एनआईए ने दावा किया है कि उन्हें सूचना मिली थी कि ये सामाजिक कार्यकर्ता, एनजीओ और मीडिया संगठन दान और कारोबारी योगदान के माध्यम से देश और विदेश से चंदा एकत्र करते हैं और उसका इस्तेमाल जम्मू कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण में करते हैं.
श्रीनगर/नई दिल्ली: कार्यकर्ताओं, एनजीओ और जम्मू कश्मीर में स्थित मीडिया संगठनों को सुनियोजित तरीके से निशाना बनाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कहा कि उसने श्रीनगर और बांदीपोरा में 10 स्थानों पर छापेमारी की है. इसके अलावा एनआईए ने नई दिल्ली और बेंगलुरु में भी एक जगह छापा मारा है.
एजेंसी का दावा है कि धर्मार्थ कार्यों के नाम पर जुटाए गए धन को ट्रस्ट और एनजीओ द्वारा जम्मू कश्मीर में कथित ‘अलगाववादी गतिविधियों’ में इस्तेमाल करने को लेकर ये छापेमारी की गई है.
अधिकारियों ने बताया कि बृहस्पतिवार को जिन ठिकानों पर छापेमारी की गई उनमें छह गैर सरकारी संगठन (एनजीओ)- दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष जफर-उल-इस्लाम खान अध्यक्षता वाला चैरिटी अलायंस, अनंतनाग से संचालित शबीर अहमद बाबा की अगुवाई वाला ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन, जम्मू कश्मीर में प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामिया की अनुषंगी फलाह-ए-आम ट्रस्ट, जेके यतीम फाउंडेशन, सॉल्वेशन मूवमेंट और जेके वॉयस ऑफ विक्टिम्स- शामिल हैं.
एनआईए ने बुधवार को इसी मामले में कश्मीर और बेंगलुरु के कुछ ठिकानों की तलाशी ली थी और दावा किया था कि इस दौरान उसने दोष साबित करने वाले कई दस्तावेज जब्त किए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जिन स्थानों को एनआईए द्वारा निशाना बनाया गया उनमें जम्मू कश्मीर सिविल सोसायटी गठबंधन (जेकेसीसीएस), अंग्रेजी अखबार ग्रेटर कश्मीर और एनजीओ एथ्राउट (Athrout) शामिल हैं. इसके अलावा जेकेसीसीएस समन्वयक खुर्रम परवेज सहित प्रमुख कार्यकर्ताओं के निवास पर भी छापेमारी की गई है.
We would like to Inform all our well wishers that NIA visited our Head office today.They had a few queries, which were asked in a very friendly & professional manner & all the required details were provided accordingly & transparently
Athrout operations will continue as normal pic.twitter.com/7CJhq49NVo
— Athrout Kashmir (@Athrout_Kashmir) October 28, 2020
एनआईए ने एक बयान में कहा कि छापेमारी के दौरान दोष साबित करने वाले कई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए गए हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, एनआईए के बयान के मुताबिक जिन संगठनों के ठिकाने पर छापेमारी की कार्रवाई की गई है, उनमें दिल्ली का धर्मार्थ संगठन फलाह-ए-आम ट्रस्ट, ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन, जेके यतीम फाउंडेशन, सॉल्वेशन मूवमेंट और जेके वॉयस ऑफ विक्टिम्स भी शामिल हैं.
अधिकारियों ने बताया कि इन गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और ट्रस्ट के खिलाफ विश्वसनीय सूचना मिलने के बाद आठ अक्टूबर को भारतीय दंड संहिता और यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.
उन्होंने बताया कि सूचना मिली थी कि ये संगठन तथाकथित दान और कारोबारी योगदान के माध्यम से देश और विदेश से चंदा एकत्र करते हैं और उसका इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण में करते हैं.
एनआईए के इस कदम की घाटी के नेताओं ने आलोचना की है और कहा है कि यह अभिव्यक्ति की आजादी पर बहुत बड़ा हमला है.
NIA raids on human rights activist Khurram Parvez & Greater Kashmir office in Srinagar is yet another example of GOIs vicious crackdown on freedom of expression & dissent. Sadly, NIA has become BJPs pet agency to intimidate & browbeat those who refuse to fall in line
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 28, 2020
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘भारत सरकार द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी एवं विरोध को दबाने का यह एक और उदाहरण है. अफसोस की एनआईए भाजपा की पालतू एजेंसी बन गई है, जो अलग मत रखने वालों को डराने-धमकारने का काम करती है.’
वहीं पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने कहा कि ऐसा करके एनआईए डर के माहौल को और बढ़ा रहा है.
NIA raids add to the environment of fear. GK essentially was one institution which struggled its way to the top. The institution now stared helplessly as fear and slander take over. Hoping against hope that sanity prevails.
— Sajad Lone (@sajadlone) October 28, 2020
उन्होंने कहा, ‘ग्रेटर कश्मीर एक ऐसा संस्थान था जिसने संघर्षों के जरिये सर्वोच्च स्तर पर अपना नाम बनाया था, लेकिन अब यही संस्थान असहाय है, क्योंकि चारों तरफ डर का माहौल है.’
कश्मीर एडिटर्स गिल्ड (केईजी) ने इस छापे की निंदा की और कहा कि स्थानीय मीडिया को हर तरफ से निशाना बनाया जा रहा है.
From NIA raids to lockdown offices, media in Kashmir was never under such duress as it is today. Muzzling of sane voices goes on at all fronts and this govt is shamelessly on that mission.
In solidarity with @GreaterKashmir, J&Ks most trusted newspaper.
— Imran Nabi Dar (@ImranNDar) October 28, 2020
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भी छापे को लेकर भाजपा पर हमला किया. पार्टी के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने ट्वीट किया, ‘एनआईए छापे से लेकर कार्यालयों को सील करने तक, कश्मीर में मीडिया कभी भी इस तरह के दबाव में नहीं था जैसा कि आज है. चौतरफा प्रमुख आवाजों को दबाया जा रहा है और यह सरकार बेशर्मी से उस मिशन पर है.’
एनआईएक के छापे का शिकार हुए संस्थानों में शामिल जेकेसीसीएस (जम्मू कश्मीर कोएलिशन ऑफ सिविल सोसाइटी) अधिकार समूहों और कार्यकर्ताओं का एक संघ है, जिसका गठन साल 2000 में परवेज इमरोज द्वारा द्वारा किया गया था.
इसके समन्वयक खुर्रम परवेज, जिनके निवास स्थान की तलाशी ली गई थी. वह एशियन फेडरेशन अगेंस्ट इन्वॉलंटरी डिसअपीयरेंस (एएफएडी) के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य करते हैं और 2006 के रीबॉक ह्यूमन राइट्स अवार्ड विजेता हैं. साल 2004 के संसदीय चुनावों की निगरानी के दौरान परवेज ने एक बारूदी सुरंग में अपना पैर खो दिया था.
एजेंसी ने जेकेसीसीएस के पदाधिकारी परवेज अहमद मट्टा और एसोसिएशन ऑफ पेरेंट्स ऑफ डिसअपीयर्ड पर्सन्स (एपीडीपी) की चेयरपर्सन परवीना अहन्गर के आवासों की भी तलाशी ली. अहन्गर को साल 2017 में ह्यूमन राइट्स के लिए राफ्तो प्राइज मिला था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)