पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता जयसिंह राव गायकवाड़ ने पार्टी छोड़ते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र में भाजपा ने संगठन के निर्माण में योगदान वाले वाले वरिष्ठ नेताओं को अकेला छोड़ दिया है, इसलिए ऐसी पार्टी में रहने का कोई औचित्य नहीं है.
नई दिल्लीः पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता जयसिंह राव गायकवाड़ ने मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गायकवाड़ ने आरोप लगाया कि उन्हें पार्टी में पूरी तरह से किनारे लगा दिया गया.
राज्य के भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल को लिखे पत्र में गायकवाड़ (71) ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता और संगठनात्मक जिम्मेदारियों से इस्तीफे की पेशकश की.
उन्होंने संवाददाताओं को बताया, ‘चूंकि मुझे पूरी तरह से किनारे लगा दिया गया है इसलिए मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया है. मैं संगठन में काम करना चाहता हूं. मुझे किसी पद की चाह नहीं थी लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने जिम्मेदारी लेने की मेरे आग्रह को पूरी तरह से नजरअंदाज किया. बिना किसी काम के मैं पार्टी में क्या करूंगा.’
उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र में भाजपा ने संगठन के निर्माण में योगदान वाले वाले वरिष्ठ नेताओं को अकेला छोड़ दिया है इसलिए इस तरह की पार्टी में रहने का कोई औचित्य नहीं है.’
हाल ही में उन्होंने उम्मीद जताई थी कि परिषद चुनावों में पार्टी उनकी उम्मीदवारी पर विचार करेगी लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ.
उन्होंने यहां तक कि भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवार शिरीष बोरालकर के खिलाफ नामांकन भी दाखिल किया था, लेकिन बाद में उन्होंने नामांकन वापस ले लिया.
भाजपा के एक पार्टी नेता का कहना है, ‘गायकवाड़ ने पहले भी मराठवाड़ा नेताओं के साथ मतभेद होने पर एनसीपी में शामिल होने के लिए भाजपा छोड़ दी थी और अब दूसरी बार वह ऐसा कर रहे हैं. वह पार्टी में अपनी बड़ी भूमिका और विधान परिषद की सीट चाहते हैं. पार्टी हर व्यक्ति की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकती.’
गायकवाड़ को भाजपा के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे और प्रमोद महाजन द्वारा मराठवाड़ा में पार्टी के चेहरे के तौर पर माना जाता था.
2004 में जब उन्हें विधानसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया, तब वह एनसीपी में शामिल हुए लेकिन राज्य के अगले चुनाव से पहले वह भाजपा में लौट आए.
वह 1998 और 1999 में बीड से लोकसभा के लिए चुने गए थे. उन्होंने विधान परिषद में दो बार भाजपा का प्रतिनिधित्व किया. वह पूर्व में एनडीए की सरकार में केंद्रीय मानव एवं संसाधन विकास राज्यमंत्री रह चुके हैं.
बता दें कि पिछले महीने भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्य मंत्री एकनाथ खड़से भी भाजपा छोड़कर एनसीपी में शामिल हो गए थे.