केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की है जिसके तहत आयुर्वेद के विशिष्ट क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएट चिकित्सकों को ऑपरेशन करने का प्रशिक्षण देने की अनुमति दी गई है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आयुष मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा है कि आधुनिक चिकित्सा के सर्जिकल नियमों को अपना बताने का दावा करने के बजाय वह अपने प्राचीन ज्ञान से अपने ख़ुद के सर्जिकल नियम विकसित करे.
नई दिल्ली: आयुर्वेद के कुछ डॉक्टरों को सर्जरी करने का अधिकार दिए जाने के सरकार के फैसले पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सख्त नाराजगी जताई है. आईएमए ने एक बयान जारी कर इसे पीछे ले जाने वाला और असभ्य कदम बताया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आईएमए ने आयुष मंत्रालय के तहत आने वाली वैधानिक संस्था भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (सीसीआईएम) से अनुरोध किया है कि आधुनिक चिकित्सा के सर्जिकल नियमों को अपना बताने का दावा करने के बजाय वह अपने प्राचीन ज्ञान से अपने खुद के सर्जिकल नियम विकसित करे.
सीसीआईएम द्वारा 20 नवंबर को जारी एक नोटिफिकेशन में आयुर्वेद के कुछ खास क्षेत्र के पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को सर्जरी करने का अधिकार दिया था.
आईएमए अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा ने कहा कि संगठन खुद आधुनिक चिकित्सा को प्रेरित करने और अपने डॉक्टरों को प्रैक्टिस के अयोग्य क्षेत्रों में सशक्त बनाने के सीसीआईएम के असभ्य तरीकों की निंदा करता है.
दो सिस्टमों का घालमेल करने और पीछे ले जाने वाला कदम बताते हुए आईएमए ने अपने बयान में कहा, ‘अन्य सिस्टमों के साथ मिलाकर आधुनिक चिकित्सा को भ्रष्ट करने और चोर दरवाजे से आधुनिक चिकित्सा के विषयों को चुराना चिकित्सा के मूल सिद्धांतों की अवहेलना है.’
#IMA unequivocally condemns uncivil ways of the Central Council of Indian Medicine to arrogate itself to vivisect Modern Medicine and empower its practitioners with undeserving areas of practice.@PMOIndia @drharshvardhan pic.twitter.com/NvQhEpkKNk
— Indian Medical Association (@IMAIndiaOrg) November 21, 2020
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, आईएमए ने सवाल किया कि अगर इस तरह के शॉर्टकट्स को मान्यता दी जाएगी तो फिर नीट का महत्व क्या रह जाएगा? आईएमए ने सरकार से अपील करने के साथ-साथ अपने सदस्यों और डॉक्टरों को भी चेतावनी दी कि वो किसी दूसरी चिकित्सा पद्धति के विद्यार्थियों को आधुनिक चिकित्सा पद्धति की शिक्षा नहीं दें.
आईएमए ने कहा, ‘वो विभिन्न पद्धतियों के घालमेल को रोकने का हरसंभव प्रयास करेगा.’ उसने कहा, ‘हर सिस्टम को अपने दम पर बढ़ने दिया जाए.’ आईएमए ने सरकार से मांग की कि वो ऐसे आधुनिक चिकित्सा शास्त्र के डॉक्टरों की पोस्टिंग भारतीय चिकित्सा के कॉलेजों में न करे.
सरकार की नई अधिसूचना में क्या है?
केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की है जिसके तहत आयुर्वेद के विशिष्ट क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएट चिकित्सकों को ऑपरेशन करने का प्रशिक्षण देने की अनुमति दी गई है ताकि वे सामान्य ट्यूमर, गैंग्रीन का विच्छेदन और नाक तथा मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर सकें.
गैंग्रीन एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के ऊतक नष्ट होने लग जाते हैं. यह मुख्य रूप से चोट, संक्रमण या किसी अन्य समस्या के कारण शरीर के किसी भाग में खून नहीं जा पाने के कारण होता है.
सीसीआईएम की ओर से जारी अधिसूचना में 39 सामान्य ऑपरेशन प्रक्रियाओं और करीब 19 प्रक्रियाओं की सूची हैं जिनमें आंख, कान, नाक, गला आदि हैं. इसके लिए भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्वेद शिक्षा), नियमन 2016 में संशोधन किया गया है.
अधिसूचना के मुताबिक, पढ़ाई के दौरान ‘शल्य’ और ‘शल्क्य’ में पीजी कर रहे छात्रों को ऑपरेशन करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
आयुष मंत्रालय ने कहा- कोई नया फैसला नहीं
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि सीसीआईएम की अधिसूचना नीति में किसी तरह का बदलाव का सूचक नहीं है या कोई नया फैसला नहीं है. उन्होंने कहा कि अधिसूचना आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए ऑपरेशन के सभी क्षेत्रों को नहीं खोलती है, बल्कि उन्हें कुछ विशिष्ट चीजों का ऑपरेशन करने की अनुमति देती है.
कोटेचा ने स्पष्ट किया पोस्ट ग्रेजुएट करने वाले सभी चिकित्सकों को ऑपरेशन करने की इजाजत नहीं है, बल्कि जिन्होंने शल्य और शल्क्य में पोस्ट ग्रेजुएट किया है, सिर्फ वे ही ये ऑपरेशन कर सकेंगे.
सीसीआईएम के संचालक मंडल के प्रमुख वैद्य जयंत देवपुजारी ने स्पष्ट किया कि आयुर्वेदिक संस्थानों में 20 साल से ऑपरेशन होते आए हैं और अधिसूचना उन्हें कानूनी जामा पहनाती है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)