केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने त्योहारी मौसम के दौरान प्रदूषण में बढ़ोतरी होने की संभावना देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में 17 नवंबर तक हॉट मिक्स संयंत्र और स्टोन क्रशर को बंद करने का निर्देश दिया है. दिल्ली में लगातार छह दिनों तक प्रदूषण स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में बना रहा था.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता बृहस्पतिवार को ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि स्थिति दो दिन पहले की तुलना में ‘काफी बेहतर’ है, जब प्रदूषण का स्तर ‘आपात’ से भी ऊपर पहुंच गया था.
सरकारी एजेंसियों और मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि हवाओं की दिशा उत्तर पश्चिम से बदलकर उत्तर-उत्तर पूर्व होने से प्रदूषण स्तर में गिरावट दर्ज की गई, क्योंकि हवा की दिशा की वजह से पराली जलने से दिल्ली में प्रदूषण की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय कमी आई.
दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक सुबह नौ बजे 315 दर्ज किया गया. बुधवार और मंगलवार को 24 घंटे का औसत सूचकांक क्रमश: 344 और 476 दर्ज हुआ.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दिल्ली में लगातार छह दिनों तक चार नवंबर से नौ नवंबर के बीच प्रदूषण स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में बना रहा था.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने वाले दिल्ली के पड़ोसी शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक फरीदाबाद में 306, गाजियाबाद में 336, नोएडा में 291, ग्रेटर नोएडा में 322, गुड़गांव में 261 दर्ज किया गया. ये सूचकांक ‘खराब’ और ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आते हैं.
उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया, ‘मंगलवार की तुलना में स्थिति बेहतर है.’
उन्होंने बताया कि हवा की दिशा में बदलाव से पंजाब और हरियाणा से पराली का धुआं पहले की तरह इधर नहीं आ पा रहा है. अधिकारी ने बताया कि हालांकि, शुक्रवार को आंशिक तौर पर वायु गुणवत्ता में गिरावट की संभावना है.
आईएमडी ने बताया कि सुबह हवा की गति शांत थी और न्यूनतम तापमान 11.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. शांत हवा और न्यूनतम तापमान से प्रदूषण तत्व सतह के करीब रहते हैं, जबकि हवा में तेजी से इन कणों का बिखराव होता है.
सफदरजंग वेधशाला ने सुबह में हल्की धुंध दर्ज की और दृश्यता का स्तर 800 मीटर था.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी इकाई ‘सफर’ ने बताया कि हवा की दिशा में बदलाव की वजह से पराली जलने के कारण शहर में प्रदूषण की हिस्सेदारी कम रही. दिल्ली के पीएम 2.5 में पराली जलने से प्रदूषण की मात्रा सिर्फ तीन फीसदी दर्ज की गई, जो कि बेहद कम है.
17 नवंबर तक हॉट मिक्स संयंत्र, स्टोन क्रशर को बंद करने के आदेश
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने त्योहारी मौसम के दौरान प्रदूषण में बढ़ोतरी होने की संभावना देखते हुए बुधवार को दिल्ली-एनसीआर में 17 नवंबर तक हॉट मिक्स संयंत्र और स्टोन क्रशर को बंद करने का निर्देश दिया है.
इसने पंजाब और हरियाणा की सरकार से भी कहा कि पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए तुरंत कड़े कदम उठाए और दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों से कहा कि ‘बायोमास’ जलाए जाने पर कड़ाई से रोक लगाई जाए.
शीर्ष प्रदूषण निगरानी निकाय ने एक आदेश में कहा, ‘सड़कों की मशीन से सफाई और पानी छिड़काव में तेजी लाई जाए और खासकर ऐसी सड़कों पर जहां धूल ज्यादा उड़ती हैं.’
इसने कहा, ‘यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि निर्माण स्थलों पर धूल कम करने दिशानिर्देश और मानक प्रक्रिया संचालन का कड़ाई से पालन हो.’
सीपीसीबी के आदेश में कहा गया कि उल्लंघन होने की दशा में उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, जैसे उन पर जुर्माना लगाया जाए और निर्माण कार्य अस्थायी रूप से बंद कराया जाए.
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में नवगठित पैनल द्वारा व्यवस्था बनाए जाने तक ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (जीआरएपी) लागू करने का अधिकार सीपीसीबी को सौंप दिया.
आयोग ने निर्णय किया था कि एनसीआर में वायु गुणवत्ता खराब होने को देखते हुए जीआरएपी लागू करने की जरूरत है, जिसे केंद्र सरकार अधिसूचित कर चुकी है.
जीआरएपी, दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में अपनाया जाने वाला प्रदूषण निरोधक उपाय है जिसे स्थिति की गंभीरता के अनुसार लागू किया जाता है और यह 15 अक्टूबर से लागू है.
इससे पहले राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली-एनसीआर में नौ नवंबर से 30 नवंबर तक पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर पूरी तरह बैन लगाते हुए कहा था कि यह प्रतिबंध देश के हर उस शहर और कस्बे में लागू होगा, जहां नवंबर के महीने में पिछले साल के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वायु गुणवत्ता खराब या उससे निम्नतम श्रेणियों में दर्ज की गई थी.
इसके अलावा वायु प्रदूषण और कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने दिवाली से पहले पटाखों पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया है. वायु की गुणवत्ता के ‘गंभीर’ स्थिति में पहुंचने के मद्देनजर सीपीसीबी के कार्यबल ने दिल्ली के सरकारी और निजी कार्यालयों तथा अन्य प्रतिष्ठानों को कम से कम 30 प्रतिशत गाड़ियों का इस्तेमाल घटाने का सुझाव दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)