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अतीक़ को बार-बार ज़मानत कैसे मिल जाती है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अतीक़ अहमद को ज़मानत देने के मामले में उत्तर प्रदेश की सपा सरकार को फटकार लगाई है.

पूर्व सांसद अतीक अहमद (पीटीआई)

पूर्व संसद अतीक अहमद (पीटीआई)

इलाहाबाद के बाहुबली नेता व पूर्व सांसद अतीक़ अहमद की मुश्किलें अब बढ़ने वाली हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अतीक की जमानत निरस्त करने की बात कही है.

अतीक़ अहमद समाजवादी पार्टी के नेता हैं और सांसद भी रह चुके हैं. अतीक पर दर्जनों आपराधिक मुक़दमे दर्ज़ हैं. फिलहाल वे जमानत पर बाहर हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अतीक़ मामले पर टिप्पणी करते हुआ कहा, अगर राज्य सरकार अतीक़ के ज़मानत रद्द करने की अर्ज़ी नहीं देती तो अदालत मामले को दूसरी एजेंसियों को सौंप देगी.

अदालत ने हैरानी जताई है कि कोई व्यक्ति इतने अपराध करने के बावज़ूद कैसे बाहर रह सकता है. गौरतलब है कि अतीक़ पर 1980 से लेकर अब तक 83 मुक़दमे दर्ज़ हैं जिनमें 45 गंभीर मामले हैं.

मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोंसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि बार-बार अपराध करने वाले व्यक्ति को ज़मानत कैसे मिल सकती है? जबकि जमानत की शर्त है कि अगर किसी का नाम दूसरे अपराध में शामिल है तो उसकी ज़मानत निरस्त कर दी जाए.

अदालत ने राज्य सरकार से सवाल पूछा है कि अतीक की ज़मानत निरस्त करने के लिए सरकार क्या भूमिका निभा रही है. सपा सरकार के ढीलेपन पर टिप्पणी करते हुए मुख्य न्यायधीश ने कहा कि उन्होंने 31 साल में ऐसा मामला नहीं देखा.

न्यायाधीश ने प्रदेश के कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया है कि एक पेशेवर अपराधी को बार-बार कैसे जमानत मिल जाती है. अदालत ने राज्य सरकार से साफ तौर पर अतीक़ मामले पर जवाब तलब किया है. अदालत चाहती है कि अतीक अहमद की जमानत तुरंत निरस्त की जाए और इसके लिए राज्य सरकार जल्द अर्ज़ी दायर करे.