दुनियाभर में कोविड-19 से हुई 15 प्रतिशत मौतों का संबंध वायु प्रदूषण से: अध्ययन

जर्मनी के मैक्स प्लांक रसायन विज्ञान संस्थान के अध्ययन में कहा गया है कि वायु प्रदूषण और कोविड-19 मृत्यु दर के बीच सीधे जुड़ाव को नहीं दिखता, लेकिन वायु प्रदूषण के कारण इस बीमारी की गंभीरता बढ़ने और स्वास्थ्य संबंधी अन्य जोखिमों के बीच प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संबंध देखा गया है.

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New Delhi: Commuters drive through heavy smog, a day after Diwali celebrations, in New Delhi, Thursday, Nov 08, 2018. According to the officials, Delhi recorded its worst air quality of the year the morning after Diwali as the pollution level entered 'severe-plus emergency' category due to the rampant bursting of toxic firecrackers. (PTI Photo/Ravi Choudhary)(PTI11_8_2018_000035B)
(फोटो: पीटीआई)

जर्मनी के मैक्स प्लांक रसायन विज्ञान संस्थान के अध्ययन में कहा गया है कि वायु प्रदूषण और कोविड-19 मृत्यु दर के बीच सीधे जुड़ाव को नहीं दिखता, लेकिन वायु प्रदूषण के कारण इस बीमारी की गंभीरता बढ़ने और स्वास्थ्य संबंधी अन्य जोखिमों के बीच प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संबंध देखा गया है.

New Delhi: Commuters drive through heavy smog, a day after Diwali celebrations, in New Delhi, Thursday, Nov 08, 2018. According to the officials, Delhi recorded its worst air quality of the year the morning after Diwali as the pollution level entered 'severe-plus emergency' category due to the rampant bursting of toxic firecrackers. (PTI Photo/Ravi Choudhary)(PTI11_8_2018_000035B)
(फोटो: पीटीआई)

बर्लिन: वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन में दावा किया है कि दुनियाभर में कोविड-19 से हुई करीब 15 प्रतिशत मौतों का संबंध लंबे समय तक वायु प्रदूषण वाले माहौल में रहने से है.

अध्ययनकर्ताओं ने पाया है कि यूरोप में कोविड-19 से हुई मौतों में करीब 19 प्रतिशत, उत्तरी अमेरिका में हुई मौतों में से 17 प्रतिशत और पूर्वी एशिया में हुई मौतों के करीब 27 प्रतिशत का संबंध वायु प्रदूषण से है. जर्मनी के मैक्स प्लांक रसायन विज्ञान संस्थान के शोधकर्ता भी इस अध्ययन में शामिल थे.

जर्नल ‘कार्डियोवस्कुलर’ में प्रकाशित अध्ययन में कोरोना वायरस से हुई मौतों के संबंध में विश्लेषण किया गया और दुनिया के विभिन्न देशों में वायु प्रदूषण से संबंध का पता लगाया गया.

अध्ययन करने वाली टीम ने कहा कि कोविड-19 से जितनी मौत हुई और इसमें वायु प्रदूषण की वजह से आबादी पर बढ़े खतरों का विश्लेषण किया गया.

शोधकर्ताओं ने कहा कि निकाला गया अनुपात वायु प्रदूषण और कोविड-19 मृत्यु दर के बीच सीधे जुड़ाव को नहीं दिखाता है. हालांकि, वायु प्रदूषण के कारण बीमारी की गंभीरता बढ़ने और स्वास्थ्य संबंधी अन्य जोखिमों के बीच प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संबंधों को देखा गया.

शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषण और कोविड-19 के संबंध में अमेरिका और चीन के पूर्व के अध्ययनों का इस्तेमाल किया. वर्ष 2003 में सार्स बीमारी से जुड़े आंकड़ों का भी इसमें इस्तेमाल किया गया.

अध्ययन करने वाली टीम ने हवा में पीएम 2.5 जैसे अति सूक्ष्म कणों की मौजूदगी वाले माहौल में ज्यादा समय तक रहने के संबंध में एक मॉडल का विश्लेषण किया.

महामारी के बारे में जून 2020 के तीसरे सप्ताह तक के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया और शोधकर्ताओं ने कहा कि महामारी खत्म होने के बाद इस बारे में व्यापक विश्लेषण करने की जरूरत होगी.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अध्ययन करने वाली टीम ने कहा है कि अलग-अलग देशों के अनुमानों से पता चलता है कि चेक गणराज्य में वायु प्रदूषण का 29 प्रतिशत, चीन में 27 प्रतिशत, जर्मनी में 26 प्रतिशत, स्विट्जरलैंड में 22 प्रतिशत और बेल्जियम में 21 प्रतिशत का योगदान है.

मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर जोस लेलिवेल्ड ने कहा, ‘चूंकि कोविड-19 से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ रही है, इसलिए प्रति देश में होने वाली मौतों का सटीक या अंतिम संख्या देना संभव नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘हालांकि एक उदाहरण के तौर पर ब्रिटेन में कोरोना वायरस से 44,000 से अधिक  मौतें हुई हैं. हमने अनुमान लगाया है कि इसमें 14 प्रतिशत मौतों के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है. यानी 6,100 से अधिक मौतों के लिए वायु प्रदूषण एक कारण है.’

उन्होंने कहा, ‘अमेरिका में कोरोना वायरस से 2.20 लाख से अधिक मौतें हुईं हैं, जिसमें वायु प्रदूषण के कारण लगभग 40,000 मौतें हुई हैं.’

जर्मनी में जोहॉन्स गुटेनबर्ग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर थॉमस मुन्जेल ने कहा, ‘जो लोग वायु प्रदूषण में रहते हैं, उनके फेफड़ों और रक्त वाहिकाओं में बहुत छोटे प्रदूषणकारी कण पीएम 2.5 फेफड़ों चले जाते हैं, जिससे फेफड़ों में सूजन और गंभीर ऑक्सीडेटिव तनाव होता है, जो शरीर में रक्त कोशिकाओं और ऑक्सीडेंट कणों के बीच संतुलन को नुकसान पहुंचाता है.’

उन्होंने कहा, ‘इससे धमनियों की आंतरिक परत, एंडोथेलियम को नुकसान होता है और धमनियों में सिकुड़न और अकड़न होती है. कोरोना वायरस भी फेफड़ों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है, जिससे रक्त वाहिकाओं को समान रूप से क्षति होती है.’

उन्होंने कहा, ‘अगर कोविड-19 वायरस संक्रमण के साथ वायु प्रदूषण के संपर्क में आते हैं, तो हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं, विशेष रूप से हृदय और रक्त वाहिकाओं में, जिससे कोरोना वायरस का जोखिम अधिक बढ़ जाता है.’

बता दें कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 43,965,951 हो गए हैं और अब तक 1,166,908 लोगों की जान जा चुकी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)