पुलिस विभाग के आंकड़ों से अलग राजस्व विभाग की ओर से बताया गया है कि फतेहपुर ज़िले में कुल 28 किसानों के ख़िलाफ़ पराली जलाने पर कार्रवाई कर जुर्माना वसूला गया है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि लेखपालों की तहरीर पर मुकदमे दर्ज किए गए और एक पखवाड़े के भीतर 100 से ज़्यादा किसानों से जुर्माना वसूला जा चुका है.
फतेहपुर/लखनऊ: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में कथित रूप से धान की पराली जलाने के आरोप में दो दिनों के भीतर कम से कम 60 किसानों के खिलाफ मामले दर्ज कर उनके खिलाफ पुलिस ने निरोधात्मक कार्रवाई की है.
पुलिस के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया, ‘फतेहपुर जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में फसल की अवशेष या धान की पराली (पुआल) जलाने के आरोप में पिछले दो दिनों के भीतर कम से कम 60 किसानों के खिलाफ अभियोग (मुकदमा) दर्ज किए गए हैं और राजस्व अधिकारियों ने उनसे जुर्माना वसूला है.’
किसानों पर धान की पराली जलाने पर दर्ज मुकदमों के बावत हुसैनगंज थाने के प्रभारी निरीक्षक सत्येंद्र सिंह भदौरिया ने शनिवार को बताया, ‘बृहस्पतिवार को थाना क्षेत्र के भैरमपुर कठेरवां गांव के किसान क्षत्रपाल, इंद्रपाल तथा बृजेश लोधी के अलावा बसोहनी गांव के अचल सिंह, अशोक पटेल, मवई गांव के रहने वाले किसान मेवालाल, संग्रामपुर के सियाराम, ऊंचाबेरा के शिवराम मौर्य व रुस्तम सिंह और बेरागढ़ीवा गांव में कुल आठ किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की गई.’
उन्होंने बताया, ‘जुर्माना वसूलने की कार्रवाई उपजिलाधिकारी के स्तर से हुई है. सभी किसानों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई की गई है.’
इसी प्रकार मलवां थाने के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) शेर सिंह राजपूत ने बताया, ‘धान की पराली जलाने पर कोराई गांव के पंकज सिंह, जगदीश, हरिबक्श सिंह, धीरेंद्र, अनिल, अभिलाष सिंह, तेज बहादुर (निवासी दीवान का पुरवा मजरा अस्ता) के अलावा सहिली चौकी क्षेत्र के रावतपुर गांव निवासी अनिल पटेल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर निरोधात्मक कार्रवाई की गई है.’
उन्होंने बताया, ‘उपजिलाधिकारी के जमानत न दिए जाने पर आठ किसानों को जेल भेज दिया गया है. इन किसानों से 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी वसूला गया है.’
सदर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक रवींद्र श्रीवास्तव ने बताया, ‘मदारीपुर कला गांव के राम सेवक, मऊ गांव के राज बहादुर तथा मिट्ठनपुर गांव के किसान बाबूलाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की गई है और इन किसानों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया है.’
थरियांव थाने के प्रभारी निरीक्षक उपेंद्रनाथ राय ने बताया, ‘शुक्रवार की देर रात तक कई गांवों के 14 किसानों के खिलाफ पराली जलाने के मुकदमे दर्ज किए गए हैं, इनमें शंकरपुर-हसवा की सावित्री देवी, पृथ्वीपाल, अस्वाबख्शपुर गांव के गुलाब सिंह, मनोज सिंह, कपूर सिंह व गिरिजा शंकर, वीर बुद्दनपुर गांव के कालीचरण, धर्म सिंह व शिव सिंह, आकूपुर गांव की रामरानी, रामआसरे, संतोष, नंदकिशोर, रामकिशोर शामिल हैं.’
इससे करीब एक पखवाड़ा पहले खखरेरू थाने में छह और खागा कोतवाली क्षेत्र में चार किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्जकर जुर्माना वसूल किया गया है.
पुलिस विभाग के आंकड़ों से राजस्व विभाग के आंकड़े अलग हैं. जिला कृषि अधिकारी बृजेश कुमार सिंह कहते हैं, ‘अब तक जिले में कुल 28 किसानों के खिलाफ पराली जलाने पर कार्रवाई की गई है और उनसे जुर्माना वसूला गया है.’
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘एक पखवाड़े के भीतर एक सौ से ज्यादा किसानों के खिलाफ पराली जलाने के मुकदमे लेखपालों की तहरीर पर दर्ज किए जा चुके हैं और उनसे जुर्माना वसूला जा चुका है.’
उन्होंने कहा, ‘कृषि विभाग शासन को पूरे आंकड़े नहीं भेज रहा है, इससे तस्वीर साफ नहीं हो पा रही.’
इस बीच बुंदेलखंड किसान यूनियन के अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा ने इसे किसानों का दमन बताते हुए कहा, ‘फतेहपुर जिले कई ईंट-भट्ठे की चिमनियां दिन-रात धुंआ उगल रही हैं, उनके मालिकों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही. जबकि लेखपालों की तहरीर पर किसानों के खिलाफ फर्जी मुकदमें दर्जकर उन्हें जेल भेजा जा रहा है.’
शर्मा ने कहा, ‘किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस न लिए गए तो उनका संगठन प्रदेश स्तर पर एक बड़ा आंदोलन शुरू करेगा.’
उत्तर प्रदेश में पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ हो रही कार्रवाई की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को निंदा की.
यू.पी. में फैले प्रदूषण को लेकर खासकर यहाँ पराली जलाने की आड़ में किसानों के साथ हो रही जुल्म-ज्यादती अति निन्दनीय। जबकि इस मामले में सरकार को कोई भी कार्यवाही करने से पहले, उन्हें जागरूक व जरूरी सहायता देने की भी जरूरत। बी.एस.पी.की यह मांग।
— Mayawati (@Mayawati) November 7, 2020
बसपा प्रमुख मायावती ने शनिवार को ट्वीट किया, ‘यूपी में फैले प्रदूषण को लेकर खासकर यहां पराली जलाने की आड़ में किसानों के साथ हो रही जुल्म-ज्यादती अति निंदनीय, जबकि इस मामले में सरकार को कोई भी कार्यवाही करने से पहले, उन्हें जागरूक व जरूरी सहायता देने की भी जरूरत. बीएसपी की यह मांग.’
इस बीच शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के अधिकारियों को आगाह कर चुके हैं कि यह सुनिश्चित किया जाए कि पराली जलाने को लेकर किसानों के साथ कोई दुर्व्यवहार अथवा उत्पीड़न न हो.
इसके अलावा उन्होंने कहा था कि पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभाव से किसानों को निरंतर जागरूक किया जाए. उन्होंने कृषि विभाग को निर्देशित किया कि वह इस संबंध में किसानों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करे.
बता दें कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में पुलिस पराली जलाने के आरोप में किसानों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. सहारनपुर के किसानों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने प्रदेश सरकार की आलोचना की थी.
क्या प्रदूषण के लिए सिर्फ किसान जिम्मेदार हैं? प्रदूषण फैलाने के असली जिम्मेदारों पर करवाई कब होगी?
किसान का वोट- कानूनी
किसान का धान- कानूनी
किसान की पराली- गैरकानूनी?उप्र सरकार ने सहारनपुर में किसानों को जेल में डाला, उन्हें छुड़वाने के लिए काँग्रेस के साथियों का धन्यवाद pic.twitter.com/ptLPL3B2W1
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 6, 2020
उन्होंने बृहस्पतिवार को ट्वीट कर कहा था, ‘क्या प्रदूषण के लिए सिर्फ किसान जिम्मेदार हैं? प्रदूषण फैलाने के असली जिम्मेदारों पर करवाई कब होगी?’
उन्होंने कहा, ‘किसान का वोट- कानूनी, किसान का धान- कानूनी, किसान की पराली- गैरकानूनी? उत्तर प्रदेश सरकार ने सहारनपुर में किसानों को जेल में डाला, उन्हें छुड़वाने के लिए कांग्रेस के साथियों का धन्यवाद.’
पर्यावरण प्रदूषण के बहाने पराली जलाने के नाम पर किसानों को जेलों में डालनेवाले महानुभाव बताएं कि राजनीतिक प्रदूषण फैलानेवालों को जेल कब होगी.
किसान अब भाजपा का खेत खोद देंगे. #नहीं_चाहिए_भाजपा
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 5, 2020
बीते पांच नवंबर को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा था, ‘पर्यावरण प्रदूषण के बहाने पराली जलाने के नाम पर किसानों को जेलों में डालने वाले महानुभाव बताएं कि राजनीतिक प्रदूषण फैलाने वालों को जेल कब होगी. किसान अब भाजपा का खेत खोद देंगे.’
पराली जलाने से होने वाला धुआं प्रदूषण का एक बड़ा कारण है. हर साल पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में पराली जलाने की वजह से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढ़ जाता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)