विशेष राज्य का दर्जा हटाने के बाद बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने केंद्र शासित जम्मू कश्मीर के ज़मीन मालिकाना अधिकार से संबंधित नियमों में बदलाव किया है, जिसके बाद देशभर से अब कोई भी यहां जमीन ख़रीद सकता है. केंद्र के इस क़दम का विरोध हो रहा है.
श्रीनगर: पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को केंद्र ने खत्म कर इसे दो केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था.
इसकी अगली कड़ी में केंद्र सरकार ने अब जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में बाहरी लोगों को जमीन खरीदने का अधिकार देने का रास्ता भी खोल दिया है.
हालांकि केंद्र सरकार के इस क़दम राज्य के प्रमुख दल और संगठन विरोध कर रहे हैं.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने बीते गुरुवार को कहा कि देश में खासकर पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में जमीन के मालिकाना हक से संबंधित विशेष कानून हैं, जहां दूसरे राज्यों के लोग जमीन नहीं खरीद सकते. उन्होंने सवाल किया कि जम्मू कश्मीर में इस तरह का कानून क्यों नहीं हो सकता?
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, नगालैंड जैसे कई राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों में भारतीय आज भी जमीन खरीद नहीं सकते.’
नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्यालय में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने सवाल किया, ‘जब हम इन कानूनों की बात करते हैं तो हम राष्ट्रविरोधी हो जाते हैं. जब दूसरे राज्यों से (विशेष प्रावधानों के लिए) ऐसी आवाज उठती हैं तो मीडिया में क्यों चर्चा नहीं होती?’
Jammu & Kashmir National Conference today staged a peaceful protest march in Jammu against new Land Laws and forceful restraining of Party President Dr. Farooq Abdullah which was forcibly stopped by Police. The protests were led by Provincial President @DevenderSRana. pic.twitter.com/HokTDqICjv
— JKNC (@JKNC_) October 30, 2020
उन्होंने कहा कि ‘लड़ाई’ हमारी पहचान और ‘हमारे भविष्य’ की रक्षा की है. अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में मुख्यधारा के दलों को हाशिये पर धकेलने का प्रयास कर रही है. उन्होंने अपनी भूमि और पहचान की रक्षा की लड़ाई में सभी दलों से साथ आने की अपील की.
उन्होंने कहा, ‘दिल्लीवाले (केंद्र) क्या चाहते हैं? क्या वे हमें मुख्याधारा से हटाना चाहते हैं. हम अपनी पहचान और जमीन की रक्षा की लड़ाई लड़ रहे हैं.’
अब्दुल्ला ने कहा कि पिछले साल लोकसभा चुनाव के बाद राजनीतिक दलों को उम्मीद थी कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होगा.
Party VP @OmarAbdullah Sb today rejected the new Land Laws in J&K while addressing workers at Nawa e Subah. He reiterated JKNC's stand to fight out all such illegal moves. Earlier former MLC and senior PDP leader Saifudin Bhat from Khan Sahib Budgam was formally welcomed in JKNC. pic.twitter.com/L2SYqlC1gs
— JKNC (@JKNC_) October 29, 2020
उन्होंने कहा, ‘लेकिन आज हम अपनी पहचान के लिए लड़ रहे हैं.’
मालूम हो कि केंद्र ने कई कानूनों में संशोधन के जरिये देशभर के लोगों के लिए जम्मू कश्मीर में जमीन खरीदने के मार्ग को बीते 27 अक्टूबर को प्रशस्त कर दिया.
पिछले साल अगस्त में पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के बाद बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के जमीन मालिकाना अधिकार से संबंधित नियमों में बदलाव किया है, जिसके बाद देशभर से अब कोई भी यहां जमीन खरीद सकता है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (केंद्रीय कानूनों का अनुकूलन) तीसरा आदेश, 2020 के माध्यम से जमीन कानूनों के संबंध में यह बदलाव किया है.
दरअसल, केंद्र सरकार ने एक राजपत्रित अधिसूचना में जम्मू कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 से ‘राज्य का स्थायी नागरिक’ वाक्यांश हटा लिया है.
यह धारा केंद्र शासित प्रदेश में जमीन के निस्तारण से संबंधित है और नया संशोधन बाहर के लोगों को जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में जमीन खरीदने का अधिकार देने का रास्ता खोलता है.
कश्मीरी पंडितों के संगठन और विभिन्न दलों ने की निंदा
हालांकि, जम्मू कश्मीर में गुपकर घोषणा को लागू करने के लिए बने अनेक राजनीतिक दलों के ‘गुपकर घोषणा-पत्र गठबंधन’ ने इस फैसले की निंदा की.
नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) समेत जम्मू कश्मीर के अनेक मुख्यधारा के राजनीतिक दलों ने इस विषय पर हर मोर्चे पर लड़ने का संकल्प व्यक्त किया है.
इसके अलावा जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी, कांग्रेस और एक कश्मीरी पंडित संगठन- जम्मू पश्चिम वेस्ट असेंबली मूवमेंट- ने भी इन संशोधनों को ‘कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए मौत की घंटी’ कहा है.
उन्होंने कहा कि जहां पिछली सरकारों ने हमारी जमीन वापस करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए, वहीं इस (भाजपा के नेतृत्व वाली) सरकार ने सुनिश्चित किया है कि हम हमेशा के लिए शरणार्थी ही रहें.
प्रवासियों के लिए मिलाप, वापसी और पुनर्वास के अध्यक्ष सतीश महालदार ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘31 वर्षों से हम अपनी मूल भूमि में वापसी और पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हैं और हमें वहां पुनर्वास किए बिना, सरकार ने कश्मीर के भूमि की बिक्री की शुरुआत कर दी है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमें डर है कि इसके चलते हमारे मंदिर, धार्मिक स्थलों एवं अन्य कश्मीरी पंडित संस्थानों को हथिया लिया जाएगा.’ उन्होंने मांग की कि कश्मीरी पंडित समुदाय के पुनर्वास होने तक किसी भी तरह की भूमि के बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.
उन्होंने इसे अपने और निर्वासन में रह रहे पांच लाख कश्मीरी पंडितों के लिए दुखद क्षण बताया.
महालदार ने कहा, ‘पलायन ने पूरे समुदाय (कश्मीरी पंडित) को बिखेर दिया है और अब इस आदेश के बाद समुदाय हमेशा बिखरा रहेगा, अपनी जातीयता खो देगा और एक धीमी मौत मर जाएगा.’
उन्होंने उन 419 परिवारों के पुनर्वास की भी मांग की जिन्होंने एक साल पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय को लिखित रूप में अपनी सहमति दी थी.
इस बीच जम्मू कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश की विभिन्न पार्टियां एवं समूह जमीन खरीदी के संबंध में केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन लगातार जारी रख रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)