सीबीआई को दी गई ‘आम सहमति’ वापस लेने पर विचार कर रही है केरल सरकार

बीते दिनों महाराष्ट्र द्वारा ऐसा फ़ैसला लिए जाने के बाद केरल की लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार ने भी ऐसा इरादा जताया है. यदि ऐसा होता है तो सीबीआई को राज्य में किसी मामले की जांच के लिए पहले केरल सरकार की अनुमति लेनी होगी.

New Delhi: Kerala CM Pinarayi Vijayan during a press conference in New Delhi on Saturday,June 23,2018.( PTI Photo/ Atul Yadav)(PTI6_23_2018_000063B)
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन. (फोटो: पीटीआई)

बीते दिनों महाराष्ट्र द्वारा ऐसा फ़ैसला लिए जाने के बाद केरल की लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार ने भी ऐसा इरादा जताया है. यदि ऐसा होता है तो सीबीआई को राज्य में किसी मामले की जांच के लिए पहले केरल सरकार की अनुमति लेनी होगी.

New Delhi: Kerala CM Pinarayi Vijayan during a press conference in New Delhi on Saturday,June 23,2018.( PTI Photo/ Atul Yadav)(PTI6_23_2018_000063B)
केरल मुख्यमंत्री पिनारई विजयन. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार द्वारा सीबीआई को दी गई ‘आम सहमति’ वापस लेने के बाद अब केरल सरकार भी इस पर विचार कर रही है. 

यदि ऐसा होता है तो सीबीआई को राज्य में किसी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राज्य की सत्ता पर काबिज लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट में शामिल माकपा और भाकपा चाहते हैं कि सरकार सीबीआई को दी गई आम सहमति वापस ले, जैसा कुछ अन्य राज्यों ने भी किया है. 

हालांकि विपक्ष ने इसका विरोध किया है. विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने कहा कि राज्य में सीबीआई पर अंकुश लगाने का कदम आत्मघाती है और ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि जीवन मिशन योजना में भ्रष्टाचार को छिपाया जा सके.

राज्य के कानून मंत्री और माकपा नेता एके बालन ने कहा, ‘कई राज्यों ने पहले ही मामलों की जांच के लिए सीबीआई को दी गई आम सहमति वापस ले ली है. माकपा और भाकपा की मांगों के बाद केरल भी उनकी तर्ज पर सोच रहा है. राज्यों ने सीबीआई को उन दिनों के दौरान आम सहमति दी थी जब एजेंसी की विश्वसनीयता थी. अब सीबीआई उन मुद्दों में हस्तक्षेप कर रही है जिसमें उनका कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है.’

बालन ने आगे कहा, ‘हम केंद्रीय एजेंसी की शक्तियों पर सवाल नहीं उठा सकते. दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम की धारा 6 के अनुसार सीबीआई को मामला दर्ज करने से पहले संबंधित राज्यों से सहमति लेनी होगी. हम राज्य सरकारों के लिए उस सुरक्षा को बनाए रखना चाहते हैं. एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से सीबीआई को मामलों की जांच के लिए राज्यों द्वारा आम सहमति दी गई थी. कई राज्यों ने उस सहमति को वापस ले लिया है, और यह विकल्प अब केरल सरकार के सामने भी है.’

बता दें कि सीबीआई ने कांग्रेस विधायक अनिल अकारा की एक शिकायत के आधार पर राज्य सरकार की संस्था लाइफ मिशन द्वारा कथित विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) उल्लंघन के एक मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की थी.

स्थानीय स्व-सरकारी विभाग के अधीन जीवन मिशन ने उच्च न्यायालय में इस एफआई को चुनौती दी थी, जिसने सीबीआई जांच पर रोक लगा दी है.

हाईकोर्ट ने कहा कि लाइफ मिशन एफसीआर के सेक्शन 3 के दायरे में नहीं आता है, जो विदेशी चंदा स्वीकार करने से प्रतिबंधित है.

बालन ने कहा कि जीवन मिशन परियोजना मामले में सीबीआई ऐसे क्षेत्र में घुस आई, जहां उसका अधिकार क्षेत्र नहीं है. उन्होंने कहा, ‘जब सीबीआई ऐसी गतिविधियों में संलग्न होती है, तो हम उन्हें चुनौती देने के लिए मजबूर होते हैं. केरल सरकार को उस मुद्दे में हाईकोर्ट से राहत मिली है.’

इससे पहले माकपा के राज्य सचिव कोडिएरी बालाकृष्णन ने कहा कि पार्टी चाहती थी कि सरकार राजनीतिक हथियार के रूप में सीबीआई के ‘दुरुपयोग’ को रोकने के लिए कानूनी विकल्पों पर गौर करे.

उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी सीबीआई को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के खिलाफ बोला है. संघीय सिद्धांतों के अनुसार राज्यों को राज्य स्तर के मामले में जांच एजेंसी पर निर्णय लेने का पूरा अधिकार है.’

भाकपा के राज्य सचिव कानम राजेंद्रन ने कहा, ‘हम सीबीआई के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन एजेंसी को केवल राज्य की सहमति के बाद ही से जांच करना चाहिए.’

सीबीआई ‘दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम’ द्वारा शासित है, जिसके तहत राज्य में जांच करने के लिए राज्य सरकार की सहमति अनिवार्य होती है.

चूंकि सीबीआई के पास केवल केंद्र सरकार के विभागों और कर्मचारियों पर अधिकार क्षेत्र है, यह राज्य सरकार के कर्मचारियों या किसी राज्य में हिंसक अपराध से संबंधित मामले की जांच तभी कर सकती है जब संबंधित सरकार इसकी सहमति देती है.