ग्राउंड रिपोर्ट: सीवान के गहिलापुर दरौली विधानसभा क्षेत्र से भाकपा माले के मौजूदा विधायक सत्यदेव राम चुनाव में खड़े हैं. बीते शनिवार को महागठबंधन के मुख्यमंत्री प्रत्याशी और राजद नेता तेजस्वी यादव उनके समर्थन में यहां रैली करने पहुंचे थे. इस चुनावी सभा का आंखों देखा हाल.
सीवान से आंदर जाने वाले रास्ते पर कुछ दूर आगे बढ़ने पर ही हरा झंडा लिए और पगड़ी बांधे बाइक सवार युवक दिखाई देने लगते हैं. जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं. बाइक-टेंपो में हरा झंडा लिए लोग जाते दिखते है.
हुसैनगंज में महागठबंधन कार्यालय पर काफी भीड़ दिखती है. अंदर से पहले लाल और हरे झंडे लिए लोग नारे लगाते दिखते हैं. ये सभी लोग महागठबंधन के नेता एवं मुख्यमंत्री पद के घोषित तेजस्वी यादव की रैली में जा रहे हैं.
शनिवार को तेजस्वी यादव की सीवान जिले में तीन स्थानों-दरौंदा, रघुनाथपुर और गहिलापुर में सभा है. गहिलापुर, दरौली (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र में आता है. यहां महागठबंधन की ओर से भाकपा माले के मौजूदा विधायक सत्यदेव राम चुनाव लड़ रहे हैं.
पिछले चुनाव में उन्होंने 49,576 वोट पाकर भाजपा प्रत्याशी रामायन मांझी को 9,584 मतों से हराया था. रामायन मांझी को 39,850 मत मिले थे जबकि राजद प्रत्याशी को 37,201 वोट मिले थे.
जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं सभा में जाने वाले लोगों का हुजूम दिखाई देता है. एक गांव में ट्रैक्टर पर सवार लोग गीत गाते जाते हुए दिखते है.
असांव में रैली में जाने वाले लोग नाचते-गाते निकल रहे हैं. चौराहे पर घोड़े पर सवार आधा दर्जन लोग मौजूद हैं. ये सभी लाल पगड़ी बांधे हुए हैं. हर चौराहे-तिराहे पर रैली जा रहे लोगों का समूह दिखता है.
गहिलापुर स्कूल के मैदान में तेजस्वी यादव का मंच लगा हुआ है. असांव से गहिलापुर जाने वाले मुख्य मार्ग के ठीक बाएं तरफ यह मैदान है.
मंच स्कूल के पास बना है. दोपहर 12 बजे तक सभास्थल का पंडाल भर चुका है. कोई कुर्सी खाली नहीं है. मंच के सामने आखिरी छोर पर हेलीपैड बना है और इसे चारों तरफ से बांस-बल्लियों से घेर दिया गया है.
यहीं से एक गैलरी बनी है जो सीधे मंच पर जाती है. हेलीपैड के चारों तरफ लोग खड़े हैं. मंच से ऐलान सुनाई देता है, ‘करीब एक घंटा टाइम है हमारे तेजस्वी जी के आने में, इसलिए आप लोग घामा में खड़े होकर परेशान मत होइए. हेलीपैड के आस-पास मत खड़े होइए.’
मंच पर श्यामसुंदर यादव की बिरहा पार्टी जमी हुई है. वे यह कहते हुए गाना शुरू करते हैं कि इस वंदना की कड़ी में साफ-साफ संदेश दे रहा हूं कि भक्त और भक्ति कैसी होती है. इसमें वह अपना और गुरु का परिचय देते हुए उनकी वंदना करते हैं.
हंस यदुवंश का ये
कइलस नजीर हो
नाम वैघनाथ पड़ल, बाड़े महिष के
बाड़े बहुत गरीब से
गुरु गणेश राम बाने गांव फुलवारी
अरे पीर मोरी मिटाई देतू हो
मइया हमका गवाए के खातिर आई जइतू हो
वह अपने गाने के बीच-बीच में भाजपा और जदयू पर बहुत तीखी टिप्पणियां कर रहे हैं. वे कहते हैं, ‘आठ-दस महीने से जहां भी विरहा गाना गाने जाता हूं लोगों से पूछता हूं कि केकरा के वोट दिआई. मोदी जी के नू? महिलाएं कहती हैं कि अरे उ बड़ा झूठेला पार्टी है. कहलस कि सबके 15-15 लाख देब. अब ओकरे पार्टी के लोग दिख गइलन तो करखई हांड़ी फेंक के मारल जाई.’
अगला गीत शुरू करने के पहले श्यामसुंदर बताते हैं कि यह गीत ‘हमार पाजेब में हीरा जड़ा द, झुलनी में उड़ती जहजिया उड़ाई द’ के तर्ज पर है.
बटन अबकी तीन तारा पे लागी
जीतिहं सत्यदेव भाई
बनके विधायक पटना में जइहें
भैया तेजस्वी के सीएम बनईंह.
हर बिरहे की दो तीन लाइन के बाद कोई न कोई मंच पर आकर श्यामसुंदर को दे रहा है, कभी सौ रुपये तो कभी 500 रुपये.
पूरा सभास्थल एक बड़े ग्रामीण मेले की तरह दिख रहा है. मैदान के सामने वाला खेत मोटरसाइकिलों, साइकिलों से पटा है. लोग लगातार साइकिल, बाइक, ट्रैक्टर, टेंपो से आते जा रहे है. तमाम लोग कंधे पर बच्चों को बिठाए चले आ रहे हैं.
मंच के सामने आखिरी छोर पर दाएं तरफ गन्ना रस, समोसा, पकौड़ी, फोफी के ठेले लगे हैं. फोफी बेचने वाला एक रुपये में दो फोफी दे रहा है. पास में एक व्यक्ति अपने बेटे के साथ फोफी खा रहे हैं.
दस रुपये में एक गिलास गन्ना रस मिल रहा है. गन्ना रस की दुकान पर सबसे अधिक भीड़ है. श्यामसुंदर अभी गाना गा ही रहे थे कि एक ट्रैक्टर पर लोग गीत गाते और नाचते हुए सभास्थल पर पहुंचते हैं. सभास्थल से कई लोग ताली बजाते हुए उनका स्वागत करते हैं.
कुछ देर बाद असांव से चले छह घुड़सवार भी सभास्थल पर पहुंच जाते हैं. वे मंच के बाएं तरफ एक बड़े घेरे में लाल झंडा लिए घोड़े के साथ सरपट दौड़ रहे हैं. इन घुड़सवारों को देखने के लिए काफी लोग उनकी तरफ आ जाते हैं.
ये सभी घुड़सवार आधे घंटे तक घुड़सवारी के अपने कौशल का परिचय देते हैं. आधे घंटे बाद ये सभी घुड़सवार मंच के पास दाहिने तरफ बगीचे में चले जाते हैं.
बगीचे में 400 से अधिक लोग आराम से पालथी मारकर बैठे हैं. कुछ लोग आपस में बातचीत कर रहे हैं. बाकी मंच से नेताओं का भाषण सुन रहे है.
मैं घुड़सवारों से मिलता हूं. वे बताते है कि सभी असांव गांव के हैं. घोड़े शौक से पालते हैं. बच्चे की तरह देखभाल करते हैं. उनके पैरों की मालिश तक करते हैं.
मंच पर श्यामसुंदर का आखिरी गाना चल रहा है. वह इस गाने को ‘गेहुंवा के बाल ले जा सुगुना, बलम मोर पूड़ी के तरसे’ की तर्ज पर गा रहे हैं-
ए बाबू जनता के लागल बा नारा
बटन तीन तारा पर दबिह
राजद-कांग्रेस-माले क इहे पहचान बा
लालू-तेजस्वी के इहे निशान बा
सत्यदेव जीतिहें दुबारा
बटन तीन तारा पर दबिह
बहुत भईल लूट नीतीश सरकार में
होखे जात बा परिवर्तन बिहार में
अरे जाति-पांति मजहब के भेद मिट जाई
सबहीं के करिहें तेजस्वी भलाई
बनल गठबंधन सहारा
बटन तीन तारा पर दबिह
एक बजे दरौली के भाकपा माले प्रत्याशी सत्यदेव राम, भाकपा माले के पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेंद्र झा मंच पर पहुंचते है. मंच पर राजद, इंकलाबी नौजवान सभा, ऐपवा के साथ-साथ स्थानीय नेता मौजूद हैं.
सभा शुरू हो जाती है. भाकपा माले प्रत्याशी विधानसभा क्षेत्र में अपने कार्यकाल में विकास के कार्यों का ब्योरा रखते हैं और लॉकडाउन में बिहार के प्रवासी मजदूरों को यूपी-बिहार के बॉर्डर पर रोकने और वापस करने की घटना व इसके खिलाफ पार्टी द्वारा किए गए संघर्ष की विस्तार से चर्चा करते हैं.
राजद के नेता अपने भाषणों में कह रहे हैं कि इस बार तो महागठबंधन की सरकार बन रही है. क्षेत्र में और भी विकास कार्य होंगे.
मंच के दाएं तरफ बगीचे में बैठे लोगों के बीच चार-पांच लोग चुनावी गणित की चर्चा कर रहे हैं. एक व्यक्ति कहता है, ‘सत्यदेव राम पिछली बार अकेले 50 हजार वोट पाकर जीतल रहलन. अब तो राजदो उनके साथ बा.’
दूसरा व्यक्ति कहता है, ‘ए बेरी एक लाख स पार कर जईंहन. जीत क अंतर पचीस हजार के होई.’
ढाई बज चुके हैं. कॉमरेड धीरेंद्र झा का भाषण चल रहा है. वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री बिहार में जंगलराज की बात कर रहे हैं. उन्हें यूपी क्यों नहीं दिखाई दे रहा है जहां उन्नाव, हाथरस हो रहा है. वह इसे क्या कहेंगे?
उनका भाषण खत्म होने वाला है कि हेलिकॉप्टर की गड़गड़ाहट सुनाई देती है. सबकी निगाहें ऊपर की तरफ उठती हैं. मंच से नारे लगने लगते हैं. इधर-उधर बैठे लोग हेलीपैड के तरफ दौड़ने लगते हैं.
हेलिकॉप्टर से उतरकर तेजस्वी यादव हेलीपैड के घेरे का एक चक्कर लगाते हुए हाथ हिलाते हुए सबका अभिवादन करते हैं और गैलरी से होते हुए मंच की तरफ बढ़ चलते हैं.
मंच पर पहुंचते ही वह माइक थाम लेते हैं, ‘यह चुनाव नहीं है बल्कि यह बेरोजगारी हटाओ आंदोलन है. बेरोजगारी सबसे बड़ा दुश्मन है कि नहीं? केतनो डिग्री लिया, कोचिंग किया, कम्पटीशन का तैयारी किया, इ किया, उ किया, जूता खिया गया लेकिन रोजगार नहीं मिला. मुद्दा पढ़ाई, दवाई, कमाई और सिंचाई का है. नीतीश कुमार ने सब चौपट कर दिया. बिहार में 30 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है. जल-नल में, सात निश्चय में घोटाला हुआ है.’
वे आगे कहते हैं, ‘हम सच्चाई की, मुद्दे की बात करने आए हैं. सीवान और गोपालगंज के लोगों को रोजी-रोटी, दवाई, पढ़ाई सबके लिए बाहर जाना पड़ता है. उच्च शिक्षा के लिए छपरा जाना पड़ता है. जिले में एक भी डिग्री कॉलेज नहीं है. कुछो नहीं हैं. हम नए सोच के हैं. हमें नया बिहार बनाना है. हम सबको साथ लेकर चलेंगे. किसी को पीछे नहीं छोड़ंगे.’
वे धाराप्रवाह बोलते चले जा रहे हैं, ‘कैबिनेट की पहली बैठक में एक साथ इकट्ठे दस लाख नौकरी देंगे. साढ़े चार लाख पोस्ट खाली है. उसको भरेगे. फिर राष्ट्रीय औसत के अनुसार साढ़े पांच लाख लोगों को नौकरियां दी जाएंगी. बिहार का बजट 2.13 लाख करोड़ हैं. अभी तक सिर्फ 60 फीसदी ही खर्च हो पा रहा है. चालीस फीसदी यानी 80 हजार करोड़ रुपये खर्च ही नहीं होता. बिहार में पैसा कम नहीं है, इस सरकार के पास इच्छाशक्ति नहीं थी.’
दस लाख की नौकरी पर खूब देर तक जोरदार तालियां बजती हैं. नारे लगने लगते हैं. वे प्याज और आलू के महंगा होने का सवाल उठाते हैं. कहते हैं, ‘प्याज शतक मार दिया, आलू हाफ सेंचुरी मार दिया है. भाजपा और नीतीश के मुंह में दही जम गया है. उनकी अब बोली नहीं निकल रही है. पहले पियजवा के दाम 50 रुपये होता था तो इस सब पियजवा का माला पहनकर घूमने लगता था और गाना गाने लगता था कि महंगाई डायन खाय जाता है. पियाज का माला पहनकर घूमने लगता था. अब काहे नहीं घूम रहा है पियाज का माला पहिन के?’
प्याज और आलू की महंगाई पर तेजस्वी की इस टिप्पणी पर जोरदार तालियां बजती हैं.
तेजस्वी तकरीबन दस मिनट तक भाषण देते हैं. महागठबंधन के चुनावी घोषणा पत्र की बातों को रखते हैं और कहते हैं, ‘हमारे पीछे भाजपा-जदयू ने 30-30 हेलिकॉप्टर छोड़ रखा है. हमने हेलिकॉप्टर को ट्रैक्टर बना दिया है. आज हमारी 17 सभा है. एक दिन में सबसे अधिक रैली कौन किया किया था. लालू जी ने. एक दिन में 16 सभा किए थे. दो दिन पहले हमने 16 सभाएं की. आज 17 सभा किए. हम ठेठ बिहारी सब पर भारी है क्योंकि जनता हमारे साथ खड़ी हैं.’
आखिर में वह लोगों से पूछते हैं, ‘तो बोलिए निश्चिंत होकर लौटे नू. हमारी सरकार तय है नू. सत्यदेव जी के माला पहिना दीं. पक्का. चल माला पहिना देत हईं.’ वे सत्यदेव राम को माला पहनाते हैं. इसके बाद वे मंच से उतरकर जाने लगते हैं.
लोग हेलीपैड की तरफ दौड़ने हैं. भीड़ में सैकड़ों लोग मोबाइल से फोटो खींच रहे हैं, वीडियो बना रहे हैं. हेलिकॉप्टर ऊपर उठता है तो सब लोग हाथ हिलाते हुए अभिवादन करते है.
श्याम बहादुर गोंड के गन्ना रस सहित सभी ठेले वापस लौट रहे हैं. उनका कोई सामान नहीं बचा है. फोफी, समोसा, पकौड़ी सब खत्म हो गया. श्यामसुंदर गोंड ने आज 1,800 रुपये का गन्ना रस बेचा है.
उनके चेहरे पर खुशी दिख रही है. कहते हैं, ‘आज बहुत अच्छा बिक्री हुआ. जितना गन्ना लाए थे, सब खत्म हो गया. घर से दुबारा-तिबारा मंगाना पड़ा.’
श्याम बहादुर बगल के गांव असांव के रहने वाले हैं, पिछले 15 दिन से गन्ना रस बेच रहे हैं. इसके पहले वह गाजियाबाद में मजदूरी करते थे. लॉकडाउन में घर लौटना पड़ा. तभी से बेकार बैठे थे.
कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करें, चार भाई हैं और उनके पास सिर्फ चार कट्ठा खेत है. वे बताते हैं, ‘काफी दिन तक बेकार बैठे रहे. एक दिन गन्ना रस बेचने वाले को देखा. उससे मिले और उसका काम समझा. फिर लीज पर 75 हजार रुपये की गन्ना पेरने वाली मशीन ली. एक साल बाद मशीन अपनी हो जाएगी. तब ज्यादा पैसा बचेगा.’
वे यूपी के भाटपाररानी जाकर गन्ना ले आते हैं क्योंकि इस क्षेत्र में अब गन्ने की खेती न के बराबर है. भाटपाररानी से एक क्विंटल गन्ना खरीदकर असांव तक लाने पर 400 रुपये का खर्च आता है.
एक बार में तीन से चार क्विंटल गन्ना लाते हैं. एक क्विंटल गन्ना में 120 से 140 गिलास रस निकल आता है. एक गिलास रस दस रुपये में बेचते हैं. इस तरह 1,200 से 1,400 रुपये आ जाते हें. लागत हटा दीजिए, तो 800 रुपये तक की कमाई हो जाती है.
इसी मैदान पर कुछ दिन पहले केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय की सभा हुई थी. श्याम बहादुर बताते हैं, ‘उस दिन 70 गिलास ही गन्ना रस बिका. पब्लिक बहुत कम थी. वह कहते, ‘चारों तरफ इहे पार्टी के हल्ला बा. लगत बा कि इनकर सरकार बन जाई.’
सभा समाप्त हो गई है. लोग वापस लौट रहे हैं. गहिलापुर से दरौली जाने के लिए आगे बढ़ने पर दो युवक लाल झंडे लिए नदी पार करते दिखते हैं.
(लेखक गोरखपुर न्यूज़लाइन वेबसाइट के संपादक है.)