चेन्नई: जजों पर टिप्पणी मामले में जस्टिस सीएस कर्णन के ख़िलाफ़ मामला दर्ज

मद्रास हाईकोर्ट के एक वकील की शिकायत के बाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकीलों ने सीजेआई एसए बोबडे को पत्र लिखते हुए आरोप लगाया गया कि जस्टिस कर्णन ने कथित तौर पर महिलाओं के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी की है और न्यायिक अधिकारियों व जजों की पत्नियों को धमकाया है.

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सेवानिवृत्त जस्टिस सीएस कर्णन. (फोटो: पीटीआई)

मद्रास हाईकोर्ट के एक वकील की शिकायत के बाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकीलों ने सीजेआई एसए बोबडे को पत्र लिखते हुए आरोप लगाया गया कि जस्टिस कर्णन ने कथित तौर पर महिलाओं के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी की है और न्यायिक अधिकारियों व जजों की पत्नियों को धमकाया है.

सेवानिवृत्त जस्टिस सीएस कर्णन. (फोटो: पीटीआई)
सेवानिवृत्त जस्टिस सीएस कर्णन. (फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट के कई पूर्व और मौजूदा जजों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस सीएस कर्णन के खिलाफ चेन्नई पुलिस ने मामला दर्ज किया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, चेन्नई के एक वकील की शिकायत के बाद चेन्नई पुलिस की साइबर सेल ने मंगलवार को मामला दर्ज किया है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस शिकायत के बाद मद्रास हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकीलों ने देश के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को सीएस कर्णन के खिलाफ एक पत्र लिखा था, जिसमें एक वीडियो का जिक्र किया गया था.

आरोप है कि इस वीडियो में सीएस कर्णन ने कथित तौर पर महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, न्यायिक अधिकारियों और जजों की पत्नियों को धमकाया था.

इस वीडियो में कर्णन ने कथित तौर पर यह भी आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट के कुछ जजों ने कोर्ट की महिला कर्मचारियों और महिला जजों का यौन उत्पीड़न किया है.

सीजेआई बोबडे को लिखे वकीलों के इस पत्र में कहा गया है कि कर्णन के बयानों को हिंसा की भयावह कार्रवाई और सभी महिलाओं की गरिमा का अपमान बताते हुए इस पर कार्रवाई करने की मांग की है.

चेन्नई पुलिस की साइबर सेल ने मंगलवार को जस्टिस कर्णन के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 और 509 के तहत मामला दर्ज किया.

बता दें कि इससे पहले न्यायपालिका और न्यायिक प्रक्रिया की अवमानना के लिए सात जजों की पीठ द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मई 2017 में जस्टिस कर्णन को छह महीने जेल की सजा सुनाई थी.

देश में अपनी तरह का यह पहला मामला था जब अवमानना के आरोप में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के न्यायाधीश को जेल भेजा गया था. उन्हें जब दोषी ठहराया गया था, तब उनका कार्यकाल पूरा होने में छह महीने बचे थे.

मालूम हो कि जस्टिस कर्णन पर उनके करिअर के दौरान भ्रष्टाचार के कई आरोप भी लग चुके हैं. इस पर उनका कहना है कि दलित होने की वजह से उन्हें निशाना बनाया गया है.