आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने पिछले दिनों देश के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि सर्वोच्च न्यायालय के दूसरे सबसे वरिष्ठ जस्टिस एनवी रमन्ना उनकी सरकार गिराने की साज़िश कर रहे हैं और राज्य के हाईकोर्ट की पीठों को प्रभावित कर रहे हैं.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ आरोप लगाने के लिए एक वकील ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को पत्र लिखकर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी और उनके प्रेस सलाहकार के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अनुमति देने की मांग की है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री का पत्र सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों के अधिकारों का हनन करता है और न्यायिक कार्यवाही और न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करता है.
अपने पत्र में उपाध्याय ने लिखा, ‘इससे भी बदतर यह है कि अगर इस तरह की उदाहरणों को मंजूरी दी जाती है तो राजनीतिक नेता उन जजों के खिलाफ लापरवाह आरोप लगाना शुरू कर देंगे जो उनके पक्ष में मामले नहीं तय करते और यह प्रवृत्ति जल्द ही एक स्वतंत्र न्यायपालिका के खात्मे में आखिरी कील साबित हो सकती है.’
उन्होंने लिखा, ‘इसलिए मैं अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 15 (1) (बी) के साथ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के लिए कार्यवाही को विनियमित करने के नियम, 1975 के नियम 3 के तहत आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी और आंध्र प्रदेश सरकार के प्रेस सलाहकार अजय कल्लम के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए आपकी सहमति की मांग कर रहा हूं.’
उपाध्याय के पत्र के अनुसार, इन दोनों व्यक्तियों के कार्य भारत के सर्वोच्च न्यायालय और आंध्र प्रदेश के हाईकोर्ट की गंभीर आपराधिक अवमानना करते हैं.
वकील ने अपने पत्र में कहा, ‘रेड्डी के पत्र को सार्वजनिक तौर पर जारी किए दो सप्ताह हो चुके हैं और अभी तक सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए कोई भी मुकदमा शुरू नहीं किया गया है.’
मालूम हो कि पिछले दिनों राज्य की जगनमोहन सरकार और हाईकोर्ट के बीच का विवाद उस समय खुलकर सामने आ गया, जब रेड्डी ने ये आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को एक पत्र लिखकर कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज एनवी रमन्ना उनकी सरकार को गिराने की साजिश कर रहे हैं.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया के कि जस्टिस रमन्ना टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू के साथ अपने करीबी रिश्तों के चलते आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की पीठों को प्रभावित कर रहे हैं.
10 अक्टूबर को हुई एक प्रेस वार्ता के बाद मुख्यमंत्री के प्रमुख सलाहकार अजेय कल्लम ने 6 अक्टूबर 2020 को लिखे गए इस पत्र की प्रतियां बांटते हुए मुख्यमंत्री का लिखा एक नोट पढ़कर सुनाया था, जिसमें मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया था कि जस्टिस रमन्ना ने राज्य की पिछली चंद्रबाबू नायडू-तेलुगूदेशम पार्टी (टीडीपी) सरकार में अपने प्रभाव का इस्तेमाल अपनी बेटियों के पक्ष में किया.
जगन रेड्डी ने हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति, रोस्टर और केस आवंटन को लेकर भी सवाल उठाए थे. मीडिया को दिए गए नोट में कहा गया था-
- ‘जबसे नई सरकार ने नायडू के 2014-2019 के कार्यकाल में लिए गए कदमों के बारे में इन्क्वायरी शुरू की, यह स्पष्ट है कि जस्टिस रमन्ना ने चीफ जस्टिस जितेंद्र कुमार माहेश्वरी के माध्यम से राज्य के न्यायिक प्रशासन को प्रभावित करना शुरू कर दिया.’
- ‘माननीय जजों का रोस्टर, जहां चंद्रबाबू नायडू के हितों से जुड़ी नीति और सुरक्षा के महत्वपूर्ण मामले पेश किए जाने थे, वे कुछ ही जजों को मिले- जस्टिस एवी शेषा सई, जस्टिस एम. सत्यनारायण मूर्ति, जस्टिस डीवीएसएस सोमय्याजुलु और जस्टिस डी. रमेश.
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने बीते 18 महीनों में जगनमोहन रेड्डी सरकार के कई महत्वपूर्ण फैसलों की अनदेखी करते हुए लगभग 100 आदेश पारित किए हैं.
जिन फैसलों को हाईकोर्ट द्वारा रोका गया है उनमें अमरावती से राजधानी के स्थानांतरण के माध्यम से प्रशासन का विकेंद्रीकरण, आंध्र प्रदेश परिषद को खत्म करने और आंध्र प्रदेश राज्य चुनाव आयोग आयुक्त एन. रमेश कुमार को पद से हटाने के निर्णय शामिल हैं.
उधर तेलुगू देशम पार्टी ने जगन रेड्डी के आरोपों को ‘न्यायपालिका के खिलाफ जानबूझकर किया गया षड्यंत्र’ बताकर खारिज कर दिया था और कहा कि इससे अधिक ज्यादती नहीं हो सकती है.
टीडीपी पोलित ब्यूरो के सदस्य यनमाला रामाकृष्णुडु ने बयान जारी कर कहा कि जब आपकी सरकार के गैर कानूनी और असंवैधानिक कृत्यों से परेशान कोई व्यक्ति या संगठन अदालत से न्याय पाना चाहता है और अगर अदालत से राहत मिल जाती है तो आप उन पर आरोप कैसे लगा सकते हैं. उन्होंने दावा किया था कि पत्र से रेड्डी की नायडू के खिलाफ ‘ईर्ष्या’ भी झलकती है.
जगन के इस पत्र के आधार पर नोएडा के एक वकील ने शीर्ष अदालत के वरिष्ठ जज पर आरोप लगाने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करते सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी.