तिरंगा न थामने से संबंधित अपने एक बयान को लेकर विवाद होने के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि जब वह पहली बार विधायक बनी थीं, तब उन्होंने जम्मू कश्मीर के संविधान में अपने विश्वास की पुष्टि की थी, साथ ही भारत की संप्रभुता और अखंडता का भी समर्थन किया था. दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.
जम्मूः तिरंगा न थामने से संबंधित अपने एक बयान को लेकर विवाद होने के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को जोर देकर कहा कि वह पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य का झंडा और तिरंगा एक साथ उठाएंगी.
साथ ही कहा कि बतौर विधायक उन्होंने जम्मू कश्मीर के संविधान और भारत की अखंडता एवं संप्रभुता दोनों में ही अपना विश्वास जताया था, क्योंकि दोनों ही अविभाज्य हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत एक साल से अधिक समय की हिरासत के बाद रिहा होने के बाद जम्मू के पांच दिन के दौरे के आखिरी दिन संवाददाताओं को बताया, ‘जब मैं पहली बार विधायक बनी थी, तब मैंने जम्मू कश्मीर के संविधान की शपथ ली थी, तब मैंने जम्मू कश्मीर के संविधान में अपने विश्वास की पुष्टि की थी, साथ ही भारत की संप्रभुता और अखंडता का भी समर्थन किया था. दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. जम्मू कश्मीर का झंड़ा और तिरंगा झंडा, मैं इन दोनों झंडों को एक साथ थामूंगी.’
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती ने पिछले महीने (23 अक्टूबर) कहा था कि जब तक पांच अगस्त 2019 को किए गए संवैधानिक बदलाव को वापस नहीं लिया जाता, तब तक उनकी चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं है अथवा तिरंगा थामने में कोई दिलचस्पी नहीं है. महबूबा मुफ्ती के इस बयान के विरोध में पीडीपी के तीन वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी.
तीनों नेताओं का कहना था कि उनकी टिप्पणी से विशेष रूप से देशभक्ति की भावनाओं को चोट पहुंची है.
महबूबा ने कहा, ‘हमने खासतौर पर कश्मीरियों ने कई सालों तक हजारों कार्यकर्ताओं की शहादत की कीमत पर तिरंगे को थामे रखा था.’
अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को मिले विशेष राज्य के दर्जे हटाकर इसे दो केंद्रशासित प्रदेश में बांटने को लेकर महबूबा मुफ्ती ने भाजपा पर जम्मू कश्मीर का रिश्ता देश से तोड़ने का आरोप लगाया.
महबूबा ने कहा, ‘मैं कह रही हूं कि हमें हमारा झंडा और संविधान वापस कीजिए, जिसे आपने रात के अंधेरे में साजिश के बाद दिनदहाड़े लूट लिया था, उसे ब्याज सहित वापस लौटाना पड़ेगा.’
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान और जम्मू कश्मीर के हितधारकों के साथ संवाद करना और विभाजित हिस्सों को एक साथ वापस लाने के लिए सीमापार सड़कों को खोलना, शांति और समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है.
महबूबा मुफ्ती ने चेतावनी देते हुए कहा कि घाटी में आतंकवाद चरम पर है. ताकत के दम पर विरोध की आवाजों को दबाने और बीच का कोई रास्ता नहीं छोड़े जाने के बाद घाटी के युवा जेल जाने के बजाय आतंकवाद को चुन रहे हैं.
महबूबा ने कहा, ‘नफरत और विभाजन की राजनीति के जरिये माहौल को खराब करने के प्रयास किए जा रहे हैं. भाजपा शासन में आतंकवाद बढ़ने की वजह से कश्मीर में रहने में हमारे जैसे लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. वे (भाजपा) कह रहे हैं कि आतंकवाद खत्म हो गया है लेकिन सच्चाई यह है कि हर गांव से 10 से 15 युवा आतंकी बन रहे हैं.’
मालूम हो कि महबूबा मुफ़्ती को पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को ख़त्म कर जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद से ही नज़रबंद कर लिया गया था. उन्हें पिछले महीने ही 14 महीने की नजरबंदी के साथ रिहा किया गया था.