2जी मामले में बरी नेताओं के ख़िलाफ़ दाख़िल याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट की नई पीठ करेगी सुनवाई

दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा तथा अन्य की उन याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया, जिनमें उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में ख़ुद को बरी किए जाने के खिलाफ सीबीआई की अपील का विरोध किया था. इन्होंने दलील दी थी कि भ्रष्टाचार रोधी क़ानून में संशोधन के साथ ही मामला निष्फल हो चुका है.

(फोटो: पीटीआई)

दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा तथा अन्य की उन याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया, जिनमें उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में ख़ुद को बरी किए जाने के खिलाफ सीबीआई की अपील का विरोध किया था. इन्होंने दलील दी थी कि भ्रष्टाचार रोधी क़ानून में संशोधन के साथ ही मामला निष्फल हो चुका है.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा तथा अन्य की उन याचिकाओं को सोमवार को खारिज कर दिया, जिनमें उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में खुद को बरी किए जाने के खिलाफ सीबीआई की अपील का विरोध किया है और कहा है कि भ्रष्टाचार रोधी कानून में संशोधन के साथ ही मामला निष्फल हो चुका है.

अदालत ने कहा कि कानून में संशोधन ऐसे मामलों में लागू नहीं होता जो बदलाव से पहले ही हो चुके हैं.

जस्टिस बृजेश सेठी ने कहा कि भ्रष्टाचार रोकथाम कानून में धारा 13 (1) (डी) से संबंधित संशोधन बरी किए गए लोगों के बचाव में नहीं आएगा.

विभिन्न आवेदनों और याचिकाओं पर अलग-अलग फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा, ‘संशोधित कानून ऐसे अपराधों में लागू नहीं होता जो पहले ही हो चुके हैं. अपील पर सुनवाई करने में कोई बाधा नहीं है. आवेदन खारिज किए जाते हैं.’

जस्टिस सेठी 30 नवंबर को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं और समय की कमी की वजह से उन्होंने 2जी मामले से संबंधित विभिन्न अपील अपनी अदालत से मुक्त करते हुए कहा कि इन्हें एक दिसंबर को दूसरी पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा.

ए. राजा ने हाईकोर्ट से कहा था कि 2जी मामले में बरी किए जाने के खिलाफ सीबीआई की अपील नया भ्रष्टाचार रोधी कानून आने से निष्फल हो गई है.

उनके वकील ने अदालत से कहा कि मामले में उनके मुवक्किल तथा अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को नए भ्रष्टाचार रोकथाम कानून 2018 से हटा दिया गया है, इसलिए इस मामले में अभियोग आगे नहीं बढ़ सकता.

ए. राजा के अतिरिक्त उनके तत्कालीन निजी सचिव आरके चंदोलिया, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और बॉलीवुड के फिल्म निर्माता करीम मोरानी ने भी अलग-अलग आवेदन दायर कर इस मुद्दे को उठाया था.

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने तर्क दिया था कि आवेदन विचार योग्य नहीं हैं, क्योंकि एजेंसी की अपील से संबंधित जवाब में मुद्दे को पहले ही उठाया जा चुका है.

संसद ने 2018 में भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 13 (1) (डी) को निरस्त कर दिया था.

सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने 2जी मामले में आरोपी सभी लोगों तथा कंपनियों को बरी करने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दायर की है.

 

एजेंसी ने 2जी मामले से संबंधित एक अलग मामले में एस्सार समूह के प्रवर्तकों रविकांत रुइया और अंशुमन रुइया तथा छह अन्य को बरी किए जाने के खिलाफ भी अपील दायर की है.

विशेष अदालत ने 21 दिसंबर 2017 को राजा, द्रमुक सांसद कनिमोई तथा अन्य को घोटाला मामले से जुड़े सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के मामलों में बरी कर दिया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, महामारी के कारण फिजिकल अदालतों के बंद करने के कारण कथित 2जी घोटाला मामले में आरोपियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर मार्च के बाद से सुनवाई नहीं हुई है.

ईडी और सीबीआई ने जस्टिस बृजेश सेठी की होने वाली सेवानिवृत्ति के मामले में जल्द सुनवाई के लिए अगस्त में हाईकोर्ट से संपर्क किया था, जिन्होंने अक्टूबर 2019 के बाद से इस मामले में एक अपील पर सुनवाई की थी.

29 सितंबर को जस्टिस सेठी ने आवेदन को मंजूरी दे दी और पांच अक्टूबर से रोजाना सुनवाई शुरू कर दी लेकिन अधिकतर दिनों तक उन्होंने आवेदन पर ही सुनवाई की जिसे सोमवार को रद्द कर दिया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)