उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की दस सीटों के लिए 9 नवंबर को मतदान होना है. इसके लिए भाजपा ने आठ, सपा ने एक और बसपा ने एक प्रत्याशी खड़ा किया है. हालांकि, बुधवार को बसपा के सात विधायकों ने बगावत कर दी और कहा कि बसपा प्रत्याशी के नामांकन पत्र पर उनके फ़र्ज़ी हस्ताक्षर हैं. इसके बाद उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात भी की.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए 9 नवंबर को मतदान होना है. ये 10 सीटें 25 नवंबर को खाली हो रही हैं. इसके लिए भाजपा ने आठ, सपा ने एक और बसपा ने एक प्रत्याशी खड़ा किया है.
हालांकि, इसके पहले गुरुवार को बसपा प्रमुख मायावती ने अपने सात विधायकों को पार्टी से निलंबित कर दिया. इन विधायकों पर बसपा के एकमात्र राज्यसभा उम्मीदवार के खिलाफ बगावत करने का आरोप है.
मायावती ने बागी विधायकों ने बारे में कहा कि सभी सात विधायक निलंबित किए गए हैं. बागी विधायकों की सदस्यता रद्द की जाएगी. ये षड्यंत्र कामयाब नहीं होगा. विधान परिषद के चुनाव में सपा को जवाब देंगे.
सातों विधायकों की बगावत के संबंध में बसपा विधायक दल के नेता लालजी वर्मा ने अपनी रिपोर्ट मायावती को सौंपी थी.
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों में से भाजपा के आठ सीट आसानी से जीतने की उम्मीद है. भाजपा के आठ उम्मीदवार हरदीप सिंह पुरी, अरुण सिंह, हरिद्वार दुबे, पूर्व डीजीपी बृजलाल, नीरज शेखर, गीता शाक्य, बीएल वर्मा, सीमा द्विवेदी हैं.
आठ सीटें जिताने की क्षमता के बाद भी भाजपा के पास 25 वोट अतिरिक्त हैं, लेकिन उसने नौवां प्रत्याशी उतारने का जोखिम नहीं लिया.
दरअसल, निर्धारित प्रक्रिया के आधार पर इस बार एक उम्मीदवार का प्रथम वरीयता के वोटों का कोटा लगभग 36 आ रहा है.
इसका कारण है कि इस समय विधायकों की संख्या 395 ही है. इसमें भी सिर्फ 392 के ही वोट पड़ेंगे, क्योंकि जेल में बंद तीन विधायक मुख्तार अंसारी, तजीन फातिमा और विजय मिश्र वोट डालने नहीं आ पाएंगे.
इस लिहाज से भाजपा आराम से अपने आठों उम्मीदवार प्रथम वरीयता के वोटों से ही निकाल सकती है. फिर भी उसके पास अपना दल के विधायकों तथा सपा-बसपा के बागी विधायकों सहित कम से कम 25 वोट अतिरिक्त बचते हैं.
इस सीट के लिए 403 सदस्यों वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा में 18 सदस्यों वाली बसपा ने पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक और बिहार इकाई के प्रभारी रामजी गौतम को राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया है. गौतम ने गत 26 अक्टूबर को नामांकन दाखिल किया था.
हालांकि, बसपा का गणित तब बिगड़ता नजर आया जब एक सीट पर आसानी से जीत दर्ज कर सकने वाली समाजवादी पार्टी ने एक निर्दलीय उम्मीदवार प्रकाश बजाज को अपना समर्थन दे दिया और उन्होंने नामांकन की समयसीमा समाप्त होने से कुछ समय पहले ही अपना नामांकन दाखिल कर दिया.
सपा की एक सुरक्षित सीट के लिए रामगोपाल यादव ने नामांकन दाखिल किया है, जिनका चुना जाना तय है.
इसके बाद बसपा के सात विधायकों ने पार्टी से बगावत कर दी. विधायकों ने राज्यसभा चुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर किए गए अपने हस्ताक्षरों को फर्जी बताते हुए पीठासीन अधिकारी को एक शपथ-पत्र दे दिया.
श्रावस्ती से बसपा विधायक असलम राइनी ने संवाददाताओं को बताया कि उन्होंने तथा पार्टी विधायकों- असलम चौधरी, मुज्तबा सिद्दीकी और हाकिम लाल बिंद ने रिटर्निंग अफसर को दिए गए शपथ-पत्र में कहा है कि राज्यसभा चुनाव के लिए बसपा के प्रत्याशी रामजी गौतम के नामांकन पत्र पर प्रस्तावक के तौर पर किए गए उनके हस्ताक्षर फर्जी हैं.
इस दौरान उनके साथ विधायक सुषमा पटेल, वंदना सिंह और हरिगोविंद भार्गव भी थे.
पीठासीन अधिकारी को शपथ-पत्र देने के बाद सभी बागी बसपा विधायकों ने सपा राज्य मुख्यालय पहुंचकर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की.
इसके बाद सपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बसपा के सभी विधायकों ने सपा अध्यक्ष अखिलेश से मुलाकात की है.
उन्होंने दावा किया कि बसपा के साथ-साथ सत्तारूढ़ भाजपा के भी अनेक विधायक सपा के संपर्क में हैं और वे किसी भी वक्त पार्टी में शामिल हो सकते हैं.
इस बीच, बसपा पर हमला बोलते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि बसपा भाजपा की बी टीम ही है.
उन्होंने कहा कि बसपा सुप्रीमो मायावती पिछले कुछ महीनों से जिस प्रकार ट्वीट कर रही हैं और बयान जारी कर रही हैं, उससे साफ है कि वह भाजपा की भाषा बोलती हैं. बसपा में जबरदस्त कलह चल रही है, विधायकों की सुनवाई नहीं होती है. आगामी दिनों में बसपा पूरी तरह समाप्त हो जाएगी.
उन्होंने कहा कि सपा और बसपा प्रदेश की जनता, किसानों, दलितों और शोषितों के मुद्दे पर कहीं नजर नहीं आती हैं, वहीं कांग्रेस कार्यकर्ता सड़क पर उतर कर सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं.
माना जा रहा था कि नामांकन पत्रों की जांच के दिन हुए इस घटनाक्रम के बाद बसपा उम्मीदवार का पर्चा खारिज हो सकता है, मगर पीठासीन अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक गौतम का नामांकन पत्र वैध घोषित किया गया.
वहीं, सपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार प्रकाश बजाज का नामांकन अवैध पाए जाने के कारण निरस्त कर दिया गया.
इस पूरे घटनाक्रम के बाद बसा प्रमुख मायावती ने गुरुवार सुबह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सात बागी विधायकों को पार्टी से बाहर कर दिया.
#WATCH BSP Chief Mayawati says that her party will vote for BJP or any party's candidate in future UP MLC elections, to defeat Samajwadi Party's second candidate.
"Any party candidate, who'll be dominant over SP's 2nd candidate, will get all BSP MLAs' vote for sure," she said. pic.twitter.com/ki4W6ZAwgE
— ANI (@ANI) October 29, 2020
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सपा को हराने के लिए बसपा पूरी ताकत लगा देगी. विधायकों को भाजपा समेत किसी भी विराेधी पार्टी के उम्मीदवार को वोट क्यों न देना पड़ जाए.
बसपा के भाजपा के साथ गठबंधन की संभावित खबरों को खारिज करते हुए मायावती ने कहा कि हम किसी दूसरे दल से नहीं मिले हैं. हम पर लगे सभी आरोप गलत हैं.
समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाते हुए मायावती ने कहा कि 1995 गेस्ट हाउस कांड का मुकदमा वापस लेना गलती थी, चुनाव प्रचार के बजाय अखिलेश यादव मुकदमा वापस कराने में लगे थे, 2003 में मुलायम ने बसपा तोड़ी उनकी बुरी गति हुई, अब अखिलेश ने यह काम किया है, उनकी बुरी गति होगी.
मायावती ने कहा कि सपा में परिवार के अंदर लड़ाई थी, जिसकी वजह से गठबंधन कामयाब नहीं हुआ. सपा से गठबंधन का हमारा फैसला गलत था.
बता दें कि उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की जो 10 सीटें खाली हो रही हैं उनमें से फिलहाल तीन सीटें भाजपा, चार सपा, दो बसपा और एक कांग्रेस के पास हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)