मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में विधानसभा उपचुनाव के लिए होने वाली राजनीतिक दलों की रैलियों पर रोक लगा दी थी. इस फ़ैसले को चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें राज्य में विधानसभा उपचुनाव के लिए राजनीतिक दलों को वर्चुअल चुनाव प्रचार करने को कहा गया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 20 अक्टूबर के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
आयोग ने कहा था कि चुनाव आयोजित कराना चुनाव आयोग का एकमात्र अधिकार क्षेत्र है और हाईकोर्ट का इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है.
चुनाव आयोग ने कहा था कि हाईकोर्ट के इस फैसले ने चुनाव प्रक्रिया को लकवाग्रस्त कर दिया है क्योंकि चुनाव (तीन नवंबर) में कुछ ही दिन बचे हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि, चुनाव आयोग से कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर उचित कदम उठाने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा, ‘आपको उचित समय पर हस्तक्षेप करना चाहिए था और सरकार से कदम उठाने को कहा था. आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन हो जो उम्मीदवार इसका उल्लंघन करते पाए जाएं, उन्हें नोटिस जारी किया जाए. हम चाहते हैं कि आप चुनावों का बेहतर तरीके से पर्यवेक्षण करने में सक्रिय रहे हो. अगर पार्टियों ने प्रोटोकॉल का पालन किया होता तो ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती.’
अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट को इसमें हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है. अदालत ने ऐसी स्थिति पैदा करने के लिए राजनीतिक दलों की खिंचाई भी की, जिन्होंने हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर किया.
बता दें कि चुनाव आयोग के साथ भाजपा के दो उम्मीदवारों प्रद्युमन तोमर और मुन्नालाल गोयल ने भी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
भाजपा उम्मीदवारों ने अदालत से अपील की कि वह चुनाव आयोग से कहें कि प्रचार के लिए अतिरिक्त समय देने के उनके आग्रह पर विचार करें.
पीठ ने उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों द्वारा इस तरह के सुझावों पर विचार करने का फैसला चुनाव आयोग पर छोड़ दिया है.
मालूम हो कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ ने कोरोना वायरस के मद्देनजर मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों के रैलियों में जाकर चुनाव प्रचार करने पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे.
हाईकोर्ट ने कहा था कि चुनाव का वर्चुअल प्रचार करने की स्थिति नहीं होने की स्थिति में राजनीतिक दलों को रैलियों के लिए जिला कलेक्टर से मंजूरी और चुनाव आयोग से प्रमाणपत्र लेने को अनिवार्य बताया था.
बता दें कि 3 नवंबर को मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं.