पहलगाम से नेशनल कॉन्फ्रेंस के पूर्व विधायक अल्ताफ़ अहमद वानी ने बताया कि एक पारिवारिक कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए उन्हें दुबई की फ्लाइट में चढ़ने से रोक दिया गया. गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि कश्मीर नेताओं की विदेश यात्रा पर लगे प्रतिबंध की दुर्भाग्य से केंद्रशासित प्रशासन द्वारा समीक्षा नहीं की गई थी, मगर अब की जा रही है.
नई दिल्ली: नेशनल कॉन्फ्रेंस के पूर्व विधायक अल्ताफ अहमद वानी को दुबई जाने वाली एक उड़ान में चढ़ने से रोक दिया गया. यह घटना बृहस्पतिवार (12 नवंबर) की शाम की है.
वानी को दुबई में एक पारिवारिक कार्यक्रम में शिरकत करनी थी. उन्हें छोड़कर उनके परिवार को दुबई की उड़ान के लिए जाने दिया गया.
उन्होंने कहा, ‘अधिकारियों की वजह से मेरे पास अब कोई सामान नहीं बचा है, क्योंकि मेरा सामान मेरे परिवार के साथ चला गया है.’
पहलगाम के पूर्व विधायक ने कहा, ‘मैं बृहस्पतिवार दोपहर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचा. वहां पहुंचने पर आव्रजन अधिकारी इस बहाने से मुझे एक कमरे में ले गए कि मेरे पासपोर्ट में कुछ खामी है.’
वानी ने बताया कि करीब तीन घंटे बाद भी इसे लेकर स्पष्टता नहीं थी कि उन्हें क्यों रोका गया है. उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने परिवार को जाने के लिए समझाया और आव्रजन अधिकारियों से आग्रह किया कि मुझे (मसला) बताने का आग्रह करें.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि हवाईअड्डा अधिकारियों ने जम्मू कश्मीर के नेताओं को देश से बाहर यात्रा न करने से संबंधित एक आदेश के बारे में बताया और सलाह दी कि वह श्रीनगर सीआईडी से एक विशेष मंजूरी लेकर आएं. हालांकि, उनके परिजनों को हवाई यात्रा करने की मंजूरी दे दी गई.
जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म से ठीक पहले 4 अगस्त, 2019 को गिरफ्तार होने वाले नेताओं में से एक वानी ने कहा, ‘कुछ समय बाद आव्रजन अधिकारियों ने उनसे कहा कि उन्होंने श्रीनगर में सीआईडी ऑफिस से उनकी विमान यात्रा के लिए मंजूरी मांगी लेकिन ऐसा लगता है मंजूरी नहीं मिली.’
उन्होंने कहा, ‘अधिकारियों ने तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए कहा कि मैं देश से बाहर के लिए यात्रा नहीं कर सकता हूं. इसके बाद जम्मू कश्मीर पुलिस के कुछ अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद मैं हवाईअड्डा से बाहर निकल पाया.’
हालांकि, गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘मामला सुलझा लिया गया है. कश्मीर नेताओं की यात्रा पर लगे पूर्ण प्रतिबंध की भी समीक्षा की जा रही है. यह 5 अगस्त (2019) के फैसले के बाद तुर्की की उड़ान भरने की कोशिश कर रहे शाह फैसल के कदम के बाद उठाया गया था. दुर्भाग्य से उसके बाद से केंद्र शासित प्रशासन द्वारा आदेश की समीक्षा नहीं की गई.’
बता दें कि 14 अगस्त, 2019 को दिल्ली से इस्तांबुल की उड़ान भरने से पहले शाह फैसल को आव्रजन अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया था. जम्मू कश्मीर प्रशासन की एक रिपोर्ट में कारण बताया गया था कि उनकी गतिविधियों के कारण सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा पैदा हो सकता है. इसके बाद उन्हें जम्मू कश्मीर पुलिस को सौंप दिया गया था, जिसने उन्हें पहले सीआरपीसी का धारा 107 और जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में रखा था.
इसके बाद आव्रजन अधिकारियों से अनुरोध किया गया था कि वे किसी भी कश्मीरी नेता को विदेश यात्रा की अनुमति न दें. खुद वानी को हिरासत में लिए जाने के छह महीने बाद इस साल फरवरी में रिहा किया गया.
दरअसल, जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पिछले साल पांच अगस्त के बाद करीब 37 लोगों की सूची सौंपी थी. पांच अगस्त, 2019 को ही जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म किया गया था और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया था.
इस सूची में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेताओं के नाम हैं. इनमें अली मोहम्मद सागर, अब्दुल रहीम राठेर, नईम अख्तर, सज्जाद लोन, उनके भाई बिलाल लोन, अल्ताफ अहमद वानी और बशारत बुखारी समेत अन्य हैं.
सूत्रों ने बताया कि सूची शुरू में तीन महीने के लिए वैध थी, लेकिन बाद में एक समीक्षा के बाद इसकी वैधता को बढ़ा दिया गया. बहरहाल सूची में अब 33 नाम हैं. इनमें जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के प्रमुख अल्ताफ बुखारी समेत इसका गठन करने वाले कुछ नेताओं के नाम लुक आउट नोटिस से हटा लिए गए थे.
दिल्ली में रुके अल्ताफ अहमद वानी ने कहा, ‘उन्हें वीजा लेना और श्रीनगर से दिल्ली आने में कोई परेशानी नहीं हुई. मैं अपनी भतीजी की शनिवार को होने वाली सगाई के लिए दुबई जा रहा था. मुझे लगता है कि यह मुझे श्रीनगर छोड़ने से पहले बताया गया होता, क्योंकि इससे मेरे परिवार को बिना वजह परेशानी उठानी पड़ी.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)