जदयू सांसद शरद यादव के क़रीबी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने मोदी सरकार में मंत्री पद के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है.
नई दिल्ली: जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद शरद यादव ने नीतीश कुमार के ताजा फैसले के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है. भाजपा के साथ गठबंधन करने का विरोध करने वाले शरद यादव ने भाजपा की तरफ से आए केंद्रीय मंत्री पद का प्रस्ताव ठुकरा दिया है.
‘द वायर’ से बातचीत में शुक्रवार को शरद यादव ने कहा, हम सांप्रदायिक ताकतों के साथ नहीं जाएंगे, अब संग्राम होगा. उन्होंने कहा कि वे सांप्रदायिक ताकतों के साथ गठबंधन करने के नीतीश के फैसले के विरोध में थे.
यादव के नजदीकी सूत्रों ने बताया कि गुरुवार रात वित्त मंत्री अरुण जेटली शरद यादव से मिले थे. उन्होंने शरद यादव से केंद्र में मंत्री पद को लेकर चर्चा की, लेकिन शरद यादव की केंद्र में मंत्री बनने में कोई दिलचस्पी नहीं है.
सूत्रों का कहना है कि शरद यादव बिहार में और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का विरोध करते रहेंगे. अपने इस फैसले पर वे एक दो दिन में औपचारिक बयान भी जारी कर सकते हैं.
जदयू के पूर्व अध्यक्ष और पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव एनडीए गठबंधन के राष्ट्रीय संयोजक भी रह चुके हैं. वे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस फैसले के विरोध में हैं, जिसके तहत उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल से गठबंधन तोड़कर भाजपा से हाथ मिला लिया. नीतीश के इस फैसले से नाखुश शरद यादव ने बिहार में बने नये गठबंधन का विरोध करने का फैसला किया है.
भाजपा की तरफ से उन्हें केंद्र में मंत्री पद का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन शरद यादव ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है और फैसला किया है कि वे सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ देशव्यापी मुहिम में शामिल होंगे.
नीतीश कुमार के इस फैसले को लेकर उनकी पार्टी के अंदर ही विरोध और बगावत के सुर सुनाई दे रहे हैं. इस विरोध का मुख्य चेहरा शरद यादव ही हैं.
शुक्रवार को नीतीश कुमार विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने में कामयाब रहे. 131 विधायकों ने पक्ष में वोट किया, जबकि 108 ने उनके खिलाफ वोट किया. जदयू के 71 विधायक हैं, जबकि एनडीए के 58 विधायक हैं. नीतीश को दो निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिला है.
नीतीश के खिलाफ वोट करने वालों में राजद के 80 विधायक, कांग्रेस के 27, भाकपा (माले) के तीन और एक निर्दलीय विधायक हैं.
भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने से नाराज शरद यादव गुरुवार को नीतीश के शपथ ग्रहण समारोह में भी नहीं गए थे. लेकिन उन्होंने अभी तक मीडिया में इस नये गठबंधन को लेकर कोई बयान भी नहीं दिया है. राहुल गांधी से मुलाकात और लालू यादव से बात करके उन्होंने यह जरूर जाहिर किया कि वे नीतीश के फैसले से नाखुश हैं.