इंदौर ज़िला प्रशासन ने कंप्यूटर बाबा के आश्रम में कथित अवैध निर्माणों को तोड़ते हुए बाबा समेत सात लोगों को हिरासत में लिया है. बीते दिनों उपचुनाव में बाबा कांग्रेस के उन 22 बागी विधायकों को ‘गद्दार’ बताते हुए उनके ख़िलाफ़ चुनाव प्रचार कर रहे थे, जिनके भाजपा में शामिल होने से कमलनाथ सरकार गिरी थी.
इंदौर: मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के हालिया उपचुनावों के नतीजों की घोषणा से महज दो दिन पहले जिला प्रशासन ने कंप्यूटर बाबा पर रविवार को शिकंजा कस दिया.
अधिकारियों ने बताया कि कंप्यूटर बाबा के आश्रम परिसर के कथित अवैध निर्माणों को जमींदोज किए जाने के साथ ही बाबा समेत सात लोगों को एहतियातन गिरफ्तार किया गया और जेल भेज दिया गया. उन्होंने बताया कि इस दौरान आश्रम से राइफल और पिस्तौल भी मिली हैं.
गौरतलब है कि कंप्यूटर बाबा कांग्रेस के उन 22 बागी विधायकों को ‘गद्दार’ बताते हुए उनके खिलाफ चुनाव प्रचार करते नजर आए थे जिनके विधानसभा से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने के कारण तत्कालीन कमलनाथ सरकार का मार्च में पतन हो गया था.
दल बदल के बाद भाजपा ने इन सभी नेताओं को उनकी पुरानी सीटों से उपचुनावों के रण में उतारा जिनका परिणाम मंगलवार को आना है.
पुलिस अधीक्षक (पश्चिमी क्षेत्र) महेशचंद्र जैन ने बताया कि इंदौर शहर से सटे जम्बूर्डी हप्सी गांव में प्रशासन ने कंप्यूटर बाबा के आश्रम परिसर में बने अवैध निर्माण ढहा दिए हैं.
उन्होंने बताया, ‘प्रशासन की मुहिम के दौरान दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 151 (संज्ञेय अपराध घटित होने से रोकने के लिए की जाने वाली एहतियातन गिरफ्तारी) के तहत कंप्यूटर बाबा और उनसे जुड़े छह लोगों को एहतियातन गिरफ्तार कर एक स्थानीय जेल भेज दिया गया.’
#WATCH Madhya Pradesh: District Administration today demolished an illegal construction belonging to Computer Baba in Indore.
"Six people have been detained as they tried to obstruct demolition process," says Additional District Magistrate (ADM), Indore pic.twitter.com/iX7ggDRk0k
— ANI (@ANI) November 8, 2020
इस बीच, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) प्रशांत चौबे ने बताया कि अवैध निर्माण ढहाए जाने से पहले कंप्यूटर बाबा के आश्रम से जो सामान बाहर निकाला गया, उनमें राइफल और पिस्तौल भी मिली है. उन्होंने बताया कि राइफल के लाइसेंस के बारे में पड़ताल की जा रही है.
प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि जांच के दौरान कंप्यूटर बाबा के आश्रम परिसर में दो एकड़ शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा और निर्माण प्रमाणित पाया गया था. यह आश्रम 40 एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैला है और इसका मौजूदा बाजार मूल्य लगभग 80 करोड़ रुपये आंका जा रहा है.
उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग ने इस मामले में आश्रम के कर्ता-धर्ताओं पर कुछ दिन पहले 2,000 रुपये का अर्थदंड लगाया था और उन्हें शासकीय भूमि से अवैध निर्माण हटाने को कहा गया था.
अधिकारियों ने बताया कि अतिक्रमण नहीं हटाए जाने पर प्रशासन ने आश्रम का सामान बाहर निकालकर अवैध निर्माण ढहा दिए जिनमें शेड, इमारत और कमरे शामिल हैं. इस दौरान वहां भारी पुलिस बल तैनात किया गया था.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, एडीएम अजय देव शर्मा ने बताया, ‘2016 में इंदौर के जमरोही गांव की इस जमीन को गोशाला बनाने के लिए चिह्नित किया गया था. लेकिन जैसा कि देख सकते हैं कि इन सालों में कथित बाबा द्वारा इस पर अतिक्रमण कर लिया गया, जिन्होंने इसे किसी रिसोर्ट की तरह एसी वगैरह लगाकर डेवेलप किया. ‘
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई कलेक्टर के आदेश के बाद हुई है. उन्होंने बताया, ‘कुछ लोगों द्वारा अतिक्रमण की शिकायत की गई थी. हमने नोटिस जारी किए लेकिन उन्होंने इसे नहीं हटाया. इसीलिए हम आज यहां पुलिस और मशीन के साथ ये सब हटाने के लिए आए.’
उधर, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कंप्यूटर बाबा के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई के दौरान सवाल उठाए.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘इंदौर में बदले की भावना से कंप्यूटर बाबा का आश्रम व मंदिर बिना कोई नोटिस दिए तोड़ा जा रहा है. यह राजनीतिक प्रतिशोध की चरम सीमा है. मैं इसकी निंदा करता हूं.’
इंदौर में बदले की भावना से Computer बाबा का आश्रम व मंदिर बिना किसी नोटिस दिए तोड़ा जा रहा है। यह राजनैतिक प्रतिशोध की चरम सीमा है। मैं इसकी निंदा करता हूँ।
— digvijaya singh (@digvijaya_28) November 8, 2020
वैष्णव संप्रदाय से ताल्लुक रखने वाले कंप्यूटर बाबा का असली नाम नामदेव दास त्यागी है. 15 महीने चली पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार ने कंप्यूटर बाबा को नर्मदा, क्षिप्रा और मन्दाकिनी नदियों के संरक्षण के लिए गठित न्यास का अध्यक्ष बनाया था.
इससे पहले अप्रैल 2018 में सूबे की तत्कालीन भाजपा सरकार ने भी कंप्यूटर बाबा समेत पांच धार्मिक नेताओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था, लेकिन कंप्यूटर बाबा ने इसके कुछ ही समय बाद यह आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा को स्वच्छ रखने और इस नदी से अवैध रेत खनन पर रोक लगाने के मामले में संत समुदाय से ‘वादाखिलाफी’ की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)