पुलिस ने दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों में जेएनयू के एक पूर्व छात्र उमर ख़ालिद को 14 सितंबर और शरजील इमाम को 25 अगस्त को यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किया था. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार से इनके ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने की अनुमति मिल गई है.
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़े एक मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद और विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्र शरजील इमाम के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति पुलिस को दे दी है.
बता दें कि बीते 13 सितंबर महीने को इसी साल फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे में कथित भूमिका के आरोप में पुलिस ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को गिरफ्तार कर लिया था.
पुलिस ने दावा किया कि नागरिकता संशोधन (सीएए) कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल उमर खालिद एवं अन्य ने दिल्ली में दंगों का षड्यंत्र रचा ताकि दुनिया में मोदी सरकार की छवि को खराब किया जा सके.
वहीं, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम को दिल्ली पुलिस ने 25 अगस्त को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया था. दिल्ली लाए जाने से पहले वह गुवाहाटी जेल में बंद थे.
दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश ने भी शरजील इमाम के खिलाफ राजद्रोह कानून के तहत केस दर्ज किया है.
मालूम हो कि शरजील इमाम के खिलाफ जामिया मिलिया इस्लामिया में बीते साल 13 दिसंबर और इसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 16 जनवरी को विवादित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने की जांच चल रही है, जहां उन्होंने कथित तौर पर धमकी दी थी कि असम और शेष पूर्वोत्तर राज्यों को ‘भारत से अलग’ कर दिया जाए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आप सरकार की ओर से कहा गया है, ‘दिल्ली सरकार के गृह विभाग के कारण कानून विभाग ने अपनी राय दी है. निर्वाचित सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है. दिल्ली सरकार ने पिछले पांच वर्षों में किसी भी मामले में कार्रवाई को नहीं रोका है. यहां तक कि उन मामलों में भी कोई रोक नहीं लगाई गई, जो आप विधायकों और पार्टी नेताओं से संबंधित थे.’
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘हमें दिल्ली दंगों के कई मामलों में मुकदमा चलाने की अनुमति मिल चुकी है. इससे पहले हमने उन 15 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी प्राप्त की थी, जिनके नाम अपराध शाखा के आरोप-पत्र में दिया गया था.’
रिपोर्ट के अनुसार, दंगों से संबंधित कथित साजिश के मामले में यूएपीए के तहत 15 लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया गया था. आरोप-पत्र में निलंबित आप पार्षद ताहिर हुसैन, पिंजरा तोड़ की सदस्य देवांगना कलिता और नताशा नरवाल, डीयू की पूर्व छात्रा गुलफिशा और जामिया के छात्र मीरान हैदर, आसिफ तन्हा और सफूरा जरगर के नाम शामिल हैं.
पुलिस ने उन पर आईपीसी की धारा 153ए और 124ए के तहत भी आरोप लगाए हैं. पुलिस को सीआरपीसी की धारा 196 (राज्य के खिलाफ अपराध और इस तरह के अपराध करने के लिए आपराधिक साजिश) के तहत किसी भी अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार से मंजूरी लेने की आवश्यकता होती है.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उमर खालिद और शरजील इमाम का नाम पूरक आरोप-पत्र में शामिल किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उमर खालिद और दंगों से संबंधित अन्य आरोपियों के खिलाफ यूएपीए की धारा 13 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति मिल गई है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए एक महीने पहले मंजूरी मांगी गई थी. केंद्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार ने दो हफ्ते पहले इसकी मंजूरी दे दी.
फैजान खान एक अन्य आरोपी आसिफ तन्हा को सिम कार्ड और फर्जी पहचान पत्र देने के आरोपी हैं. उन्हें बीते 24 अक्टूबर को जमानत मिल गई है.
मुकदमा चलाने के लिए मिलीं अनुमतियों के बारे में बताते हुए एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘आरोपियों के खिलाफ यूएपीए की धारा 13, 16, 17 और 18 के तहत केस दर्ज किया गया है. धारा 13 के तहत उनके खिलाफ केस चलाने के लिए न्यायालय केंद्र की अनुमति मांगता है. दूसरी अनुमतियों के लिए राज्य सरकार सक्षम प्राधिकारी है.’
उल्लेखनीय है कि फरवरी महीने में उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे जिसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हुई थी जबकि 200 के करीब घायल हुए थे.