दिल्ली के नज़फ़गढ़ और आसपास के इलाकों में अपना गिरोह चलाने वाला दो लाख का इनामी गैंगस्टर कपिल सांगवान कई स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच टीमों के निशाने पर था. वह मकोका के तहत भी वह वांटेड था.
नई दिल्ली: दिल्ली के नजफगढ़ और आसपास के इलाकों में अपना गिरोह चलाने वाला गैंगस्टर कपिल सांगवान के देश के फरार होने की आशंका जताई जा रही है. उस पर हत्या और वसूली जैसे अनेक केस दर्ज थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, फर्जी दस्तावेज जमा करके सांगवान ने उत्तर प्रदेश के बरेली से फर्जी पासपोर्ट हासिल किया और थाईलैंड के रास्ते दुबई भाग गया.
दो लाख रुपये का इनामी गैंगस्टर कपिल सांगवान कई स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच टीमों के निशाने पर था. इसके साथ ही संगठित अपराध अधिनियम का महाराष्ट्र नियंत्रण (मकोका) के तहत भी वह वांटेड था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2016 में राजस्थान पुलिस ने सांगवान को जयपुर के पास फागी गांव से गिरफ्तार किया था. उसे 24 जनवरी, 2019 को कुछ जरूरी निजी काम के लिए एक महीने की पैरोल मिल गई थी.
इसके बाद उसके गैंग के सदस्यों ने नजफगढ़ में एक फॉर्महाउस पर पार्टी आयोजित की थी, जिसमें राजधानी के अन्य हिस्सों के अपराधी भी शामिल हुए थे. हालांकि, उसके पहुंचने से पहले वहां क्राइम ब्रांच की एक टीम पहुंच गई और कम से कम 22 गैंगस्टरों को गिरफ्तार कर लिया, जिसमें कपिल के करीबी सहयोगी विनीत और विक्की डागर भी शामिल थे. इन दोनों के खिलाफ भी हत्या की कोशिश, हत्या और धन उगाही के अनेक मामले दर्ज हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, पैरोल की अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी सांगवान छिपा रहा. सांगवान गैंग पिछले साल उस समय कुख्यात हुआ जब वे दक्षिण-पश्चिम और बाहरी दिल्ली में होने वाली गैंग-संबंधित हर गतिविधि में शामिल थे. इसके साथ ही वे विरोधी मंजीत महल के गैंग का भी खात्मा करने की योजना बना रहे थे.
खबरों के अनुसार, नंदू गैंग के सदस्य पिछले साल मई में नजफगढ़ में टिकटॉक सेलिब्रिटी मोहित मोर की हत्या में शामिल थे. गैंग का एक सदस्य गिरीराज तोमर पिछले साल ही द्वारका सेक्टर-12 में एक 30 वर्षीय महिला पर गोलीबारी करने से जुड़ा था. हालांकि, जनवरी, 2019 में उसे पैरोल मिल गई थी.
इस साल 31 जुलाई को दिल्ली पुलिस ने कपिल के भाई ज्योति सांगवान को गुजरात के सूरत से गिरफ्तार किया था. ज्योति हरियाणा की एक अदालत से पैरोल पाने के बाद अगस्त, 2019 से फरार था.
एक अधिकारी ने कहा, ‘ज्योति की गिरफ्तारी के कुछ महीने बाद पुलिस ने पाया कि कपिल ने बरेली से एक फर्जी पासपोर्ट बनवाया है. यहां तक कि वह दस्तावेजों के वेरिफिकेशन के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशन भी गया था. उनकी जांच में मिले नतीजों के आधार पर काउंटर इंटेलीजेंस यूनिट ने एक एफआईआर दर्ज की थी. उन्होंने अपनी जांच के दौरान पाया कि कपिल पहले थाईलैंड और बाद में दुबई चला गया.’
रिपोर्ट के अनुसार, पासपोर्ट के लिए सांगवान ने स्थानीय एजेंट को 4.5 लाख रुपये दिए थे. उसने अपने भाई ज्योति और जूनागढ़ के रहने वाले एक सहयोगी धीरेन करिया को भी इसी तरह पासपोर्ट बनवाने के लिए कहा था.
करिया के खिलाफ न केवल कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, बल्कि पिछले साल उसने जूनागढ़ लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भी दाखिल किया था.
एक पुलिस अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘ज्योति और करिया ने भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट बनवाया था. वे भी देश छोड़ने की योजना बना रहे थे, लेकिन महामारी के कारण वे ऐसा नहीं कर सके. दिल्ली पुलिस ने बरेली पुलिस को खामियों के बारे में बताया है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के लिए कहा है.’
जहां सांगवान के खिलाफ एक लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया है, वहीं पुलिस ने ज्योति और करिया के खिलाफ चार्जशीट तैयार कर लिया है और जल्द ही दिल्ली की अदालत में दाखिल करने वाली है.