राजधानी दिल्ली में लगातार छठे दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया. मौसम विज्ञान विभाग के पर्यावरण अनुसंधान केंद्र के प्रमुख ने कहा कि आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता में बड़ा सुधार आने की कोई अधिक संभावना नहीं है.
नई दिल्ली: दिल्ली में सुबह-सुबह कोहरा छाए रहने के साथ ही सूरज को आसमान देखा नहीं जा सका. कोहरे की वजह से मंगलवार को वायु गुणवत्ता ‘आपात’ स्तर के बेहद करीब पहुंच गई.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार मंदिर मार्ग, पंजाबी बाग, पूसा, रोहिणी, पटपड़गंज, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, नजफगढ़, श्री औरोबिंदो मार्ग और ओखला फेज-2 स्थित वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 500 के पास ही दर्ज किया गया.
Thick smog envelopes Delhi; Air Quality Index at 469 in 'severe' category at ITO pic.twitter.com/9dSAbvNOWl
— ANI (@ANI) November 10, 2020
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया कि सुबह दृश्यता केवल 300 मीटर थी, जिससे यातायात काफी प्रभावित हुआ.
दिल्ली में सुबह नौ बजे एक्यूआई 487 दर्ज किया गया, जो कि ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है.
वायु गुणवत्ता सूचकांक दिल्ली के पड़ोसी शहरों फरीदाबाद में 474, गाजियाबाद में 476, नोएडा में 490, ग्रेटर नोएडा में 467, गुरुग्राम में 469 दर्ज किया गया.
दिल्ली में लगातार छठे दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया.
उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ (आपात) श्रेणी में माना जाता है.
वहीं दिल्ली-एनसीआर में सुबह आठ बजे ‘पीएम 2.5’ का स्तर 605 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जो सुरक्षित सीमा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से 10 गुना अधिक है.
सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार सबुह आठ बजे ‘पीएम 10’ का स्तर 777 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सरकारी एजेंसियों और विशेषज्ञों ने कहा कि हवा की गति का कम होना और पराली जलाने के कारण दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ा है.
उनका कहना है कि जब तक खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में भारी कमी नहीं आती है तब तक वायु गुणवत्ता में सुधार आना संभव नहीं है.
आईएमडी के पर्यावरण अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वीके सोनी ने कहा कि आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता में बड़ा सुधार आने की कोई अधिक संभावना नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘अगर लोग दिवाली में पटाखे नहीं फोड़ते हैं तो वायु गुणत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी के ऊपर आने की संभावना है. अगर लोग पटाखे फोड़ते हैं, तो प्रदूषण का स्तर गंभीर से बढ़कर आपातकालीन श्रेणी में जा सकता है.’
बता दें कि एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर में नौ नवंबर से 30 नवंबर तक पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर पूरी तरह बैन लगाते हुए कहा है कि यह प्रतिबंध देश के हर उस शहर और कस्बे में लागू होगा, जहां नवंबर के महीने में पिछले साल के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वायु गुणवत्ता खराब या उससे निम्नतम श्रेणियों में दर्ज की गई थी.
वहीं, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वायु गुणवत्ता निगरानी विभाग सफर ने कहा कि दिल्ली पराली जलाने से होने वाली धुएं आना जारी है. इसके कारण वायु में प्रदूषकों का जमाव हो रहा है. उसने कहा गया है कि जब तक पराली जलाने की घटनाओं में कमी नहीं आती, कोई त्वरित सुधार की उम्मीद नहीं है.
सफर के मुताबिक दिल्ली के वायु में पीएम 2.5 प्रदूषण तत्वों में पराली जलाने का हिस्सा सोमवार को 38 प्रतिशत था.
वहीं, राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए नव-गठित आयोग ने सोमवार को आपातकालीन आधार पर वायु प्रदूषण को कम करने के लिए मौजूदा कानूनों, निर्देशों और एसओपी को लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि वायु (रोकथाम और प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम के तहत पटाखों पर प्रतिबंध का अनुपालन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जिसमें छह साल तक की जेल की सजा भी शामिल है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)