ग्राउंड रिपोर्ट: शुक्रवार को बिहार के सीवान के गांधी मैदान में हुई भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की चुनावी रैली का आंखों-देखा हाल.
सीवान का गांधी मैदान. शुक्रवार को दोपहर एक बजे यहां पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की जनसभा का आयोजन है. दोपहर 12.30 बजे तक सभास्थल पर काफी कम लोग दिख रहे हैं.
पंडाल के पीछे कुर्सियां लगाई जा रही हैं. करीब 300 लोग पंडाल के अंदर बैठे है. कुछ लोग मंच के ठीक सामने सभा स्थल की चहारदीवारी के पास छांव में बैठे हैं. पास में कई भाजपा नेताओं की गाड़ियां खड़ी हैं.
भूजा और सत्तू कोला-काला खट्टा के दो ठेले लगे हुए हैं. बासदेव प्रसाद का ‘बम बम गोला’ नाम का ठेला काफी सजा-धजा है. ठेले पर कई फिल्म स्टार के काला खट्टा के साथ तस्वीरें हैं.
भूजा वाला पौन घंटे में ही कम ब्रिकी से निराश दिखता है. वह सत्तू कोला वाले से बोलता है कि पब्लिक कम है. बिक्री नहीं हो रही है. इससे बढ़िया था कि गोपालगंज मोड़ पर ठेला लगा लिए होते.
सत्तू कोला वाले जोर से हांक लगाते हैं- बिहार का नंबर वन सत्तू कोला पीजिए. सूखल दांत भी हरिहरा जाई. उनकी बात को सुन लोग हंसने लगते हैं. एक व्यक्ति टिप्पणी करता है- जेकर दांत पहलवें से हरिहर बा उनकर का होई?
सभा मंच का माइक अभी खामोश है. एक गोल घेरा बनाकर बैठे तीन-चार लोग आपस में बातचीत कर रहे हैं. एक व्यक्ति कहता है, ‘निरहुआ के बुला लिहल चाहत रहल. मजमा जम जाइत.’
दूसरा व्यक्ति कहता, ‘निरहुआ भी कम थोड़े बा. आजमगढ़ जाकर सीधे अखिलेश से लड़ गईल. अइसन बयाना लिहलस कि पटका गईल. बहुत बड़हन बात करे लागल रहल. कहलस कि भगवानों हमके हरा नाहीं पईंह.’
तीसरा व्यक्ति निरहुआ का बचाव करते हुए कहता है, ‘बड़का नेतन के सामने लड़ल मामूली बात ना बा. अब मोदी जी सीवान लड़े चल आवें तो यहां के नेता लोगन के का हाल होई? गुजरात से आके उ बनारस में जीत गईलन कि नाहीं. हाजीपुर से विष्णु पटेल इहां लड़ के जीतन रहलन की नाहीं. उ अच्छा नेता रहलन.’
इसी वक्त भगवा गमछा गले में डाले कुछ लड़के सेल्फी लेने लगते हैं. तीसरा व्यक्ति फिर टिप्पणी करता है, ‘लड़िका सब सेल्फिए लेले में परेशान बाटें. इन सबके भविष्य खराब बा.’
इस तीसरे व्यक्ति की दिलचस्प टिप्पणियां मुझे उनकी ओर खींच लेती हैं. मैं उनके नजदीक जाकर बैठ जाता हूं. वे बताने लगते हैं, ‘सीवान में तीन सभास्थल है. राजेन्द्र स्टेडियम सबसे बड़ा है. उसकी सीढ़ियों पर ही सैकड़ों लोग बैठ जाते हैं. कन्हैया कुमार की सभा में खूब भीड़ जुटी लेकिन स्टेडियम भर नहीं पाया. उससे छोटा सभास्थल पुलिस लाइन का है जहां दो दिन पहले तेजस्वी यादव की सभा हुई थी. काफी भीड़ हुई थी. हम नहीं गए थे लेकिन यू ट्यूब पर देखे थे. गांधी मैदान इन दोनों स्थानों से छोटा है.’
पहला व्यक्ति फिर बोल उठता है, ‘सीवान में मोदियो जी अइहें का? दूसरा जवाब देता है, ‘उनकर बिहार में 12 गो सभा बा. आठ गो हो गईल बा. अब दू दिन बाद प्रचार बंद हो जाई. अब का अइहें?’
सीवान जिले की आठ विधानसभा क्षेत्रों के लिए दूसरे चरण में तीन नवंबर को मतदान होना है.
मंच पर गीत-गवनई न होने से निराश इस समूह के चेहरे उस समय खिल उठे जब पास में एक प्रचार वाहन ने गीत बजा दिया-
जन-जन की यही पुकार, भाजपा की हो सरकार
नया बनाना है इतिहास, सबका साथ सबका विकास
तभी मंच से उद्घोषणा होने लगती है- ‘कृपया ध्यान दें! मंच के बाएं सफेद पंडाल में कोई नहीं बैठेगा. वहां सिर्फ सुरक्षाकर्मी बैठेंगे.
गाना फिर बजने लगता है. बीच में फिर मंच से ऐलान होता है, ‘देश के महान नेता जय प्रकाश नड्डा आने वाले हैं. आप लोग अपना स्थान ग्रहण कर लें और उनके भाषण को सुनकर लाभ उठाएं.’
तीसरे व्यक्ति की फिर टिप्पणी आती है, ‘भाषण सुन सुन जनता थक गई है. इतना कहां टाइम है कि सबका भाषण सुने. कोरोना ने सबको डैमेज कर दिया है. बेकारी बहुत बढ़ गया है. पैसे वालों का बुरा हाल है तो गरीब लोगों का क्या होगा? ठेला वालों को देखिए. दो जून की रोटी के मोहताज हो गए हैं. आलू 60 रुपये और प्याज 80 से 85 रुपये किलो बिक रहा है. महंगाई चरम पर है. गरीब आदमी क्या खाएगा और क्या खिलाएगा.’
अब प्रचार वाहन से मनोज तिवारी का गाना बजने लगता है-
सुन हो बिहार के भइया
दादा-दादी हो
भाजपा के आशीर्वाद बनाव हो भइया
लिट्टी चोखा छान के
कमल पर बटन दबाव हो भइया
तीसरे व्यक्ति फिर बोलता है, ‘इनहू मनोज तिवारी को इहां से हटा दिया है. दिल्ली भेज दिया गया. अब चुनाव में इहां आके गावत बाने.’
तीसरे व्यक्ति को जानने में मेरी दिलचस्पी बढ़ने लगती है, मैं अपना परिचय देते हुए उनसे पूछता हूं कि वे कहां रहते हैं और क्या करते हैं ?
वह खुद अपने बारे सिलसिलेवार ब्योरा देने लगते हैं, ‘कुवैत में पुल बनाने वाली एक कंपनी में काम करता था. लाॅकडाउन के पहले छुट्टी में आया था. एक साल हो गया. वापस नहीं जा पाया हूं. सीवान के बहुत से लोग कुवैत, ओमान और अन्य देशों में काम करने जाते हैं. हर धर्म और बिरादरी के लोग. पूरा सीवान तो बाहरे से है. पूरे बिहार में इस मामले में एक नंबर पर है. कोई घर ऐसा नहीं है जहां के एक-दो लोग विदेश में न हों.’
सीवान जिला कभी हैंडलूम और पावरलूम पर तैयार किए गए चादर, तौलिया, लुंगी, शाल, साड़ी के लिए मशहूर था. बड़ी संख्या में लोग इसमें काम करते थे. सूत के लिए मिल भी लगी थी.
दो दशक पहले यह सूत मिल बंद हो गई. हथकरघे और पावरलूम पर बने वस्त्रों की लागत अधिक आने और मांग कम होने के कारण धीरे-धीरे हैंडलूम और पावरलूम खामोश पड़ गए.
सूत मिल की जमीन पर इंजीनियरिंग कॉलेज बनाने का वादा किया गया. यह वादा भी पूरा नहीं हुआ. सीवान जिले में तीन चीनी मिलें हुआ करती थीं. ये सभी दो दशक से अधिक समय से बंद है.
चीनी मिलों की बंदी के कारण यह गन्ने की खेती बमुश्किल कुछ हजार हेक्टेयर में सिमट गई है. इन कारणों से इस जिले में पलायन बढ़ा.
कुवैत से लौटे कामगार बताते हैं, ‘पूरा परिवार सीवान शहर में रहने लगा है लेकिन वे लोग इसी जिले के जीरादेई क्षेत्र के चंदौली गांव के हैं. गांव में हिंदू और मुस्मिल मिल-जुलकर रहते हैं. मिल-जुलकर एक दूसरे के त्योहार में गले मिलते हैं, पटाखा छोड़ते हैं. इधर नया-नया लड़का आ गया है. माहौल खराब करता है. इ लड़कन के दिमाग बुझाता ही नहीं है.’
अपने बारे में इतना बताने के बाद वे रुक जाते हैं. मनोज तिवारी का गाना बज रहा है, ‘एम्स खुलल बा हो भइया, घर से अंधकार मिटाव हो भइया. बिना भेदभाव के सबके गले लगाव हो भइया, सड़क पानी की राजनीति बढाव हो भइया.’
मैं उनसे पूछता हूं कि आखिर हिंदू-मुस्लिम के बीच आग लगाता कौन है? उनका जवाब आता है, ‘हम इस बारे में नहीं कहेंगे. आप जानते हैं. आप कहिए.’
बातचीत और आगे बढ़ती है. वे कहते हैं, ‘यहां से कुछ दूर पर जिला अस्पताल है. आप जाकर देख आइए कि वहां क्या व्यवस्था है? इसी जिले के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय हैं. अस्पताल में जाइए तो डॉक्टर मिलते ही नहीं. मिलते हैं तो देखते ही पटना के पीएमसीएच या गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज रेफर कर देते हैं.’
वे अपना अनुभव सुनते हैं, ‘साल भर पहले का बात है. एक बार रात में अपने गांव के एक मरीज को लेकर जिला अस्पताल आए. अस्पताल में एक्सीडेंट में घायल सात-आठ लोग आया था, लेकिन कोई डॉक्टर ही नहीं था. हम लोग बहुत खोजे तो एक छोटे-से कमरे में मच्छरदानी तानकर सो रहा डॉक्टर मिला. जगाकर बोले कि आपकी नाइट ड्यूटी है और आप सो रहे हैं. वह उठकर आया, एक पर्ची पर दवा लिखा और फिर जाकर सो गया. बहुत बुरा हाल है. क्या करिएगा? हमारे घर के एक बीमार व्यक्ति पटना इलाज कराने जाते हैं. हमारी पत्नी को कमर दर्द रहता है. हम उनका इलाज गोरखपुर के डॉक्टर से कराते हैं.’
सीवान, गोपालगंज सहित और आस-पास के जिलों में इलाज का कोई उच्च स्तरीय संस्थान नहीं है. इन जिलों के लोग इलाज के लिए गोरखपुर जाते हैं. चुनाव से ठीक एक महीना पहले सीवान जिले के मैरवां में मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया गया है. यही हाल शिक्षा के क्षेत्र में है.
दो बज चुके हैं. जेपी नड्डा अब तक नहीं आए हैं. मंच से ऐलान होता है कि सभा की कार्यवाही शुरू की जा रही है. यूपी के सलेमपुर से आए भाजपा नेता सुनील यादव मंच पर आएं और गीत सुनाएं.
सुनील यादव माइक संभालते हुए अपना परिचय सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष के रूप में देते हैं. वे कहते हैं, ‘मैं यहां विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का स्वागत, अभिनंदन, वंदन करने आया हूं. आप लोगों से निवेदन है कि एनडीए के सभी उम्मीदवारों को झार कर, ललकार कर जिताएं.’
सभा से उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं आने पर वे कहते हैं कि सभी लोग हाथ उठाकर हमारे साथ भारत माता की जय बोलिए.
सुनील यादव कह रहे हैं, ‘सोशल मीडिया में बिहार के बारे में गलत-सलत जानकारी डाला जा रहा है. लोग कह रहे हैं कि बिहार में का बा? हम अपने गीत से आप सभै के सामने राखब कि बिहार में का नइखे.’
वे गाना शुरू करते हैं-
बोल बिहार में का नइखे
सोनपुर के मेला फेमस
हाजीपुर के केला बा
इहां के लिट्टी चोखा खाकर
दुनिया भइल चेला बा
बोल बिहार में का नइखे
वे प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार की प्रशस्ति में एक और गीत सुनाते हैं-
हमने सोचा न था , काम ऐसा हुआ
क्या से क्या हो गया, देखते-देखते
370 हटा, तीन तलाक भी गया
राम मंदिर बने, देखते-देखते.
काफी देर से चुप बैठे कामगार फिर बोलना शुरू करते हैं, ‘भाषण में नेता शौचालय, आवास बनाने की बात कर रहे हैं. हालत यह है कि बिना घूस के कोई काम नहीं रहा. शौचालय में 12 हजार रुपये में तीन हजार कमीशन ले लेता है. बाकी नौ हजार रुपया पाकेट में लेकर लोग घूम रहा है. आप ही बताइए नौ हजार में शौचालय बन पाएगा? ये लोग 15 साल जंगलराज की बात कर रहे हैं. ठीक बात है, लेकिन यह भी तो बताइए कि 15 साल से तो आप भी हैं. आपने क्या किया? जिसने नहीं किया, नहीं किया. आप करके दिखाइए.’
बात चुनावी राजनीति पर आ जाती है. वे कहते हैं कि जदयू ने जीरादेई में रमेश कुशवाहा का टिकट काटकर कमला कुशवाहा को दे दिया है. यहां से महागठबंधन से भाकपा माले के अमरजीत कुशवाहा लड़ रहे हैं. मौजूदा विधायक रमेश कुशवाहा ने भी उनका समर्थन कर दिया है. इन दोनों में ही मुकाबला है.
बागियों से परेशान जदयू-भाजपा
सीवान जिले में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं. पिछले चुनाव में जदयू ने चार दो, राजद ने दो और भाकपा माले ने एक सीट जीता था.
इस चुनाव में महागठबंधन से भाकपा माले तीन सीट-दरौली (सत्यदेव राम), दरौंदा (अमरनाथ यादव) और जीरादेई (अमरजीत कुशवाहा) पर चुनाव लड़ रही है, जबकि सीवान (अवध बिहारी चौधरी, गोरेया कोठी (नूतन यादव) और बड़हरिया (बच्चा पांडेय) सीट राजद के खाते में आई है. महराजगंज से महागठबंधन से कांग्रेस के विजय शंकर दुबे चुनाव लड़ रहे हैं.
इस जिले में जदयू और भाजपा खेमे में सब ठीक-ठाक नहीं है. सीवान की सांसद कविता सिंह जदयू और भाजपा के मंच पर नहीं आ रही हैं. उनके पति अजय सिंह दरौंदा से भाजपा प्रत्याशी के बजाय एक निर्दल प्रत्याशी के पक्ष में हैं.
सीवान लोकसभा चुनाव के बाद दरौंदा में हुए उपचुनाव में जदयू से अजय सिंह चुनाव लड़े लेकिन उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी कर्णजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह ने हरा दिया.
भाजपा ने इस बार कर्णजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह को ही प्रत्याशी बनाया है. इससे नाखुश अजय सिंह ने रोहित कुमार अनुराग को समर्थन दिया है.
आज बिहार के सिवान में चुनावी जनसभा को संबोधित किया।
आजकल महागठबंधन वाले लुभावने नारे लेकर आ रहे हैं लेकिन उनपर विश्वास नहीं किया जा सकता।
जनता वोट उन्हें दे जो बिहार को आगे लाने में प्रयासरत रहे हैं एवं इसे और आगे ले जाने को संकल्पबद्ध हैं। pic.twitter.com/IesjnKMl0c
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) October 30, 2020
सीवान सदर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने पूर्व सांसद ओम प्रकाश यादव को प्रत्याशी बनाया है. इससे नाराज होकर यहां से तीन बार विधायक रहे व्यासदेव प्रसाद बागी हो गए. भाजपा ने चुनाव के आखिरी दौर में उन्हें किसी तरह मना लिया है.
जीरादेई से टिकट कटने के बाद जदयू विधायक रमेश कुशवाहा ने पूरे जिले में भाजपा-जदयू को हराने वाले प्रत्याशियों की मदद करने का ऐलान किया है. वह अधिकतर सीटों पर महागठबंधन प्रत्याशियों की मदद कर रहे हैं.
रघुनाथपुर में भी जदयू को पूर्व एमएलसी मनोज सिंह की बगावत का सामना करना पड़ रहा है. यहां पर जदयू ने राजेश्वर चौहान को प्रत्याशी बनाया है.
मनोज सिंह लोजपा से चुनाव लड़ रहे हैं. राजद के विधायक हरिशंकर सिंह फिर से चुनाव मैदान में हैं. बड़हरिया से भाजपा के सीटिंग विधायक श्याम बहादुर सिंह की मीडिया में काफी चर्चा है. एक तांत्रिक के कहने पर पूरे चुनाव नंगे पैर चलने और पब्लिक व मीडिया की डिमांड पर ठुमके लगाने के लिए वीडियो खूब देखे जा रहे हैं.
विपक्षी प्रत्याशी उनको शराब पीने के लिए भी निशाना बना रहे हैं हालांकि इस बारे में श्याम बहादुर सिंह का कहना है कि बिहार में शराबबंदी के बाद उन्होंने भी पीना छोड़ दिया है. इस बार उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है.
तेजस्वी के सभाओं में अन्य स्थानों की तरह इस जिले में भी काफी भीड़ जुटी. भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने भी दरौली, जीरादेई, दरौंदा में बड़ी सभाएं की हैं.
ये तीनों क्षेत्र भाकपा माले के मजबूत आधार क्षेत्र रहे हैं. राजद-कांग्रेस के साथ गठबंधन से इन सीटों पर माले की स्थिति काफी मजबूत है.
गांधी मैदान में तीन बज चुके हैं. अब तक जेपी नड्डा नहीं आए हैं. बासदेव प्रसाद अब अपना ठेला लेकर जा रहे हैं. कम बिक्री से वे निराश हैं.
कह रहे हैं कि पब्लिक कम आई है इसलिए कम बिक्री हुई है. तेजस्वी की सभा में अच्छी बिक्री हुई थी. अब सत्तू का सीजन भी जा रहा है. छह महीना मटर-भूजा बेचता हूं तो छह महीने सत्तू और काला खट्टा.
मंच से स्थानीय नेता भाषण दे रहे हैं. बड़ी संख्या में कुर्सियां अब भी खाली हैं. मंच की बायीं तरफ चार-पांच पंक्तियों में महिलाएं बैठी हैं. इनमें से कई जाने लगी हैं.
स्थानीय नेता अपने संबोधनों में पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन का नाम लिए बिना सीवान को ‘अपराध से आजाद’ करने का दावा करते हुए उन्हें निशाना बना रहे हैं. उनके भाषणों के केंद्र में तेजस्वी यादव और भाकपा माले हैं.
मंच के दाएं तरफ एक न्यूज चैनल के लोग भगवा गमछाधारियों से सीवान के चुनावी माहौल पर बात कर रहे हैं. कुछ देर बाद एक हेलिकॉप्टर सभास्थल के ऊपर उड़ता हुआ नजर आता है.
मंच से ऐलान होता है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा सीवान में पधार चुके हैं. कुछ देर में सभास्थल पर पहुंचने वाले हैं. पंडाल में लगी कुर्सियां अभी भी भरी नहीं है. कुछ लड़के खाली कुर्सियां हटाने लगते हैं.
हमारे साथ करीब दो घंटे से बैठे शख्स कहते हैं कि ‘पत्रकार लोग देश की शान है. पत्रकारिता बहुत बड़ी चीज है. आप लोगों को सच दिखाना चाहिए, लेकिन दिखाते नहीं हैं. हमको पत्रकारिता में रवीश कुमार सबसे अच्छा लगता है. अच्छे-अच्छे नेता उसके सामने बोलने से बचता है.’
मंच से ‘भाजपा जिंदाबाद, जेपी नड्डा जिंदाबाद’ का नारा लगने लगता है. इधर-उधर बैठे लोग पंडाल के तरफ बढ़ने लगते हैं. हमारे साथ बैठे वो व्यक्ति कहते हैं, ‘देखिए ! कुर्सी बटोराइल लगल. नेता लोग खाली कुर्सी नाहीं देखल चाहेला.’
मंच पर पहुंचने के कुछ देर बाद जेपी नड्डा का अपना भाषण शुरू करते हैं. करीब आधे घंटे के भाषण में वे अधिकतर समय केंद्र सरकार द्वारा बिहार में कराए गए कार्यों को गिनाते हैं.
वह एक पर्चे को देखते हुए सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, एयरपोर्ट आदि के लिए दिए गए धन का ब्यौरा रखते हैं और पंडाल के लोगों से बार-बार पूछते हैं कि बताइए हमने यह किया है कि नहीं.
पंडाल में बैठे लोग कभी-कभी हाथ उठाकर उनकी बात का समर्थन करते हैं. वे नीतीश सरकार के कार्यों के बारे में कुछ नहीं बोलते. आखिर में सिर्फ इतना कहते हैं कि नीतीश जी की सरकार बनाइए. उनको मोदी जी का आशीर्वाद रहेगा.
उनके भाषण के समय ही पंडाल में बैठी कुछ और महिलाएं जाने लगती हैं. यह देख भाजपा की टोपी पहने एक व्यक्ति दौड़ता हुआ आता है और महिलाओं के चाय देने लगता है. कुछ महिलाएं बैठ जाती हैं.
सभास्थल के एक कोने में लड़के नेताओं के भाषण से बेपरवाह क्रिकेट खेलने में मशगूल हैं.
(लेखक गोरखपुर न्यूज़लाइन वेबसाइट के संपादक हैं.)