लेंगे.’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘भाजपा देश के संविधान को बदलकर अपना घोषणापत्र थोपना चाहती है लेकिन ऐसा नहीं हो पाएगा. हिटलर जैसे कई लोग आए और चले गए . यह तानाशाही नहीं चलेगी.’

मुफ्ती ने कहा कि भाजपा जम्मू कश्मीर के लोगों को पसंद नहीं करती और उसे केवल अपने ‘क्षेत्र’ की चिंता है . उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करने की लड़ाई जारी रखनी होगी.

यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी और गुपकर एलायंस जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव में हिस्सा लेंगे तो उन्होंने कहा कि एलांयस की शनिवार को होने वाली बैठक में इन सभी मुद्दों पर चर्चा होगी.

यह पूछे जाने पर कि चुनाव में हिस्सा नहीं लेने पर भाजपा को खुला रास्ता मिल जाएगा तो उन्होंने कहा कि यह एक काल्पनिक सवाल था.

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी और हाल ही बने ‘पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकर डिक्लेयरेशन’ साथ मिल कर यह निर्णय करेंगे कि केन्द्र शासित क्षेत्र में चुनाव लड़ना है अथवा नहीं.

उन्होंने कहा, ‘अगर आप को याद हो, तो हमने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ (2018) पंचायत चुनाव से पहले एक संयुक्त रुख अपनाया था कि हम उसमें भाग नहीं लेंगे. इस बार भी हम पार्टी के भीतर, अपने कार्यकर्ताओं से इस पर चर्चा करेंगे और फिर पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकर डिक्लेयरेशन में इस पर चर्चा करेंगे. हम वहां जो निर्णय लेंगे, वह सब पर लागू होगा.’

बता दें कि जम्मू कश्मीर की मुख्यधारा की पार्टियों ने पूर्ववर्ती राज्य का विशेष दर्जा बहाल कराने और इस मुद्दे पर सभी पक्षकारों से बातचीत के लिए 15 अक्टूबर को गुपकर एलायंस का गठन किया है.

 

जब उनसे पूछा गया कि क्या 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद गठबंधन कर भाजपा को ताकत प्रदान करने के पीडीडपी जिम्मेदार नहीं है तो उन्होंने कहा कि कश्मीर का विशेष दर्जा विधानसभा या जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा समाप्त नहीं किया गया, बल्कि संसद ने किया.

मुफ्ती ने कहा कि अगर कोई अफसोस है तो यह है कि हमने उसी पार्टी के प्रधानमंत्री पर विश्वास किया जिससे (पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी) वाजपेयी जी का नाता था. हमें भरोसा था कि वह संविधान का अनादर नहीं करेंगे. कौन जानता था कि वह तब ऐसा करेंगे जब उनके पास पूर्ण बहुमत होगा.

तिरंगे के संबंध में महबूबा का बयान अस्वीकार्य: कांग्रेस

जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस समिति (जेकेपीसीसी) ने पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती द्वारा तिरंगे झंडे को लेकर दिए गए बयान की शुक्रवार को कड़ी निंदा की और कहा कि यह स्वीकार करने योग्य नहीं है और इससे लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं.

जेकेपीसीसी के अध्यक्ष रवींद्र शर्मा ने कहा, ‘ऐसे बयान किसी भी समाज में बर्दाश्त करने लायक नहीं हैं और अस्वीकार्य हैं.’

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज देश के सम्मान का प्रतीक है. शर्मा ने कहा, ‘उन्हें (महबूबा) इस तरह के अपमानजनक बयानों से बचना चाहिए.’

भाजपा ने महबूबा मुफ्ती की गिरफ्तारी की मांग की

जम्मू कश्मीर भाजपा ने शुक्रवार को पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के ‘देशद्रोही’ बयान के लिए उनकी गिरफ्तारी की मांग की.

भाजपा ने कहा कि ‘धरती की कोई ताकत’ वह झंडा फिर से नहीं फहरा सकती और अनुच्छेद 370 को वापस नहीं ला सकती.

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रवींद्र रैना ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से अनुरोध करता हूं कि वह महबूबा मुफ्ती के देशद्रोही बयान का संज्ञान लें और उन्हें सलाखों के पीछे डालें.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)