केंद्र सरकार ने आयुर्वेद के स्नातकोत्तर डॉक्टरों को सामान्य सर्जरी प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षित किए जाने की अनुमति दे दी है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सरकार की इस पहल पर चिंता जताते हुए इसे आधुनिक चिकित्सा प्रणाली को पीछे ले जाने वाला क़दम क़रार दिया है.
नई दिल्ली: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने मंगलवार को मांग की कि भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (सीसीआईएम) की वह अधिसूचना वापस ली जानी चाहिए, जिसमें आयुर्वेद के स्नातकोत्तर डॉक्टरों को सामान्य सर्जरी प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षित किए जाने की अनुमति दी गई है.
संगठन ने कहा कि यह चिकित्सा शिक्षा या प्रैक्टिस का भ्रमित मिश्रण या ‘खिचड़ीकरण’ है.
आयुष मंत्रालय के अधीन भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के नियमन से जुड़ी सांविधिक इकाई सीसीआईएम ने 20 नवंबर को जारी अधिसूचना में 39 सामान्य सर्जरी प्रक्रियाओं को सूचीबद्ध किया था, जिनमें से 19 प्रक्रियाएं आंख, नाक, कान और गले से जुड़ी हैं.
#IMA demands withdrawl of the notification of the amendment regulations of Postgraduate #Ayurveda Education@PMOIndia @drharshvardhan @MoHFW_INDIA @narendramodi pic.twitter.com/yBI08T6K1K
— Indian Medical Association (@IMAIndiaOrg) November 24, 2020
इसके लिए भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्वेद शिक्षा), नियमन 2016 में संशोधन किया गया है. अधिसूचना के मुताबिक, पढ़ाई के दौरान ‘शल्य’ और ‘शाल्क्य’ में पीजी कर रहे छात्रों को ऑपरेशन करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
इससे पहले आईएमए ने बीते 22 नवंबर को इस कदम की निंदा की थी और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों को पीछे की ओर ले जाने वाला कदम करार दिया था.
आईएए ने सीसीआईएम से अनुरोध किया था कि आधुनिक चिकित्सा के सर्जिकल नियमों को अपना बताने का दावा करने के बजाय वह अपने प्राचीन ज्ञान से अपने खुद के सर्जिकल नियम विकसित करे.
इसने मंगलवार को एक बयान में कहा कि यह चिकित्सा शिक्षा और प्रैक्टिस के ‘खिचड़ीकरण’ का प्रयास है. देश का समूचा आधुनिक चिकित्सा व्यवसाय इस तरह की चीजों से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है.
आईएमए ने संबंधित अधिसूचना को वापस लिए जाने की मांग की.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक आईएमए ने बयान में कहा कि आधुनिक चिकित्सा सर्जरी की लंबी सूची है, जिसे शल्य तंत्र और शालक्य तंत्र के तहत सूचीबद्ध किया गया है, ये सभी आधुनिक चिकित्सा पद्धति के दायरे और अधिकार क्षेत्र में आते हैं.
जबकि आयुष मंत्रालय ने एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए दावा किया कि तकनीकी शब्द और आधुनिक विकास मानव जाति की एक सामान्य विरासत हैं, आईएमए ने उनके स्पष्टीकरण को खारिज करते हुए कहा है कि यह चिकित्सा प्रणालियों के मिश्रण का भ्रामक छलावा है.
उसने कहा, ‘सीसीआईएम द्वारा अतिक्रमण राष्ट्र का संपूर्ण आधुनिक चिकित्सा पेशे के साथ विश्वासघात है. यह और कुछ नहीं बल्कि चिकित्सा शिक्षा और मेडिकल प्रैक्टिस को मिलाने या खिचड़ीकरण का बेशर्म प्रयास है.’
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन शर्मा ने कहा, ‘भारत आज अंतरराष्ट्रीय मानकों की चिकित्सा सुविधा और विश्व की सेवा करने वाले जाने-माने भारतीय डॉक्टरों के साथ आधुनिक चिकित्सा के क्षेत्र में सबसे आगे है. ऐसी विरासत और नेतृत्व को खोने का क्या मतलब है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)