वित्तीय संकट से गुज़र रहे निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक पर केंद्र ने रिज़र्व बैंक की सलाह पर एक महीने के लिए विभिन्न पाबंदियां लगाई हैं. आरबीआई ने बैंक के निदेशक मंडल को हटा दिया है और यह बताया कि बैंक पुनरुद्धार के लिए कोई विश्वसनीय योजना नहीं दे सका, इसलिए इसके अधिग्रहण का निर्णय लिया गया.
नई दिल्ली: सरकार ने वित्तीय संकट से गुजर रहे निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने तक के लिए पाबंदियां लगा दी है, जिसके चलते बैंक के खाताधारक ज्यादा से ज्यादा 25,000 रुपये निकाल पाएंगे.
इसके साथ ही सरकार ने डीबीएस इंडिया के साथ लक्ष्मी विलास बैंक के अधिग्रहण की योजना की भी घोषणा की.
बैंक की खस्ता वित्तीय हालत को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सलाह के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है.
भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि बैंक की ओर से विश्वसनीय पुनरुद्धार योजना नहीं पेश करने की स्थिति में जमाधारकों के हित में यह फैसला किया गया है. साथ ही बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र की स्थिरिता के हितों का भी ख्याल रखा गया है.
रिजर्व बैंक ने लक्ष्मी विलास बैंक के निदेशक मंडल को भी हटा दिया है और केनरा बैंक के पूर्व गैर-कार्यकारी चेयरमैन टीएन मनोहरन को 30 दिनों के लिए उसका प्रशासक नियुक्त किया है.
The Reserve Bank of India has announced a draft scheme of amalgamation of The Lakshmi Vilas Bank Ltd. (LVB) with DBS Bank India Ltd. (DBIL), a banking company. pic.twitter.com/aEo9fjdbxq
— The Leaflet (@TheLeaflet_in) November 17, 2020
केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसके अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था. इसलिए बैकिंग नियमन अधिनियम, 1949 की धारा 45 के तहत केंद्र सरकार ने निजी क्षेत्र के बैंक पर पाबंदी लगाई है.
बयान में कहा गया है, ‘रिजर्व बैंक के परामर्श पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार ने आज (मंगलवार) से बैंक पर 30 दिन के लिए पाबंदियां लगायी हैं.’
आदेश के मुताबिक लक्ष्मी विलास बैंक रिजर्व बैंक की अनुमति के बिना बचत, चालू या किसी तरह के जमा खाते से किसी जमाकर्ता को कुल मिलाकर 25,000 रुपये से अधिक का भुगतान नहीं करेगा.
इस बीच रिजर्व बैंक ने लक्ष्मी विलास बैंक के डीबीएस बैंक के साथ विलय की मसौदा योजना भी सार्वजनिक की है.
आरबीआई ने कहा, ‘विलय योजना को मंजूरी मिलने पर इसकी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए डीबीएस बैंक इंडिया लि. (डीबीआईएल) में सिंगापुर का डीबीएस बैंक 2,500 करोड़ रुपये (46.3 करोड़ सिंगापुर डॉलर) लगायेगा. इसका वित्त पोषण पूरी तरह से डीबीएस के मौजूदा संसाधनों से किया जायेगा.’
यस बैंक के बाद इस साल मुश्किलों में फंसने वाला लक्ष्मी विलास बैंक निजी क्षेत्र का दूसरा बैंक बन गया है.
यस बैंक के ऊपर मार्च में पाबंदियां लगायी गई थीं. सरकार ने तब भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की मदद से यस बैंक को उबारा था. एसबीआई ने यस बैंक की 45 प्रतिशत हिस्सेदारी के बदले 7,250 करोड़ रुपये लगाया था.
इससे पहले रिजर्व बैंक ने बड़ा घोटाला सामने आने के बाद पीएमसी बैंक के मामले में भी इसी तरह का कदम उठाया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)