आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले पत्रकार अर्णब गोस्वामी को ज़मानत मिलने के संबंध में स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने सुप्रीम कोर्ट और उनके जजों के ख़िलाफ़ कई ट्वीट किए थे, जिसके बाद उनके ख़िलाफ़ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मंज़ूरी दी थी.
नई दिल्ली: आत्महत्या के लिए उकसाने के संबंध में गिरफ्तार किए गए रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी की याचिका पर कथित तौर पर तुरंत सुनवाई कर जमानत देने को लेकर कुछ ट्वीट के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट का मजाक उड़ाने के संबंध में स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मिल गई है.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कुणाल कामरा के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की गुरुवार को सहमति दे दी गई. कामरा के खिलाफ कार्रवाई के लिए कानून के एक छात्र स्कंद बाजपेयी ने अटॉनी जनरल को पत्र लिखा था.
उन्होंने पत्र में कहा था, ‘मेरा विश्वास है कि अब समय है कि लोग समझेंगे कि सुप्रीम कोर्ट पर हमला करना न्यायोचित नहीं है और यह अदालत की अवमानना अधिनियम 1971 के तहत दंडनीय है.’
In reply to my letter dated 11.11.2020, the Ld. Attorney General for India has given kind consent to initiate criminal conttempt of court against @kunalkamra88. @barandbench @LiveLawIndia @legaljournalist @scconline_ @Talwarious @manuvichar @answeringlaw pic.twitter.com/p0Y9RGCpyG
— Skand Bajpai (@SkandBajpai) November 12, 2020
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, वेणुगोपाल ने कहा, ‘यह कहना सुप्रीम कोर्ट का घोर अपमान है कि यह संस्था और इसके जज स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं हैं और यह सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा की अदालत है, जो भाजपा के लाभ के लिए ही है.’
कुणाल कामरा ने बुधवार (11 नवंबर) को कुछ ट्वीट किए थे, जिसमें उन्होंने भगवा रंग में रंगी सुप्रीम कोर्ट की एक तस्वीर पोस्ट की थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के ऊपर भाजपा का झंडा लगा था.
आरोपों पर कुणाल कामरा ने बयान जारी कर कहा कि उनका अपना बयान वापस लेने का कोई इरादा नहीं है और न ही वह अपने ट्वीट को लेकर माफी मांगेंगे.
कामरा ने उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई शुरू होने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैंने जो भी ट्वीट किए वे सुप्रीम कोर्ट के एक ‘प्राइम टाइम लाउडस्पीकर’ (अर्णब गोस्वामी) के पक्ष में दिए गए पक्षपाती फैसले के प्रति मेरा नजरिया था.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अन्य मामलों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों पर चुप्पी बनाए रखी.
उन्होंने अदालतों को सुझाव दिया कि उनके अवमानना याचिका की सुनवाई पर आवंटित समय को नोटबंदी के खिलाफ याचिकाएं और जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को बहाल करने जैसे अन्य मामलों की सुनवाई पर आवंटित किया जाना चाहिए.
अपनी आलोचना पर कामरा ने कहा, ‘अपने एक ट्वीट में मैंने महात्मा गांधी की फोटो को हरीश साल्वे से बदलने को कहा था. मैं चाहता हूं कि पंडित नेहरू की तस्वीर भी महेश जेठमलानी की तस्वीर से बदल देनी चाहिए.’
No lawyers, No apology, No fine, No waste of space 🙏🙏🙏 pic.twitter.com/B1U7dkVB1W
— Kunal Kamra (@kunalkamra88) November 13, 2020
कामरा ने जजों और केके वेणुगोपाल को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘मैंने हाल ही में जो ट्वीट किए, उन्हें अदालत की अवमानना बताया गया है. मैंने जो भी ट्वीट किए वे सुप्रीम कोर्ट के एक ‘प्राइम टाइम लाउडस्पीकर’ के पक्ष में दिए गए पक्षपाती फैसले के प्रति मेरा नजरिया था.
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि मुझे यह मान लेना चाहिए कि मुझे अदालत लगाने में बड़ा मजा आता है और अच्छी ऑडियंस पसंद आती है. सुप्रीम कोर्ट जजों और देश के शीर्ष कानूनी अधिकारी जैसी ऑडियंस शायद सबसे वीआईपी हो लेकिन मुझे समझ आता है कि मैं किसी भी जगह परफॉर्म करूं, सुप्रीम कोर्ट के सामने वक्त मिल पाना दुर्लभ होगा.’
कामरा ने कहा, ‘मेरी राय नहीं बदली है क्योंकि दूसरों की निजी स्वतंत्रता के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट की चुप्पी बिना आलोचना के नहीं गुजर सकती. मैं अपने ट्वीट्स वापस लेने या उनके लिए माफी मांगने की मंशा नहीं रखता हूं. मुझे लगता है कि वे यह खुद बयान करते हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं अपनी अवमानना याचिका, अन्य मामलों और व्यक्तियों जो मेरी तरह किस्मत वाले नहीं हैं, की सुनवाई के लिए समय मिलने (कम से कम 20 घंटे अगर प्रशांत भूषण की सुनवाई को ध्यान में रखें तो) की उम्मीद रखता हूं.’
कामरा के अनुसार, ‘क्या मैं यह सुझा सकता हूं कि नोटबंदी से जुड़ी याचिका, जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने वाले फैसले के खिलाफ याचिका, इलेक्टोरल बॉन्ड्स की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिका और अन्य कई ऐसे मामलों में सुनवाई की ज्यादा जरूरत है.’
उन्होंने कहा, ‘वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे की बात में थोड़ा बदलाव कर कहूं कहूं तो अगर ज्यादा महत्वपूर्ण मामलों को मेरा वक्त मिलेगा तो आसमान फट पड़ेगा क्या?.’
इस संबंध में अदालत की अवमानना की कार्यवाही का सामना कर चुके प्रशांत भूषण ने अटॉर्नी जनरल के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह कदम नकारात्मक साबित होगा.
Unfortunate. Will be counter productive. The UK top court ignored comments by the media calling the highest Court Judges "You old fools!" & "Enemies of the people". These contempt proceedings against Kamra will bring the SC to greater ridicule. Can't enforce respect by Contempt https://t.co/xsQjS6L3j6
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) November 12, 2020
इस संदर्भ में वेणुगोपाल को लिखने वाले बाजपेयी अकेले शख्स नहीं है. अधिवक्ता रिजवान सिद्दीकी ने भी कामरा के खिलाफ अटॉर्नी जनरल को पत्र लिखा था. पुणे के वकील रिजवान ने भी कामरा के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही किए जाने की मांग की थी.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सिद्दीकी के पत्र में कहा गया कि कार्यवाही के दौरान और फैसले के बाद भी कामरा के अपमानजनक ट्वीट से सोशल मीडिया पर उनके लाखों फोलॉअर्स प्रभावित होंगे और उन अदालतों एवं जजों के खिलाफ बेबुनियाद आरोप और बयान देने शुरू करेंगे, जो उनके पक्ष में फैसले नहीं सुना रहे हैं. यह रूझान जल्द ही स्वतंत्र न्यायपालिका के लिए खतरनाक होगा.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों साल 2018 में आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी को अंतरिम जमानत दे दी थी. सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने निराशा जताते हुए कहा था कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने गोस्वामी को जमानत देते हुए व्यक्तिगत स्वतंत्रता मामले में हस्तक्षेप नहीं किया था.
इस पर कई सोशल मीडिया यूजर्स ने कहा था कि भाजपा शासित सरकारों द्वारा जेल भेजे गए अन्य कई पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को इस तरह की प्राथमिकता नहीं दी गई.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कामरा ने सिलसिलेवार कई ट्वीट करा कहा कि इस देश का सुप्रीम कोर्ट सबसे बड़ा मजाक बन गया है.
सिद्दीकी ने पत्र में इन तीनों ट्वीट को भी शामिल किया है. पत्र में कहा गया कि इन ट्वीट के अलावा कामरा ने भगवा रंग में रंगी सुप्रीम कोर्ट की इमारत और उस पर लगे भाजपा के झंडे की तस्वीर पोस्ट कर सुप्रीम कोर्ट की अखंडता को बाधित करने की कोशिश की.
शिकायत के अनुसार, इन ट्वीट को पोस्ट और रिपोस्ट करने से सुप्रीम कोर्ट की छवि को नुकसान पहुंचा है और इसने लाखों लोगों को प्रभावित किया है.
पत्र में कहा गया, ‘न्यायपालिका की सबसे बड़ी ताकत इसमें लोगों का विश्वास है. एक ऐसा विश्वास जो कुछ लोगों के प्रोपेगेंडा की वजह से नष्ट नहीं होना चाहिए.’
पत्र में कामरा के खिलाफ अदालत की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 15(1)(बी) के तहत कार्यवाही शुरू करने की सहमति मांगी थी.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, पुणे के दो वकीलों और कानून के एक छात्र ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के लिए कुणाल कामरा के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति मांगी थी.
Don’t even call it contempt of court call it contempt of future Rajya Sabha Seat 😂😂😂
— Kunal Kamra (@kunalkamra88) November 12, 2020
कुणाल कामरा ने ट्वीट कर इन पत्रों पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा, इसे अदालत की अवमानना मत कहें, इसे भावी राज्यसभा सीट की अवमानना कहें. मालूम हो कि हाल ही में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया था.