पूर्व राज्यसभा सदस्य टीएस बाजवा सहित पीडीपी के तीन संस्थापक सदस्यों ने यह कहते हुए पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया कि वे पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती की अवांछित टिप्पणियों से असहज महसूस कर रहे थे.
श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को तब झटका लगा जब पार्टी के पूर्व राज्यसभा सदस्य टीएस बाजवा सहित पार्टी के तीन संस्थापक सदस्यों ने यह कहते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया कि वे पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की अवांछित टिप्पणियों, विशेष तौर पर देशभक्ति की भावना को ठेस पहुंचाने वाली टिप्प्णी से असहज महसूस कर रहे थे और उन्हें घुटन महसूस हो रही थी.
तीनों नेताओं के ये इस्तीफे ऐसे समय आए हैं जब जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने 23 अक्टूबर को कहा था कि वे तिरंगा तभी उठाएंगी, जब जम्मू कश्मीर का झंडा वापस आ जाएगा. मुफ़्ती ने यह भी कहा कि जब तक राज्य का विशेष दर्जा बहाल नहीं हो जाता तब तक वे चुनाव नहीं लड़ेंगी.
तीनों नेताओं – टीएस बाजवा, पूर्व एमएलसी वेद महाजन और पूर्व प्रदेश महासचिव हुसैन अली ए वफा – ने मुफ्ती को लिखे दो पृष्ठों के पत्र में कहा कि, ‘वे उनके (पार्टी प्रमुख) कुछ कार्यों और अवांछित बयानों को लेकर काफी असहज महसूस कर रहे थे, विशेष रूप से देशभक्ति की भावनाओं को चोट पहुंचाने वाली टिप्पणियों से.’
वेद महाजन ने कहा, ‘हमारा राष्ट्रीय ध्वज हमारा गौरव है. हम उनके बयान से आहत हुए हैं. आज हमने जम्मू-कश्मीर के लोगों को दिखा दिया है कि हम धर्मनिरपेक्ष हैं. पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता हैं जो इस्तीफा दे सकते हैं.’
वहीं, हुसैन ए वफ़ा ने कहा, ‘राष्ट्र और राष्ट्रीय ध्वज पहले आता है, उसके बाद राज्य और राजनीतिक दल आते हैं. राष्ट्रीय ध्वज हमारी पहचान है.’
The nation and the national flag comes first, after that comes the States and the political parties. The national flag is our identity: PDP leader Hussain A Waffa who resigned from the party today, in Jammu pic.twitter.com/TcUz14VsAF
— ANI (@ANI) October 26, 2020
तीनों नेताओं ने अपने बयान में कहा, ‘कई अवांछित घटनाक्रमों और कदमों के बावजूद हम पार्टी और उसके नेतृत्व के साथ एक चट्टान की तरह खड़े रहे.’
उन्होंने कहा कि, ‘व्यापक परामर्श और विश्वास की एक प्रक्रिया के साथ भीतर और बाहर से चुनौतियों पर काबू पाने के बजाय, पार्टी के भीतर कुछ तत्वों ने पीडीपी और उसके नेतृत्व को एक विशेष दिशा में खींचना शुरू कर दिया, जिससे वह मूल सिद्धांत, एजेंडा और दर्शन से विचलित हो गई. इससे उसके लिए समाज में विचारशील आवाज का सामना करना मुश्किल हो गया.’
तीनों नेताओं के साझा इस्तीफा पत्र में लिखा है, ‘पार्टी के कुछ कार्य और कथन लोगों द्वारा अक्षम्य एवं न भुलाने वाले हैं, जिससे कि पार्टी उभर कर आगे बढ़ सके.’
इसमें लिखा है, ‘इसके मद्देनजर हम पार्टी में असहज और घुटन महसूस कर रहे थे, जिससे हमें पार्टी छोड़ने का मुश्किल फैसला लेना पड़ा है.’
उन्होंने पीडीपी के गठन का भी हवाला देते हुए कहा कि इसका उदेश्य तत्कालीन राज्य के हर क्षेत्र के लिए एक वैकल्पिक आवाज प्रदान करना था, खासकर युवाओं को विश्वसनीय मंच के अभाव में भारत विरोधी तत्वों के जाल में फंसकर विनाश का रास्ता अपनाने से रोकना था.
तीनों नेताओं ने कांग्रेस के साथ पहले के गठबंधन का जिक्र किया जो शांति और सद्भाव को बहाल करने और समान राजनीतिक हिस्सेदारी सुनिश्चित करने में सक्षम था.
पीडीपी में 2014 में एक और बड़ी चुनौती आई थी जब उसके दिवंगत अध्यक्ष मुफ्ती मोहम्मद सईद ने वैचारिक रूप से विपरीत भाजपा के साथ हाथ मिलाने का कठिन निर्णय लिया था.
तीनों नेताओं कहा, ‘हालांकि उन्हें इस तरह के निर्णय की कठिनाइयों के बारे में पता था, लेकिन उन्होंने चुनौती को नए अवसरों में बदलने का प्रयास किया ताकि भारतीय संघ और राज्य के लोगों के बीच और अधिक सामंजस्यपूर्ण संबंध बनने के साथ ही उनके बेहतर भविष्य के लिए अपनी दृष्टि को आगे बढ़ा सकें.’
उन्होंने कहा कि हालांकि, उक्त प्रयोग अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर पाया और सईद की असमय मृत्यु के कारण पूरी प्रक्रिया पटरी से उतर गई.
मुफ्ती की उनकी टिप्पणी को लेकर तीखी आलोचना की जा रही है, भाजपा के कुछ नेताओं ने उनकी टिप्पणी को देशद्रोही बयान करार दिया है.
अमर उजाला के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के बयान के बाद सोमवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने तिरंगे के अपमान का विरोध करते हुए पीडीपी कार्यालय में तिरंगा फहराया और नारेबाजी की.
इससे पहले शनिवार को भी कई प्रदर्शनकारियों ने कार्यालय में तिरंगा फहराया था.
#WATCH: Bharatiya Janata Party (BJP) workers hoist the national flag at Peoples Democratic Party (PDP) office in Jammu. #JammuAndKashmir pic.twitter.com/wCCYpzCDhA
— ANI (@ANI) October 26, 2020
इसके अलावा श्रीनगर के लालचौक पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने तिरंगा फहराने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया. इस दौरान कई भाजपा कार्यकर्ता गिरफ्तार भी किए गए.
मालूम हो कि सचिवालय पर तिरंगे के साथ जम्मू कश्मीर राज्य का झंडा भी लगा हुआ था, जिसे 5 अगस्त 2019 को राज्य से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान खत्म किए जाने के बाद हटा दिया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)