कठुआ मामले में पीड़ित पक्ष की वकील पर हिंदू धर्म की भावनाएं आहत करने के लिए एफआईआर

कठुआ गैंगरेप-हत्या मामले में पीड़ित पक्ष की वकील रहीं दीपिका सिंह राजावत ने 20 अक्टूबर को ट्विटर पर दो स्केच पोस्ट किए थे, जिन्हें लेकर उन पर हिंदू धर्म की भावनाएं आहत करने का आरोप लगा है. दीपिका का कहना कि एफआईआर क़ानून का दुरुपयोग करते हुए भाजपा और अन्य भगवा संगठनों के दबाव में दर्ज की गई है.

दीपिका सिंह राजावत (फोटोः पीटीआई)

कठुआ गैंगरेप-हत्या मामले में पीड़ित पक्ष की वकील रहीं दीपिका सिंह राजावत ने 20 अक्टूबर को ट्विटर पर दो स्केच पोस्ट किए थे, जिन्हें लेकर उन पर हिंदू धर्म की भावनाएं आहत करने का आरोप लगा है. दीपिका का कहना कि एफआईआर क़ानून का दुरुपयोग करते हुए भाजपा और अन्य भगवा संगठनों के दबाव में दर्ज की गई है.

दीपिका सिंह राजावत (फोटोः पीटीआई)
दीपिका सिंह राजावत. (फाइल फोटोः पीटीआई)

जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने कथित तौर पर हिंदू धर्म की भावनाएं आहत करने के लिए वकील दीपिका सिंह राजावत के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

राजावत कठुआ गैंगरेप और हत्या मामले में आठ साल की पीड़िता के परिवार की वकील थीं. उन्होंने 20 अक्टूबर को दो स्केच ट्वीट किए थे, जिसे लेकर उन पर हिंदू धर्म की भावनाएं आहत करने का आरोप लगाया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस अधिकारी का कहना है कि कई लोगों की शिकायतों के बाद राजावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और जांच जारी है.

सूत्रों का कहना है कि राजावत पर आईपीसी की धारा 295ए और 505 (बी) (2) के तहत मामला दर्ज किया गया है. हालांकि, धाराएं गैर जमानती हैं.

पुलिस वकील और कार्यकर्ता के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले ट्वीट के पहली बार सामने आने को लेकर साइबर सेल की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है.

इससे पहले बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने राजावत के घर के बाहर प्रदर्शन किया था और इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की थी.

उन्होंने राजावात के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई थी. वहीं, दीपिका ने इस एफआईआर को ‘मनगढ़ंत’ बताया है, जो अदालत में टिक नहीं पाएगी.

उन्होंने कहा कि यह एफआईआर कानून का दुरुपयोग करते हुए भाजपा एवं अन्य भगवा संगठनों के दबाव में दर्ज की गई है.

बता दें कि कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्या के इस जघन्य मामले के घटनाक्रम की शुरुआत 10 जनवरी 2018 को हुई थी, जब कठुआ ज़िले की हीरानगर तहसील के रसाना गांव की लड़की गायब हो गई थी. वह बकरवाल समुदाय की थी जो एक ख़ानाबदोश समुदाय है, जिसका ताल्लुक मुस्लिम धर्म से है.

परिवार के मुताबिक, यह बच्ची 10 जनवरी को दोपहर क़रीब 12:30 बजे घर से घोड़ों को चराने के लिए निकली थी और उसके बाद वो घर वापस नहीं लौट पाई. क़रीब एक सप्ताह बाद 17 जनवरी 2018 को जंगल में उस मासूम की लाश मिली.

मेडिकल रिपोर्ट में पता चला कि लड़की के साथ कई बार कई दिनों तक सामूहिक दुष्कर्म किया गया और पत्थर से कुचलकर उसकी हत्या की गई थी. उसे भारी मात्रा में नींद की गोलियां दी गई थीं. जिस वजह से वह कोमा में चली गई थी.

उस समय स्थानीय स्तर पर आरोपियों का समर्थन किया गया था और जम्मू के कई वकील आरोपियों के खिलाफ पुलिस की चार्जशीट के विरोध में उतरे थे, लेकिन दीपिका ने पीड़ित परिवार की ओर से केस लड़ने का फैसला लिया था.

दीपिका सिंह राजावत एक कश्मीरी पंडित हैं, जिनका परिवार 1986 में कश्मीर से पलायन कर जम्मू आया था. वे एक सिंगल मदर भी हैं.

अप्रैल 2018 में द वायर  के साथ बातचीत में उन्होंने बताया था कि उनके सहयोगियों के इस केस को लेने से मनाही के बावजूद उन्होंने इसकी जिम्मेदारी ली और इसके बाद उन्हें धमकियों का भी सामना करना पड़ा.

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