राजनीति से संन्यास ले लूंगी, पर भाजपा के साथ गठबंधन नहींः मायावती

बसपा प्रमुख मायावती ने 29 अक्टूबर को कहा था कि उनकी पार्टी आगामी विधान परिषद चुनावों में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को हराने के लिए वोट करेगी, फिर चाहे वह भाजपा हो या अन्य कोई भी मजबूत उम्मीदवार, बसपा उसे वोट करेगी.

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बसपा सुप्रीमो मायावती (फोटो: पीटीआई)

बसपा प्रमुख मायावती ने 29 अक्टूबर को कहा था कि उनकी पार्टी आगामी विधान परिषद चुनावों में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को हराने के लिए वोट करेगी, फिर चाहे वह भाजपा हो या अन्य कोई भी मजबूत उम्मीदवार, बसपा उसे वोट करेगी.

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(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने बीते सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा या लोकसभा चुनावों में कभी भी भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेगी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मायावती ने दोनों पार्टियों की विचारधारा अलग होने पर जोर देते हुए कहा कि वह इस तरह की सांप्रदायिक पार्टियों के साथ गठबंधन बनाने के बजाए राजनीति से संन्यास लेना पसंद करेंगी.

बता दें कि 29 अक्टूबर को बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा था कि उनकी पार्टी राज्य में आगामी विधान परिषद चुनावों में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को हराने के लिए वोट करेगी, फिर चाहे वह भाजपा हो या अन्य कोई भी मजबूत उम्मीदवार, बसपा उसे वोट करेगी.

मायावती का आरोप है कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने उनके इस बयान को षड्यंत्र की तरह इस्तेमाल किया और मुस्लिमों को बरगलाने का काम कर रहे हैं ताकि मुस्लिम समुदाय खुद को बसपा से दूर कर ले.

उन्होंने कहा, ‘बसपा के साथ भाजपा का गठबंधन भविष्य में किसी भी चुनाव में संभव नहीं है. बसपा सांप्रदायिक पार्टियों के साथ नहीं लड़ती.’

उन्होंने कहा, ‘हमारी विचारधारा सर्वजन सर्व धर्म हितैषी की है, जो भाजपा की विचारधारा से अलग है. बसपा उन पार्टियों के साथ गठबंधन नहीं करेगी, जिनकी सांप्रदायिक, जातिवादी और पूंजीवादी विचारधारा है. मैं सांप्रदायिक, जातिवादी और पूंजीवादी ताकतों के खिलाफ हर मोर्चे पर लड़ूंगी और किसी के सामने झुकने वाली नहीं हूं.’

बसपा नेता ने दोहराया कि उनकी पार्टी आगामी विधान परिषद चुनाव में सपा के उम्मीदवार की हार सुनिश्चित करेगी.

उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी भाजपा सहित किसी भी पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन करेगी, जो सपा के उम्मीदवार को हराने के लिए मजबूत हो. मैं अपने पहले के बयान पर कायम हूं, जिसका राजनीतिक लाभ के लिए सपा और कांग्रेस ने दुरुपयोग किया ताकि मुस्लिम समुदाय खुद ही बसपा से दूरी बना ले.’